सरकारी कर्मचारियों के लिए आठवाँ वेतन आयोग (8th Pay Commission) किसी बम्पर बोनस से कम नहीं है, जिसका इंतज़ार लगभग 1.2 करोड़ कर्मचारी और पेंशनभोगी कर रहे हैं । इसे आप केंद्र सरकार द्वारा हर 10 साल में किया जाने वाला एक बड़ा ‘वेतन और पेंशन रिव्यू’ मान सकते हैं । इसका मुख्य उद्देश्य बहुत सीधा है: महंगाई और बढ़ते खर्चों के साथ-साथ आपकी सैलरी भी बढ़े, ताकि आपकी असली कमाई (Purchasing Power) कम न हो ।
सरकार ने इस आयोग को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं । सरकार का लक्ष्य है कि इसकी सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू हों । हालांकि, पिछले अनुभवों को देखते हुए, अंतिम क्रियान्वयन (implementation) में थोड़ा समय लग सकता है—शायद 2027 या 2028 तक । लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि यह हमेशा की तरह 1 जनवरी, 2026 से ही प्रभावी (retrospective) माना जाएगा । इसका मतलब है कि देरी होने पर भी, आपको बढ़े हुए वेतन का सारा पैसा एकमुश्त एरियर (Arrears) के रूप में मिलेगा ।

सैलरी कितनी बढ़ेगी? (Fitment Factor और न्यूनतम वेतन का गणित)
वेतन आयोग में सबसे ज़्यादा चर्चा ‘फिटमेंट फैक्टर’ (Fitment Factor) की होती है। इसे आप सैलरी बढ़ाने वाला एक जादुई गुणांक (Multiplier) समझ सकते हैं । यह वह नंबर है जिससे आपकी पुरानी मूल सैलरी (Basic Pay) को गुणा करके आपकी नई मूल सैलरी तय होती है ।
कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि फिटमेंट फैक्टर 2.86 के आस-पास हो । अगर यह मांग पूरी होती है, तो यह आपकी सैलरी में एक बड़ी छलांग लगाएगा । उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग में एंट्री लेवल पर न्यूनतम सैलरी ₹18,000 प्रति माह थी । अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 रखा जाता है, तो यह न्यूनतम सैलरी सीधे बढ़कर ₹51,480 तक पहुँच सकती है । आयोग न्यूनतम वेतन तय करने के लिए एकरॉइड फॉर्मूला (Aykroyd Formula) का इस्तेमाल कर सकता है । यह एक वैज्ञानिक तरीका है जो यह देखता है कि एक कर्मचारी को भोजन, कपड़े और आवास जैसी न्यूनतम ज़रूरतें पूरी करने के लिए कितनी सैलरी चाहिए ।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट्स बताती हैं कि सैलरी और पेंशन में 30% से 34% तक की वृद्धि हो सकती है । लेकिन यहाँ एक ज़रूरी बात समझनी होगी: जब नया वेतन लागू होता है, तो उस समय तक जो महंगाई भत्ता (DA) जमा हो चुका होता है, वह आपकी नई मूल सैलरी में मिला दिया जाता है (DA Reset) । इस समायोजन के बाद, आपकी जेब में आने वाली शुद्ध वास्तविक वृद्धि (Net Real Hike) आमतौर पर कम हो जाती है, जो कि निचले ग्रेड के कर्मचारियों के लिए लगभग 13% रहने का अनुमान है । इस वृद्धि का सबसे ज़्यादा लाभ उन कर्मचारियों को मिलता है, जो निचले वेतनमान (Grade C) में हैं, क्योंकि न्यूनतम सैलरी में सबसे बड़ी बढ़ोतरी उन्हीं के लिए होती है ।
सिर्फ सैलरी नहीं, यह देश के खजाने का मामला भी है
Aathvan Pay Commission का फैसला सिर्फ कर्मचारियों के लिए खुशी की खबर नहीं है, बल्कि यह केंद्र सरकार के खजाने (Budget) पर भी बहुत बड़ा असर डालता है। सरकार ने आयोग के लिए जो नियम और शर्तें (ToR) तय की हैं, उनमें साफ कहा गया है कि सिफारिशें देते समय ‘राजकोषीय विवेक’ (Fiscal Prudence) बनाए रखना बहुत ज़रूरी है । इसका मतलब है कि सैलरी बढ़ाने का फैसला देश की आर्थिक स्थिरता को खतरे में नहीं डालना चाहिए ।
अनुमान है कि यह वेतन वृद्धि केंद्र सरकार पर हर साल ₹1.8 लाख करोड़ तक का अतिरिक्त बोझ डाल सकती है । यह बोझ तब और बढ़ जाता है, जब 2028 के आसपास एरियर का एकमुश्त (Lump Sum) भुगतान होता है । पिछली बार 7वें वेतन आयोग के बाद भी एरियर के भुगतान ने सरकार के बजट लक्ष्य को प्रभावित किया था । इसलिए, आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद देश की आर्थिक सेहत ठीक बनी रहे।
सबसे खास बात यह है कि आयोग को ‘पुरानी पेंशन योजना’ (OPS) जैसी गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की लागत का भी पता लगाने को कहा गया है । यह एक बहुत बड़ा कदम है, क्योंकि यह पहली बार सरकार को उन सभी पुरानी पेंशन देनदारियों की वास्तविक और आधिकारिक वित्तीय लागत का पता लगाने में मदद करेगा । आठवें वेतन आयोग का अंतिम फैसला सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के जीवन को ही नहीं सुधारेगा, बल्कि यह भारत के संघीय वित्तीय ढांचे (Federal Fiscal Structure) और पेंशन सुधारों की दिशा भी तय करेगा।














