पटना के प्रशासन ने 15 दिसंबर 2025 को गांधी मैदान में प्रतियोगी परीक्षाओं की फिजिकल ट्रेनिंग पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय प्रमंडलीय आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में लिया गया, जिसमें लगभग 10-15 कोचिंग संस्थानों और निजी प्रशिक्षकों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया।

प्रतिबंध का कारण
प्रशासन का मुख्य तर्क यह है कि लंबे समय से की जाने वाली फिजिकल ट्रेनिंग गतिविधियों से गांधी मैदान की हरियाली को गंभीर नुकसान हुआ है। दौड़ और लंबी कूद जैसी गतिविधियों से मैदान की घास नष्ट हो गई है और जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। इसके अलावा, मैदान की खराब स्थिति से उड़ने वाली धूल के कारण वायु प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है।
सामान्य नागरिकों, संगठनों और स्थानीय लोगों से लगातार शिकायतें आ रही थीं कि मैदान अब टहलने और खेलने के लिए उपयुक्त नहीं रह गया है। बुजुर्ग, बच्चों और परिवारों को पार्क जैसी सुविधा नहीं मिल पा रही थी।
प्रतिबंध के दायरे में शामिल गतिविधियां
प्रतिबंध में निम्नलिखित शारीरिक गतिविधियां शामिल हैं:
- दौड़ना
- लंबी कूद
- ऊंची कूद
- प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े अन्य फिजिकल टेस्ट
- कोचिंग संस्थानों द्वारा संगठित प्रशिक्षण
कोचिंग संस्थानों के संचालकों और प्रशिक्षकों पर वैधानिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। उल्लंघन करने वाले को कानूनी कार्रवाई, जुर्माना और संस्थान के रजिस्ट्रेशन रद्द होने का सामना करना पड़ सकता है।
वैकल्पिक प्रशिक्षण स्थान
प्रशासन ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए वैकल्पिक स्थान सुझाए हैं। अभ्यर्थी अब गंगा के घाटों पर – दिघा क्षेत्र, कलेक्ट्रेट घाट और अन्य निर्धारित स्थानों पर फिजिकल ट्रेनिंग कर सकते हैं। आयुक्त के अनुसार, ये स्थान बेहतर वातावरण, अच्छी हवा की गुणवत्ता और पर्याप्त स्थान प्रदान करते हैं।
गांधी मैदान के सुधार की योजना
प्रशासन ने मैदान को पुनः हरा-भरा करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की घोषणा की है:
हरियाली और धूल नियंत्रण:
- खाली और क्षतिग्रस्त स्थानों पर नई घास लगाई जाएगी
- सुबह और शाम नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाएगा
- औषधीय और छायादार पेड़ों का रोपण किया जाएगा
अवसंरचना में सुधार:
- टूटे हुए वॉकिंग ट्रैक और पथ-मार्गों की मरम्मत
- 128 उच्च-परिभाषा सीसीटीवी कैमरे सक्रिय किए गए हैं, जिनमें विश्लेषणात्मक और पीटीजेड मॉडल शामिल हैं
- 15 हाई-मास्ट लाइटें और 56 सजावटी रोशनियों का रखरखाव
सुरक्षा और निगरानी:
- नियमित पुलिस गश्त
- स्ट्रीट लाइटिंग में सुधार
युवाओं और कोचिंग संस्थानों पर प्रभाव
यह निर्णय बिहार के हजारों युवाओं के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। गांधी मैदान को परंपरागत रूप से “पुलिस और दारोगा भर्ती की कारखाना” कहा जाता रहा है, जहां सुबह-शाम हजारों अभ्यर्थी शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) की तैयारी करते हैं। इस प्रतिबंध से कोचिंग संस्थानों के संचालक और छात्र दोनों ही निराश हैं।
अभ्यर्थियों का तर्क है कि पटना शहर में बड़े ओपन ग्राउंड की कमी है, और गांधी मैदान ही एकमात्र सुलभ विकल्प था। हालांकि, प्रशासन का मानना है कि वैकल्पिक स्थान समान सुविधाएं प्रदान करते हैं।
यह निर्णय संरक्षण और विकास के बीच संतुलन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जहां सार्वजनिक स्थानों को संरक्षित रखने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।

















