सोचिए, एक सरकारी दफ्तर में इंस्पेक्शन चल रहा है। वहां का लोकल SDM एक ‘सीनियर अफसर’ से बस इतना पूछ लेता है कि “सर, आप कौन से बैच के हैं?”
जवाब में क्या मिलता है? दो जोरदार थप्पड़ और एक डांट- “हमको नहीं पहचानते हो?”
हैरानी की बात ये नहीं कि थप्पड़ पड़ा। हैरानी की बात ये है कि वो असली SDM इतना डर गया कि उसने पुलिस कम्पलेन तक नहीं की। उसे लगा कि शायद सच में कोई बड़ा अफसर नाराज हो गया है।
महीनों बाद जब टीवी पर न्यूज़ आई कि गोरखपुर पुलिस ने एक ‘नकली IAS’ को पकड़ा है, तब उस SDM को झटका लगा- “अरे! ये तो वही आदमी है जिसने मुझे थप्पड़ मारा था।”
यह फ़िल्मी कहानी नहीं, बिहार के गौरव कुमार सिंह उर्फ ‘ललित किशोर’ की असली कारनामे की दास्तान है।

कौन है ये ‘मुन्ना भाई’?
सीतामढ़ी (बिहार) का रहने वाला गौरव कुमार सिंह मैथ्स में पोस्ट-ग्रेजुएट है। सपना था IAS बनने का। UPSC की तैयारी की, लेकिन पेपर क्लियर नहीं हुआ। फिर उसने सोचा- “अगर मेहनत करके IAS नहीं बन सकते, तो नाटक करके बन जाओ।”
और यहीं से जन्म हुआ 2022 बैच के फ़र्ज़ी IAS अधिकारी- ललित किशोर का।
5 लाख महीना खर्च, 10 गनर और नीली बत्ती
गौरव ने समझ लिया था कि भारत में ‘पावर’ नहीं, ‘दिखावा’ चलता है। उसने अपना झूठ सच करने के लिए पूरा ताम-झाम खड़ा किया:
- एक इनोवा गाड़ी जिस पर नीली बत्ती और ‘भारत सरकार’ लिखा था।
- साथ में 15 लोगों का स्टाफ और 10 हथियारबंद गनर।
- फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर और फाइलें।
इस पूरे ‘सिस्टम’ को चलाने का खर्च करीब 5 लाख रुपये महीना था। वो जहाँ भी जाता, ऐसा माहौल बनाता कि बड़े-बड़े अधिकारी भी नमस्ते करने लगते।
नौकरी और टेंडर के नाम पर करोड़ों की ठगी
इस रौब का असली मकसद था- ठगी। गौरव UP, बिहार, झारखंड और MP में घूम-घूमकर ठेकेदारों और बेरोजगारों को निशाना बनाता था।
- किसी को बड़ा सरकारी टेंडर दिलाने का वादा।
- किसी को सरकारी नौकरी का झांसा।
उसका जाल इतना बड़ा था कि सिर्फ एक डील में उसने 5 करोड़ रुपये तक कमाए। लोग उसकी ‘लाल बत्ती’ और ‘गनर्स’ देख कर बिना सवाल किए पैसा दे देते थे।
4 गर्लफ्रेंड्स और पर्सनल लाइफ का ड्रामा
ठगी के साथ-साथ गौरव की पर्सनल लाइफ भी किसी वेब सीरीज से कम नहीं थी। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि उसकी 4 गर्लफ्रेंड्स थीं। इनमें से 3 ने तो यह दावा किया कि वे प्रेग्नेंट हैं। वे सभी यही मानती थीं कि उनका बॉयफ्रेंड एक बहुत बड़ा और रसूखदार IAS अफसर है।
खेल ख़त्म कैसे हुआ?
गौरव का पाप का घड़ा तब फूटा जब उसका एक आदमी (व्यापारी) गोरखपुर स्टेशन पर 99 लाख रुपये कैश के साथ पकड़ा गया। यह पैसा गौरव के पास ही जा रहा था। जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो तार जुड़ते गए और पुलिस इस ‘नटवरलाल’ तक पहुंच गई।
सबक क्या है?
गौरव कुमार सिंह की कहानी हमें बताती है कि हम अक्सर वर्दी, गाड़ी और गनमैन देखकर इतने प्रभावित हो जाते हैं कि सवाल पूछना भूल जाते हैं। जिस SDM ने थप्पड़ खाकर चुप्पी साध ली थी, अगर उसने उसी वक्त हिम्मत दिखाई होती, तो शायद कई लोग ठगी का शिकार होने से बच जाते।

















