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Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi movie review

दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी(Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi) : Movie review

याद है कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वो फोटोज़ वायरल हुई थीं? संजय मिश्रा दूल्हा बने थे और उनके साथ महिमा चौधरी दुल्हन के लिबास में थीं। इंटरनेट पर कोहराम मच गया था कि क्या सच में इन दोनों ने शादी कर ली? खैर, वो तो प्रमोशन का एक किलर ‘गिमिक’ था, लेकिन आज जब फिल्म Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है, तो समझ आया कि ये शोर क्यों था। 19 दिसंबर 2025 की ये रिलीज सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक इमोशन है जो आपको हंसाते-हंसाते थोड़ा सा रुला भी देगी ।

Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi movie review

कहानी में ट्विस्ट: बेटा बना अपने बाप का ‘मैचमेकर’

कहानी शुरू होती है बनारस की उन संकरी गलियों से जहाँ मुरली प्रसाद (व्योम यादव) अपनी शादी के सपने देख रहा है। लेकिन ट्विस्ट ये है कि उसके होने वाले ससुराल वाले एक अजीब शर्त रख देते हैं। उनका कहना है कि जिस घर में कोई औरत न हो, वो घर नहीं बल्कि सिर्फ ‘ईंट-पत्थर का मकान’ होता है । मुरली की मां अब इस दुनिया में नहीं हैं, और घर में सिर्फ ‘तीन सांड’ (मुरली, उसके पिता और मामा) रहते हैं

अपनी शादी बचाने के लिए मुरली एक ऐसा कदम उठाता है जो हमारे समाज में आज भी ‘टैबू’ माना जाता है। वो अपने 55 साल के विधुर पिता, दुर्लभ प्रसाद (संजय मिश्रा) के लिए दुल्हन खोजने निकल पड़ता है। यहाँ से शुरू होता है हंसी, कन्फ्यूजन और जज्बातों का एक ऐसा रोलर-कोस्टर जो आपको सीट से बांधे रखेगा

संजय मिश्रा: सादगी का वो जादू जो सिर चढ़कर बोलता है

संजय मिश्रा के बारे में क्या ही कहें? वो इस फिल्म की जान और रूह हैं। दुर्लभ प्रसाद के रोल में उन्होंने जो मासूमियत दिखाई है, वो आपको उनकी पिछली फिल्मों जैसे ‘आंखों देखी’ की याद दिला देगी । वो कोई हीरो नहीं हैं, वो बस एक आम इंसान हैं जो अपनी लाइफ की ‘सेकंड इनिंग्स’ खेलने से डर रहा है। फिल्म में जब वो बनारसी लहजे में बात करते हैं, तो लगता ही नहीं कि वो एक्टिंग कर रहे हैं । पोस्टर में उनके हाथ में ‘Second Innings’ नाम की किताब देखना ही ये साफ कर देता है कि ये फिल्म जिंदगी को दोबारा शुरू करने के साहस के बारे में है

महिमा चौधरी: ग्रेसफुल कमबैक और वो बेमिसाल केमिस्ट्री

महिमा चौधरी ने ‘बबीता’ के किरदार में जो जान फूंकी है, वो काबिले-तारीफ है। ‘परदेस’ वाली उस चुलबुली लड़की से लेकर इस मैच्योर बबीता तक का सफर उनकी आंखों में दिखता है । बबीता का वो बीड़ी पीने वाला सीन और उनका डायलॉग—”कसम खायी थी बीड़ी छोड़ने की पर ये तो बीड़ी है”—थिएटर में सीटियां बजवाने के लिए काफी है । संजय और महिमा की केमिस्ट्री में वो भागदौड़ वाला रोमांस नहीं है, बल्कि एक ठहराव है, जो आजकल की फिल्मों में कम ही दिखता है

बनारस का वो फ्लेवर जो रूह तक पहुँच जाए

निर्देशक सिद्धांत राज सिंह ने बनारस को सिर्फ एक लोकेशन की तरह नहीं, बल्कि एक कैरेक्टर की तरह इस्तेमाल किया है । घाटों की वो शांति, गलियों का शोर और गंगा की लहरें—अनिल सिंह की सिनेमैटोग्राफी ने शहर के आध्यात्मिक चार्म को बखूबी कैप्चर किया है । और सोने पर सुहागा है अनुराग सैकिया का संगीत। ‘लग रही दुआ’ गाना आपके प्लेलिस्ट में लंबे समय तक टिकने वाला है

आखिर क्यों देखें ये फिल्म?

अक्सर हम भूल जाते हैं कि हमारे पेरेंट्स की भी अपनी एक अलग पहचान है। उनके भी कुछ अरमान हो सकते हैं, उन्हें भी अकेलेपन से डर लग सकता है। ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ हमें यही याद दिलाती है कि प्यार और साथ की कोई ‘expiry date’ नहीं होती। अगर आपके घर में भी कोई बड़ा-बुजुर्ग अकेला है, तो ये फिल्म देखने के बाद आप शायद उनसे एक अलग नजरिए से बात करेंगे।

सोशल मैसेज: ‘लोग क्या कहेंगे’ वाली बीमारी का इलाज

फिल्म का क्लाइमेक्स जबरदस्त है। जब पंडित जी सुनते हैं कि दूल्हे की उम्र 55 पार है, तो उनका रिएक्शन होता है—”इसको गंगा में धक्का दे दो!” । ये लाइन हंसी तो लाती है, लेकिन हमारे समाज की उस कड़वी सोच को भी दिखाती है जहाँ बुजुर्गों की इच्छाओं को मजाक समझा जाता है। फिल्म बिना किसी भारी-भरकम लेक्चर के ये समझा देती है कि ‘साथ’ (companionship) की जरूरत हर उम्र में होती है

फिल्म के कुछ खास पहलू:

  • हास्य (Humor): बनारसी चुटकुलों और सिचुएशनल कॉमेडी का परफेक्ट मिक्स ।
  • अभिनय (Acting): व्योम यादव और श्रीकांत वर्मा ने सपोर्टिंग रोल में महफिल लूट ली है ।
  • लेंथ (Runtime): 2 घंटे 10 मिनट की ये फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती ।

अगर आप इस वीकेंड किसी भारी-भरकम एक्शन या डार्क थ्रिलर से बोर हो चुके हैं, तो अपनी फैमिली को लेकर ये फिल्म देखने जरूर जाएं। ये एक ऐसी ‘क्लीन एंटरटेनर’ है जिसे आप अपनी नानी-दादी और बच्चों के साथ बेझिझक देख सकते हैं

हमारा फैसला: दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी एक ऐसी फिल्म है जो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट और दिल में एक सुकून छोड़ जाएगी। इसे मिस करना मतलब एक बेहतरीन देसी कहानी को मिस करना है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)

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