जिसे ‘बिहार का कश्मीर’ भी कहा जाता है। मैं बात कर रहा हूँ नवादा जिले में स्थित शानदार ककोलत जलप्रपात (Kakolat Falls) की।
अगर आप शहरी भागदौड़ से थक चुके हैं और प्रकृति की गोद में कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो ककोलत वॉटरफॉल आपका अगला डेस्टिनेशन होना चाहिए। यह सिर्फ एक झरना नहीं है, बल्कि सुंदरता, इतिहास और आध्यात्मिकता का एक अनूठा संगम है।

‘बिहार का कश्मीर’ : यहाँ पानी नहीं, जादू बरसता है!
ककोलत एक ऐसी जगह, जहाँ हरे-भरे पहाड़ हों, और उनके बीच से लगभग 150 से 160 फीट (यानी लगभग 49 मीटर) की ऊँचाई से दूधिया पानी की धारा नीचे गिर रही हो । ककोलत जलप्रपात की यही भव्यता इसे ख़ास बनाती है। यह झरना एक ही बार में नीचे नहीं आता, बल्कि ‘स्टेप बाय स्टेप’ पत्थरों से टकराता हुआ, नज़ारों को और भी मनमोहक बना देता है ।
ककोलत हिल पर स्थित यह झरना अपने चारों ओर घने जंगलों और हरी-भरी वादियों से घिरा है । यह बिहार और झारखंड की सीमा पर बसा है, जिसकी वजह से इसका प्राकृतिक सौंदर्य दोगुना हो जाता है । झरने के नीचे एक विशाल, गहरा प्राकृतिक कुंड (Natural Reservoir) बन गया है, जिसका पानी साल भर ठंडा और स्वच्छ रहता है ।
गर्मियों के मौसम में, खासकर मई और जून में, यहाँ का नज़ारा देखने लायक होता है। ये वो समय है जब पर्यटक यहाँ वीकेंड पिकनिक मनाने के लिए भारी संख्या में आते हैं, और एक दिन में 12,000 से 15,000 तक लोग यहाँ पहुँचते हैं ।
सावन का रोमांस या ठंड का सुकून? कब करें ककोलत की यात्रा?
अगर आप झरने को उसके पूरे वेग और खूबसूरती में देखना चाहते हैं, तो मानसून का मौसम (जून से सितंबर) सबसे अच्छा है, जब झरना पूरे प्रवाह में होता है और हरियाली चरम पर होती है । लेकिन, अगर आप मौसम का मज़ा लेते हुए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा चाहते हैं, तो अक्टूबर से फरवरी के बीच का समय सबसे बेहतरीन माना जाता है । इस दौरान मौसम सुहावना रहता है (न्यूनतम 16°C और अधिकतम 32°C के आसपास) ।
राजा और अजगर की कहानी: एक डुबकी, और सर्प दोष खत्म!
ककोलत जलप्रपात की असली ‘ख़ासियत’ इसके प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ इसकी पौराणिक कथाओं में छिपी है। यह सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक पवित्र तीर्थ स्थल है।
पांडवों से जुड़ी कथा: कहा जाता है कि यह जलप्रपात त्रेता युग से जुड़ा हुआ है । पौराणिक कथा के अनुसार, एक ऋषि (कुछ जगहों पर अष्टावक्र मुनि का ज़िक्र है ) ने एक राजा को श्राप देकर अजगर (Python) बना दिया था, और वह अजगर इसी झरने के नीचे रहता था । महाभारत काल में, जब पांडव अपने वनवास के दौरान यहाँ आए , तो उनके दर्शन से उस शापित राजा को अजगर योनि से मुक्ति मिली और वह अपने असली रूप में वापस आ गया ।
अजगर राजा का वरदान: श्राप से मुक्त होने के बाद, उस राजा ने घोषणा की थी कि जो भी व्यक्ति इस झरने में स्नान करेगा, उसे कभी साँप के डसने का भय नहीं रहेगा, और सबसे महत्वपूर्ण—उसे कभी भी साँप की योनि में जन्म नहीं लेना पड़ेगा!
यही कारण है कि ककोलत जलप्रपात धार्मिक आस्था का एक बड़ा केंद्र है। हर साल बैसाख के महीने में (लगभग मध्य अप्रैल) बिषुआ या चैत्र संक्रांति के अवसर पर यहाँ एक बड़ा तीन दिवसीय मेला लगता है , जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु इस पवित्र जल में डुबकी लगाने आते हैं ।
क्या करें ककोलत में?
- पिकनिक: हरी-भरी वादियों के बीच परिवार या दोस्तों के साथ पिकनिक मनाना।
- स्विमिंग: सुरक्षित कुंड के ठंडे पानी में डुबकी लगाना और तरोताज़ा होना ।
- ट्रेकिंग/हाइकिंग: आस-पास की पहाड़ियों और जंगलों में छोटे-मोटे ट्रेक का मज़ा लेना ।
गाड़ी स्टार्ट करो! ककोलत पहुँचने का मैप
ककोलत जलप्रपात, नवादा जिला मुख्यालय से लगभग 33 किलोमीटर दूर है ।
- सड़क मार्ग (Road): यह जगह NH-31 (पटना-रांची रोड) से जुड़ी हुई है, जहाँ से लगभग 17 किलोमीटर अंदर आना पड़ता है । नवादा से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा आसानी से मिल जाते हैं ।
- रेल मार्ग (Rail): नवादा रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी स्टेशन है (33 किमी) ।
- हवाई मार्ग (Air): गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Gaya International Airport – GAY) सबसे पास है, जो लगभग 68 किलोमीटर दूर है । पटना एयरपोर्ट (PAT) भी एक अच्छा विकल्प है, जिसकी दूरी लगभग 91 से 120 किलोमीटर है ।
क्यों है ये ‘हिडन जेम’ आपकी बकेट लिस्ट में?
ककोलत जलप्रपात भारत के उन गंतव्यों में से है, जहाँ प्रकृति, धर्म और रोमांच एक साथ मिलते हैं। इसकी ऊँचाई, इसका पौराणिक इतिहास, और यहाँ की शांत, हरी-भरी आबोहवा इसे एक संपूर्ण पर्यटन स्थल बनाती है। चाहे आप एक रोमांच प्रेमी हों, पिकनिक के लिए शांत जगह खोज रहे हों, या आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों—ककोलत हर किसी को कुछ न कुछ देने का वादा करता है।
तो देर किस बात की? अपने बैग पैक कीजिए, और बिहार के इस “कश्मीर” को अपनी ट्रैवल लिस्ट में सबसे ऊपर रखिए! आपकी यात्रा मंगलमय हो!


















