Mobile Only Menu
  • Home
  • राजनीति
  • हरियाणा चुनाव विवाद: आरोप, जवाब और सच्चाई | Vote Chori Haryana
rahul gandhi

हरियाणा चुनाव विवाद: आरोप, जवाब और सच्चाई | Vote Chori Haryana

नवंबर 2025 में हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद सामने आया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 5 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने दावा किया कि हरियाणा चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है और जनता के सामने सवाल खड़े हो गए हैं कि असलियत क्या है।

rahul gandhi

राहुल गांधी के मुख्य आरोप

राहुल गांधी ने जिसे “एच-फाइल्स” का नाम दिया, उसमें उन्होंने कहा कि हरियाणा की 2 करोड़ मतदाताओं में से करीब 25 लाख मतदाता फर्जी थे। उनका कहना है कि इसका मतलब है कि हर आठ में से एक मतदाता (यानी 12.5 प्रतिशत) नकली था।

उन्होंने कई उदाहरण पेश किए:

ब्राजीली मॉडल का मामला: राहुल गांधी ने दावा किया कि एक ब्राजीली महिला की तस्वीर को हरियाणा की वोटर लिस्ट में 22 बार इस्तेमाल किया गया – अलग-अलग नामों से जैसे सीमा, स्वीटी, सरस्वती, रश्मि और विमला। यह तस्वीर रै विधानसभा क्षेत्र के 10 बूथों में मिली। उन्होंने बताया कि यह स्टॉक फोटो वेबसाइट से मुफ्त में डाउनलोड की जा सकती है।

223 बार एक ही तस्वीर: एक और मामले में उन्होंने दावा किया कि एक ही व्यक्ति की तस्वीर दो बूथों में 223 बार दिखाई दी।

डुप्लीकेट और फर्जी वोटर: गांधी के मुताबिक हरियाणा में 5.21 लाख डुप्लीकेट मतदाता, 93,174 अमान्य पते वाले मतदाता, और 19.26 लाख बल्क वोटर (एक ही पते पर बहुत सारे मतदाता) थे।

500 से ज्यादा वोटर एक घर में: उन्होंने कहा कि एक घर में 501 मतदाता दर्ज थे, लेकिन जांच में पता चला कि वहां कोई नहीं रहता।

दोहरे मतदाता: उनका आरोप है कि हजारों लोगों के नाम हरियाणा और उत्तर प्रदेश दोनों जगह मतदाता सूची में हैं, जिनमें भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी शामिल हैं।

3.5 लाख मतदाता हटाए गए: गांधी ने यह भी कहा कि चुनाव से पहले 3.5 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए, जिनमें ज्यादातर कांग्रेस समर्थक थे।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “निराधार” बताया है। आयोग के सूत्रों ने कई सवाल उठाए हैं:

कोई अपील नहीं: आयोग ने कहा कि मतदाता सूची के खिलाफ कांग्रेस ने कोई अपील दर्ज नहीं कराई। हरियाणा की 90 सीटों के लिए केवल 22 चुनावी याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं, जो इस तरह के चुनाव के लिए सामान्य संख्या है।

पोलिंग एजेंटों की भूमिका: चुनाव आयोग ने सवाल किया कि अगर कोई व्यक्ति 200 से ज्यादा बार वोट डाल रहा था, तो कांग्रेस के पोलिंग एजेंटों ने उस समय आपत्ति क्यों नहीं की। मतदान के दिन कांग्रेस के 86,790 पोलिंग एजेंट तैनात थे।

हरियाणा की चुनावी प्रक्रिया: हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने विस्तृत आंकड़े दिए:

  • 2 अगस्त 2024 को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की गई और सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई
  • सारांश संशोधन के दौरान कुल 4,16,408 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुईं
  • राज्य में 20,629 बूथ स्तरीय अधिकारी थे
  • 27 अगस्त 2024 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की गई, और इसके खिलाफ कोई अपील दर्ज नहीं की गई

डुप्लीकेट वोट किसे मिले: आयोग के सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी का यह दावा कि डुप्लीकेट वोट भाजपा को गए, आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता। असल में इनमें से कई वोट कांग्रेस को ही गए।

हाउस नंबर जीरो: आयोग ने स्पष्ट किया कि “हाउस नंबर जीरो” उन इलाकों के लिए लागू होता है जहां नगरपालिका या पंचायत ने मकान नंबर नहीं दिए हैं।

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को “हास्यास्पद” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिहार चुनाव से पहले यह एक “नकली मुद्दा” है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रही है और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर देश की छवि खराब कर रही है।

कर्नाटक का आलंद मामला – एक समानता

राहुल गांधी ने कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र का भी हवाला दिया, जहां मतदाता सूची में धांधली की जांच चल रही है। कर्नाटक की विशेष जांच टीम (SIT) ने पाया है कि एक डेटा सेंटर चलाया जा रहा था जहां प्रति मतदाता 80 रुपये के हिसाब से नकली फॉर्म 7 भरकर वोटरों के नाम हटाए जा रहे थे।

