क्या कभी आपने सोचा था कि बिहार में भी ऋषिकेश का Lakshman Jhula जैसा कुछ देखने को मिलेगा? खैर, अब मिल गया! पटना से सिर्फ 10-12 किलोमीटर दूर पुनपुन में बिहार का पहला केबल सस्पेंशन ब्रिज खुल गया है, और भाई, यह देखने लायक है!
पहली बार जब मैंने इसे देखा…
Google मैप्स खोलो, “पुनपुन झूला” सर्च करो, और 30-35 मिनट में पटना से निकल जाओ। पटना-गया रोड से मीठापुर-मोहौली क्रॉस करके जब आप पुनपुन की ओर बढ़ते हो, तो रास्ते भर आपको एक उत्सुकता होती है—”आख़िर यह झूला कैसा होगा?”
फिर जैसे ही पुनपुन बस स्टैंड आता है, आपको “I Love Pun Pun” लिखा गेट दिख जाता है। बस यहीं से सीधा रास्ता है ब्रिज तक। और जब आप उस पर पहली बार चढ़ते हो, तो बस कहना भी क्या है? आपकी आंखें खुद-ब-खुद चौड़ी हो जाती हैं!
ब्रिज की खूबसूरती देखनी चाहिए!
यह कोई आम पुल नहीं है। 320 मीटर लंबा यह पुल बिलकुल Lakshman Jhula जैसा दिखता है। दोनों साइड में 100-100 फीट ऊंचे पायलॉन हैं, जिन पर 18 मजबूत केबलें लगी हैं। और बीच में? दोनों साइड में कलश स्थापित किए गए हैं, जो इसे एक धार्मिक छोहा भी देते हैं।
जब आप ब्रिज के ऊपर चलते हो, तो पुनपुन नदी दूर से देखी जा सकती है। हवा का झोंका, नदी की खुशबू, और चारों तरफ से heritage-style लाइटिंग—यह सब मिलकर एक ऐसा माहौल बनाते हैं कि आपको लगता है कि आप सच में किसी खास जगह पर हो।
बीवी-बच्चों के साथ Weekend का प्लान?
यहां सब कुछ पैदल चलने वाले, दोपहिया और छोटी कारों के लिए बनाया गया है। बस भारी ट्रैक्टर और बड़ी गाड़ियां नहीं चल सकतीं। इसका मतलब? ट्रैफिक नहीं, शांति है!
सुबह की चाय के समय आइए तो आप देखोगे कि कितने सारे लोग morning walk के लिए आते हैं। किसी को selfie खिंचवानी होती है, किसी को बस बैठकर नदी को देखना अच्छा लगता है, तो कोई पूरे परिवार के साथ घूमने आता है। यहां हर उम्र के लिए कुछ न कुछ है।
पिंडदान आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वरदान!
लेकिन यह ब्रिज सिर्फ टूरिस्टों के लिए नहीं बना है। पितृपक्ष के दिनों में जब लाखों श्रद्धालु पुनपुन पिंडदान करने आते हैं, तो उन्हें पहले Patna-Gaya रोड से मीलों चक्कर काटना पड़ता था। अब? सीधा यह ब्रिज उन्हें घाट तक पहुंचा देता है!
पहले लोग रेलवे ट्रैक के साथ-साथ चलते थे, जोखिम में। अब इस शानदार पुल के कारण न केवल आवागमन आसान हुआ है, बल्कि यह इलाका काफी सुरक्षित भी बन गया है।
यह देखते हो तो ठहर जाओ!
जब शाम ढलती है, तो पुनपुन झूला की असली खूबसूरती निखर जाती है। Heritage-style लाइटिंग पूरे ब्रिज को इस तरह रोशन करती है कि वह एक्सपो या किसी अंतरराष्ट्रीय मेले जैसा लगता है। विदेशों से आने वाले लोग भी यहां की खूबसूरती देखकर हैरान रह जाते हैं।
कहते हैं कि कुछ नेपाली पर्यटकों से जब किसी ने पूछा, “क्या पहली बार देखा?” तो उन्होंने कहा, “Haan! और यह देखकर बस सेल्फी खिंचवा रहे हैं!”

लोकल लोगों का सपना पूरा हुआ!
पुनपुन के लोगों का तो साफ कहना है—“यह हमारी तस्वीर ही बदल देगा!” और सच में, यह सिर्फ एक पुल नहीं है। इससे यहां के होटलों, दुकानों और छोटे-मोटे व्यापार को नया जीवन मिलेगा। नई नौकरियां भी पैदा होंगी।
जो तस्वीरें लेने वाले फोटोग्राफर हैं, जो ब्लॉगर हैं, जो YouTuber] हैं—सब के लिए यह एक नया कंटेंट स्पॉट बन गया है।
ट्रैफिक जाम की चिंता खत्म!
इस ब्रिज के बनने से पुनपुन पिंडदान स्थल तक पहुंचना बिलकुल सीधा हो गया है। पहले जो Patna-Gaya] रोड भीड़ भाड़ से भरा रहता था, अब उसमें थोड़ी राहत आ गई है। लोग अब सीधा यहीं पहुंच सकते हैं।
इस ब्रिज की कहानी!
यह ब्रिज 31 अगस्त 2019 को बनना शुरू हुआ था। सीएम नीतीश कुमार ने 4 सितंबर 2025 को इसका उद्घाटन किया। लागत शुरुआत में 46 करोड़ 77 लाख थी, पर आखिर में 83 करोड़ रुपये खर्च हुए।
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने इसे बनाया। और भाई, यह एक हल्के वाहनों के लिए बना पहला केबल सस्पेंशन ब्रिज है बिहार में।
अगर आप पटना में हो, तो इस वीकेंड ही निकल जाओ पुनपुन! सुबह आइए, तो morning walkers का माहौल देखो। शाम आइए, तो हेरिटेज लाइटिंग देखो। कभी भी आइए, यह ब्रिज आपको निराश नहीं करेगा।
यह केवल ऋषिकेश जाने का वैकल्प नहीं है। यह बिहार की विकास यात्रा का एक अहम हिस्सा है। यह हमारे बिहार की पहचान बन गया है।


















