बिहार में एक ऐतिहासिक फैसला हुआ है। राज्य की नीतीश सरकार ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को पटना के मोकामा खास इलाके में श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर बनाने की अनुमति दे दी है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि बिहार के लिए एक नई पहचान, एक नई उम्मीद, और पर्यटन का एक नया द्वार खोलने वाला ऐतिहासिक फैसला है।

राज्य सरकार ने TTD को 10.11 एकड़ प्राइम जमीन मोकामा खास में 99 साल की लीज पर दी है, और सालाना किराया सिर्फ 1 रुपया है। यह कोई मामूली फैसला नहीं है। यह स्पष्ट दिखाता है कि बिहार सरकार कितनी गंभीरता और दूरदर्शिता के साथ अपने सांस्कृतिक विकास को लेकर सोच रही है। बिहार के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से TTD के चेयरमैन को यह ऑफिशियल लेटर भेजा गया है, जो इस प्रकल्प की गंभीरता को दर्शाता है।
मोकामा सिर्फ कोई साधारण शहर नहीं है। यह पटना से लगभग 90 किलोमीटर दूर गंगा किनारे स्थित है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि मोकामा उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण कमर्शियल और ट्रांजिट केंद्र है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, रेलवे स्टेशन देश के सभी कोनों से जुड़ा हुआ है, और गंगा नदी भी यहां से होकर गुजरती है। इस वजह से यह जगह तीर्थ यात्रियों के लिए भारत में सबसे सुविधाजनक स्थान है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और HRD मंत्री नारा लोकेश ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक सामंजस्य और पूर्वी भारत के लाखों भक्तों को भगवान वेंकटेश्वर का दर्शन कराने का एक बहुत ही बड़ा कदम है। दोनों नेताओं ने इस परियोजना को राज्य-व्यवस्था की एक बेहतरीन मिसाल बताया है और कहा है कि ऐसी पहल से ही देश आगे बढ़ता है।
TTD की एक महत्वाकांक्षी दीर्घकालीन योजना है हर भारतीय राज्य में श्री वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना। दिल्ली, जम्मू, मुंबई, ऋषिकेश, चेन्नई, हैदराबाद जैसे शहरों में TTD के भव्य मंदिर पहले से ही मौजूद हैं। बिहार इस महत्वपूर्ण श्रृंखला में एक नई और महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ने वाला राज्य बन गया है।
मोकामा में बनने वाला यह एक संपूर्ण और समग्र धार्मिक पर्यटन परिसर होगा। इसमें मुख्य श्री वेंकटेश्वर मंदिर, भव्य प्रार्थना मंडप, धर्मशालाएं, आधुनिक होटल, बहु-सेवा भोजनालय, वाहन पार्किंग, सुंदर बागान और अन्य आध्यात्मिक सुविधाएं होंगी। यह पूरा परिसर दक्षिण भारतीय द्रविड़ वास्तुकला शैली में बनेगा, जो तिरुपति के प्रसिद्ध मंदिर जैसा ही भव्य और देश भर के दर्शनार्थियों के लिए आकर्षक होगा।
TTD जैसे बड़े धार्मिक मंदिर परिसरों के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव को समझना बेहद जरूरी है। जब कोई बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल विकसित होता है, तो स्थानीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व गति और नई ऊर्जा मिलती है। होटल, रेस्तरां, परिवहन, दुकानें, शिल्पकारी, गाइड सेवा—सब कुछ को नए रोजगार के अवसर और नई संभावनाएं मिलती हैं। बिहार के महाबोधी मंदिर जैसे प्राचीन तीर्थ स्थान सालाना 106 करोड़ रुपये की आय जेनरेट करते हैं। TTD मंदिर उससे कहीं ज्यादा बड़ा, आधुनिक और संपूर्ण सुविधा से सुसज्जित होगा, इसलिए इसका आर्थिक प्रभाव निश्चित ही कई गुना ज्यादा होगा।
अभी तो निर्माण शुरू नहीं हुआ है, लेकिन चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं। TTD की एक विशेष टीम जल्द ही बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक करेगी। इस बैठक में मंदिर की विस्तृत डिजाइन, निर्माण की संपूर्ण योजना और समयसीमा पर गहन चर्चा होगी। कुछ महीनों में TTD और बिहार सरकार के बीच एक औपचारिक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होने की प्रबल संभावना है।
यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि दो राज्यों के बीच सांस्कृतिक भाईचारे और सहयोग का एक शक्तिशाली प्रतीक है। अगर आप पूर्वी भारत में तिरुपति बालाजी के भक्त हैं, तो अब आपको हजारों किलोमीटर की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी। मोकामा में यह भव्य मंदिर पूरे पूर्वी भारत के लाखों-करोड़ों भक्तों का एक नया और महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बन जाएगा।
बिहार के पास पहले से ही नालंदा, बोधगया, वैशाली जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन तीर्थ स्थान हैं। मोकामा में TTD मंदिर इन सभी को एक नया और अलग आयाम दे देगा। यह परिसर सांस्कृतिक पर्यटन को नई ऊंचाई देगा, दक्षिण भारत की अद्भुत वास्तुकला शैली को बिहार में लाएगा और हजारों देशी-विदेशी आगंतुकों को यहां आकर्षित करेगा।
यह निर्णय बिहार के भविष्य के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू साबित होगा। मोकामा सिर्फ एक औद्योगिक और वाणिज्यिक शहर नहीं रह जाएगा; यह एक प्रमुख आध्यात्मिक हब भी बन जाएगा। नीतीश सरकार का यह दूरदर्शी कदम साफ दिखाता है कि बिहार अब सिर्फ अपनी महान प्राचीन विरासत पर ही नहीं, बल्कि भविष्य के विकास और प्रगति पर भी गंभीरता से ध्यान दे रहा है।


















