बिहार के नवादा जिले का दक्षिणी सिरा जो कभी सिर्फ प्राचीन अध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता था, आज एक बड़े बदलाव के कगार पर खड़ा है। रजौली प्रखंड, जो सप्तऋषियों की कर्मभूमि मानी जाती है, अब बिहार के लिए एक नई आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र बनने की ओर अग्रसर है।

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जहां का स्वर्गीय अतीत, वहां का औद्योगिक भविष्य
नवादा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर, धनार्जय नदी के किनारे बसा रजौली कोई साधारण प्रखंड नहीं है। यह वह जगह है जहां सिक्खों के पहले गुरु नानकदेव ने भारत भ्रमण के दौरान साढ़े चार महीने रहकर स्थानीय लोगों को खेती-किसानी की प्रेरणा दी थी। यहां का गुरुद्वारा रजौली संगत देश की सबसे बड़ी सिख संगतों में से एक माना जाता है, जो बिहार पर्यटन के “गुरु सर्किट” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज इस पवित्र धरती की महत्ता यहीं सीमित नहीं है। रजौली का भौगोलिक स्थान, इसका भूगोल, यहां की जलवायु और संसाधन—सब कुछ मिलकर इसे 21वीं सदी के लिए एक अलग ही महत्व देते हैं।
गंभीर चिंता थी, ठोस समाधान निकला
नवादा-गया-जमुई सीमांत क्षेत्र को ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील माना जाता रहा है। यहां NH-20 से गुजरते भारी वाहनों की भीड़, झारखंड सीमा की निकटता, और पहाड़ी-जंगली भूगोल—ये सब कारण मिलकर सुरक्षा चुनौतियां खड़ी करते थे। साथ ही, यहां की खनिज संपदा और विकास की अपार संभावनाएं भी थीं, लेकिन उचित सुरक्षा ढांचे की कमी के कारण औद्योगिक निवेश में अनिच्छा बनी रहती थी।
यह वही समय था जब सरकार ने गंभीरतापूर्वक सोचा और फैसला लिया—रजौली को सुरक्षा और उद्योग का एक मजबूत केंद्र बना दिया जाए।
44 एकड़ की जमीन, लेकिन कितनी महत्वपूर्ण
दिसंबर 2025 में, नवादा जिला प्रशासन ने 44 एकड़ की विशेष सरकारी परती भूमि की पहचान की। यह जमीन बिल्कुल साफ-सुथरी, किसी विवाद से मुक्त, किसी अतिक्रमण से परे थी। इसमें न तो कोई धार्मिक स्थल था, न ही कोई स्मारक या नदी-नाला, न ही कोई कानूनी उलझन।
जिला प्रशासन ने इसी जमीन पर बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (SISF) की एक बटालियन के निर्माण का प्रस्ताव राज्य गृह विभाग को भेज दिया। केंद्रीय CISF के तर्ज पर, यह बिहार की अपनी सुरक्षा एजेंसी होगी जो औद्योगिक इकाइयों, बिजली परियोजनाओं, और संवेदनशील बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में सहायक बनेगी।
सौर ऊर्जा से लेकर मत्स्य पालन तक
रजौली में बदलाव की कहानी सिर्फ सुरक्षा से शुरू नहीं होती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाल के दौरे के दौरान, फुलवरिया जलाशय में 10 मेगावाट क्षमता वाली एक आधुनिक फ्लोटिंग सौर ऊर्जा संयंत्र की प्रगति को देखा गया। यह “ऊपर बिजली, नीचे मछली” के मॉडल पर काम कर रहा है—अर्थात, जलाशय की सतह पर सौर पैनल बिजली बनाते हैं, और नीचे मत्स्य पालन का काम चलता है।
इसी 30 एकड़ के जलाशय में 182 फिश केज के साथ एक आधुनिक मत्स्य पालन मॉडल भी चल रहा है। यह सिर्फ आय का स्रोत नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए कौशल विकास और रोजगार का भी अवसर है।
औद्योगिक विकास के लिए 220 एकड़ का स्वप्न
सुरक्षा कैंप का एक अलग महत्व है, लेकिन रजौली का असली रूपांतरण होगा एक बृहत् औद्योगिक विकास क्षेत्र के निर्माण से। जिला प्रशासन ने पहले ही 220.48 एकड़ भूमि औद्योगिक विकास के लिए चिह्नित कर दी है। इसमें 81 एकड़ सरकारी भूमि है, जबकि 139.48 एकड़ निजी (रैयती) भूमि का अधिग्रहण प्रक्रिया जारी है।
इस औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा परियोजनाएं, खनन गतिविधियां, ट्रांसपोर्ट हब, वेयरहाउसिंग जैसी विभिन्न आर्थिक गतिविधियां विकसित हो सकेंगी। सरकार रजौली में एक न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की भी योजना बना रही है, जो सीवान और बांका जैसे अन्य जिलों के साथ मिलकर बिहार की ऊर्जा आपूर्ति को एक नया आयाम देगा।
रोजगार, बाजार, और आर्थिक चेतना
SISF कैंप और औद्योगिक केंद्र के निर्माण के दौरान भवन निर्माण, सप्लाई, परिवहन, विद्युत, मैकेनिकल कार्य, बाजार सेवाएं—सब क्षेत्रों में हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
कैंप के संचालित होने के बाद, हजारों जवानों की आवाजाही से रजौली का बाजार पूरी तरह जीवंत हो जाएगा। खान-पान की दुकानें, सेवा केंद्र, परिवहन व्यवसाय—सब कुछ नई ऊंचाई पर पहुंचेगा। और यह सिर्फ अर्थव्यवस्था का विस्तार नहीं होगा, बल्कि युवाओं के लिए कौशल और शिक्षा के नए द्वार खुलेंगे।
अपराध पर नियंत्रण, सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा
इस क्षेत्र में लंबे समय से अपराध और नक्सली गतिविधियां एक समस्या रही हैं। SISF की उपस्थिति से पुलिस बल को मजबूत आधार मिलेगा। राजमार्ग सुरक्षा, औद्योगिक क्षेत्रों की निगरानी, और संवेदनशील क्षेत्रों में तत्परता—सब कुछ को एक नई दिशा मिलेगी।
SISF की तैनाती के बाद, रजौली नवादा, गया, जमुई और झारखंड सीमा तक के सुरक्षा प्रबंधन का केंद्र बिंदु बन जाएगा। यह पूरे मगध क्षेत्र के लिए एक सुरक्षा-औद्योगिक हब का निर्माण करेगा।
इतिहास दोहराया जा रहा है
यह दिलचस्प है कि वह धरती जो कभी सप्तऋषियों की तपोभूमि थी, जहां गुरु नानक ने मानवता की सेवा का संदेश दिया, अब 21वीं सदी में राज्य की आर्थिक और सुरक्षा ताकत बनने जा रही है।
दिसंबर 2025 में मुख्यमंत्री का दौरा सिर्फ एक निरीक्षण नहीं था—यह एक संदेश था कि बिहार की सरकार अपने पिछड़े और सीमांत क्षेत्रों पर गंभीर नजर रख रही है। रजौली के विकास की यह यात्रा अभी शुरू हुई है, लेकिन यह स्पष्ट दिख रहा है कि आने वाले वर्षों में यह प्रखंड न सिर्फ नवादा का, बल्कि पूरे दक्षिण बिहार का एक गर्व बनने वाला है।
जहां इतिहास ने आध्यात्मिकता लिखी थी, वहां भविष्य व्यावहारिक विकास लिखने जा रहा है। और यह बिहार के लिए एक नई शुरुआत है।