SIT की जांच में पता चला कि 6,018 मतदाताओं को हटाने के लिए फर्जी आवेदन किए गए थे, और जमीनी सत्यापन में पाया गया कि इनमें से केवल 24 आवेदन वैध थे – यानी 99% से अधिक फर्जी थे। इस मामले में कई लोगों की पहचान की गई है और जांच जारी है।​​

विवाद के विभिन्न पहलू

एक्जिट पोल बनाम नतीजे: राहुल गांधी ने कहा कि सभी एक्जिट पोल कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे, लेकिन नतीजे भाजपा के पक्ष में आए। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का एक वीडियो भी दिखाया जिसमें वे मतदान के दो दिन बाद कह रहे थे कि “व्यवस्था” की गई है और भाजपा जीत के लिए आश्वस्त है।

पोस्टल बैलट: गांधी ने दावा किया कि पहली बार हरियाणा के इतिहास में पोस्टल वोट और बूथ पर डाले गए वोट अलग दिशा में गए। कांग्रेस को पोस्टल वोट में 73 सीटें मिलीं जबकि भाजपा को 17, लेकिन अंतिम नतीजे उलट थे।

जीत का अंतर: राहुल गांधी ने बताया कि कांग्रेस आठ सीटों पर कुल 22,779 वोटों से हारी, जिसमें एक सीट पर तो सिर्फ 32 वोटों से हार हुई। पूरे राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच कुल अंतर 1.18 लाख वोटों का था।

विश्लेषकों की राय

इंडिया टुडे के सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई ने कहा कि “केवल एक स्वतंत्र जांच, और मैं ‘स्वतंत्र जांच’ शब्द पर जोर देता हूं, जो चुनाव आयोग को स्वीकार्य हो, ही इसकी तह तक जा सकती है।”

सवाल जो अनुत्तरित हैं

इस पूरे विवाद में कुछ महत्वपूर्ण सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं:

  • अगर वास्तव में इतनी बड़ी धांधली हुई थी, तो कांग्रेस ने मतदाता सूची के संशोधन के दौरान आपत्ति क्यों नहीं की?
  • मतदान के दिन कांग्रेस के 86,000 से अधिक पोलिंग एजेंट कहां थे?
  • ब्राजीली मॉडल की तस्वीर के मामले में, वास्तविक “मुनेश” का क्या कहना है?
  • चुनाव आयोग के पास जवाब क्यों नहीं है कि स्टॉक फोटो मतदाता सूची में कैसे आई?
  • कर्नाटक में धांधली की जांच क्या साबित करेगी?

जनता के लिए क्या जरूरी है

लोकतंत्र में मतदाता सूची की शुद्धता बेहद महत्वपूर्ण है। यह विवाद चाहे किसी भी दिशा में जाए, कुछ बातें साफ हैं:

पारदर्शिता की जरूरत: चुनाव आयोग को मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

जवाबदेही: अगर वास्तव में कोई अनियमितता हुई है, तो जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

स्वतंत्र जांच: गंभीर आरोपों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

मतदाता जागरूकता: नागरिकों को अपने मतदाता पहचान पत्र की जांच करनी चाहिए और किसी भी अनियमितता की सूचना देनी चाहिए।

मतदान की शक्ति: जैसा कि राहुल गांधी ने भी कहा, अधिक से अधिक संख्या में मतदान करना ही किसी भी संभावित धांधली से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।

यह विवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर मामला है। चाहे आरोप सही हों या गलत, इस पर खुली बहस और पारदर्शी जांच जरूरी है ताकि जनता का चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।

Releated Posts

सवर्ण आयोग : बिहार के सवर्ण युवाओं के सरकारी नौकरी में उम्र सीमा 40 साल करने की सिफारिश!

बिहार में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) छात्रों के…

ByByManvinder Mishra Dec 22, 2025

Harsh Vardhan और BCA की नई पारी की पूरी कहानी

बिहार और क्रिकेट का रिश्ता हमेशा से थोड़ा ‘कॉम्प्लिकेटेड’ रहा है। कभी टैलेंट की कमी नहीं थी, पर…

ByByHarshvardhan Dec 19, 2025

बुर्का मर्जी या मजबूरी? जावेद अख्तर की ‘Social Conditioning’ वाली बहस का पूरा सच

दोस्तो, सोशल मीडिया पर आजकल एक पुरानी बहस ने फिर से तूल पकड़ लिया है। हाल ही में…

ByByManvinder Mishra Dec 18, 2025

बिहार: जब ‘बाराती’ बनकर आए अफसर और इंजीनियर के घर मिला कुबेर का खजाना

दिसंबर 2025 की इनसाइड रिपोर्ट: पटना से मोतिहारी तक कैसे कसा गया भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा बिहार के प्रशासनिक…

ByByManvinder Mishra Dec 17, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top