अगर आप मुजफ्फरपुर मेट्रोमें रहते हैं, तो ‘ट्रैफिक जाम’ शब्द सुनकर ही शायद आपका मूड खराब हो जाता होगा। मोतीझील की भीड़ हो या जीरो माइल का रेंगता हुआ ट्रैफिक—हम सबने इसमें घंटों बर्बाद किए हैं। लेकिन अब खुश हो जाइए, क्योंकि आपके शहर की किस्मत बदलने वाली है। पटना के बाद अब मुजफ्फरपुर मेट्रो बिहार का दूसरा ऐसा शहर बनने जा रहा है, जहाँ मेट्रो की सीटी सुनाई देगी।
जी हाँ, यह अब केवल कागजी बात नहीं रही। सरकार ने इसके लिए हरी झंडी दिखा दी है और काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। आइए, आसान शब्दों में समझते हैं कि यह मेट्रो आपके लिए क्या लेकर आ रही है और यह कब तक शुरू होगी।

आखिर क्या है पूरा प्लान?
सरकार जानती है कि मुज़फ़्फ़रपुर तेज़ी से फैल रहा है और पुरानी सड़कें अब इस बोझ को नहीं उठा सकतीं। इसलिए, शहर के लिए एक ‘लाइट मेट्रो’ (Light Metro) सिस्टम प्लान किया गया है। यह दिल्ली या पटना जैसी भारी-भरकम मेट्रो से थोड़ी हल्की होगी, लेकिन काम वही करेगी—आपको फटाफट एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना।
सबसे खास बात यह है कि यह पूरी मेट्रो जमीन से ऊपर (Elevated) चलेगी। यानी सड़कों के बीच में पिलर खड़े होंगे और उनके ऊपर से ट्रेन गुजरेगी। इसका फायदा यह है कि खुदाई के कारण शहर को सालों तक परेशान नहीं होना पड़ेगा ।
रूट मैप:कहाँ से कहाँ तक जाएगी मुजफ्फरपुर मेट्रो ?
पूरे शहर को कवर करने के लिए मेट्रो के दो मुख्य रास्ते (Corridors) बनाए जा रहे हैं। इनकी कुल लंबाई करीब 21 किलोमीटर होगी और इसमें कुल 20 स्टेशन होंगे।
1. कॉरिडोर-1: शहर का सबसे लंबा रूट (पश्चिम से दक्षिण)
यह रूट उन लोगों के लिए लाइफलाइन बनेगा जो शहर के बाहरी इलाकों से आते हैं।
- कहाँ से कहाँ तक: यह हरपुर बखरी (पश्चिम) से शुरू होकर रामदयालु नगर (दक्षिण) तक जाएगा।
- लंबाई: लगभग 14 किलोमीटर।
- मुख्य स्टेशन: रास्ते में यह अहियापुर, जीरो माइल, बैरिया बस स्टैंड (ISBT), और भगवानपुर जैसे सबसे व्यस्त इलाकों को कवर करेगी। सोचिए, बस स्टैंड से उतरकर सीधे मेट्रो पकड़ी और शहर के किसी भी कोने में पहुँच गए—बिना किसी ऑटो-रिक्शा की किचकिच के ।
2. कॉरिडोर-2: हॉस्पिटल और स्टेशन को जोड़ने वाला रूट (उत्तर से मध्य)
यह रूट छोटा है, लेकिन बहुत काम का है।
- कहाँ से कहाँ तक: यह SKMCH (मेडिकल कॉलेज) से शुरू होकर सीधे मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे जंक्शन तक जाएगा।
- लंबाई: लगभग 7.5 किलोमीटर।
- फायदा: गाँव-देहात से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब ट्रैफिक में नहीं फंसना होगा। वे स्टेशन से सीधे मेट्रो लेकर अस्पताल पहुँच सकेंगे ।
काम की बात: ‘जीरो माइल’ वह स्टेशन होगा जहाँ ये दोनों लाइनें मिलेंगी। अगर आपको एक रूट से दूसरे रूट पर जाना है, तो आप यहाँ ट्रेन बदल सकेंगे।
यह साधारण ट्रेन से कैसे अलग होगी मुजफ्फरपुर मेट्रो ?
मुज़फ़्फ़रपुर के लिए ‘मेट्रोलाइट’ (Metrolite) तकनीक का सुझाव दिया गया है।
- इसमें साधारण मेट्रो की तरह 6-8 डिब्बे नहीं, बल्कि 3 छोटे डिब्बे हो सकते हैं।
- यह सस्ती है और मुज़फ़्फ़रपुर जैसे शहरों की आबादी के लिए एकदम सही है।
- इसकी टिकट भी आम आदमी की जेब पर भारी नहीं पड़ेगी।
कब तक शुरू होगी मुजफ्फरपुर मेट्रो ?
अब आप पूछेंगे कि “भैया, सपने तो बहुत देख लिए, ये बताओ शुरू कब होगी?” देखिए, सरकारी काम में थोड़ा समय तो लगता है, लेकिन इस बार रफ़्तार अच्छी है।
- अभी क्या चल रहा है: RITES कंपनी ने सर्वे पूरा करके अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मार्च 2025 तक प्रोजेक्ट की पूरी डिटेल रिपोर्ट (DPR) फाइनल हो जाएगी ।
- निर्माण: उम्मीद है कि अगले 1-2 सालों में जमीन पर काम शुरू हो जाएगा।
- टारगेट: सरकार का लक्ष्य है कि 2029 तक मुज़फ़्फ़रपुर के लोग मेट्रो में सफर करना शुरू कर दें ।
- समय की बचत: जो रास्ता तय करने में अभी एक घंटा लगता है, वह मेट्रो से 15-20 मिनट में पूरा होगा।
- प्रदूषण से राहत: सड़कों से हजारों ऑटो और गाड़ियाँ कम होंगी, तो हवा साफ होगी।
- रोज़गार: बैरिया और रामदयालु जैसे इलाकों में नए बाज़ार और ऑफिस खुलेंगे।
मुज़फ़्फ़रपुर मेट्रो सिर्फ लोहे और कंक्रीट का प्रोजेक्ट नहीं है, यह शहर की नई पहचान बनने जा रहा है। करीब 5,500 करोड़ रुपये की यह परियोजना शहर को एक महानगर (Metropolitan City) जैसी सुविधाएं देगी। तो तैयार हो जाइए, कुछ ही सालों में आपका शहर भी मेट्रो वाला शहर कहलाएगा!


















