बिहार का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के दिमाग में क्या आता है? हरे-भरे खेत, मेहनत करने वाले लोग या फिर वो कड़क IAS ऑफिसर। लेकिन अब सीन बदलने वाला है। दोस्तों, 25 नवंबर 2025 को बिहार कैबिनेट ने कुछ ऐसा किया है जो आने वाले सालों में हमारे राज्य की तस्वीर पूरी तरह बदल सकता है। हम बात कर रहे हैं बिहार AI मिशन (Bihar AI Mission) की।
ये सिर्फ एक सरकारी पॉलिसी नहीं है, बल्कि एक सपना है बिहार को “Eastern India का टेक हब” बनाने का । अगर आप सोच रहे हैं कि इसमें आपके लिए क्या है, तो चलिए एक “Wise Friend” की तरह इसकी गहराइयों में उतरते हैं।
1 करोड़ नौकरियां: क्या ये मुमकिन है?
सबसे बड़ी बात जो इस मिशन के साथ जुड़ी है, वो है अगले 5 साल (2025–2030) में 1 करोड़ (10 million) नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य । सुनने में ये आंकड़ा बहुत बड़ा लगता है, और ईमानदारी से कहें तो ये एक बहुत बड़ा चैलेंज भी है। लेकिन सरकार का प्लान “सात निश्चय-3” (Saat Nischay-3) के तहत काफी सॉलिड लग रहा है ।
सरकार का इरादा है कि बिहार के युवाओं को पलायन (migration) न करना पड़े। इसके लिए “Mega Tech City”, “Fintech City” और यहाँ तक कि एक “Semiconductor Manufacturing Park” बनाने की तैयारी है । सोचिए, अगर हमारे अपने राज्य में चिप्स और सॉफ्टवेयर बनने लगें, तो हमारे टैलेंटेड भाइयों और बहनों को बेंगलुरु या गुड़गांव जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ।

खेती में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का जादू
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, हमारी लगभग $24\%$ GDP खेती से आती है । अब एआई यहाँ क्या करेगा?
- AgriCoE (Agriculture Center of Excellence): जल्द ही एक ऐसा सेंटर खुलेगा जहाँ एआई और मशीन लर्निंग के ज़रिए फसलों की पैदावार बढ़ाई जाएगी ।
- Pest Detection: अब किसानों को फसल खराब होने का इंतज़ार नहीं करना होगा। एआई सिस्टम फोटो देखकर बता देगा कि कौन सा कीड़ा लगा है और उसे कैसे ठीक करना है ।
- मौसम का सही अंदाज़ा: लोकल लेवल पर मानसून कब आएगा, इसकी जानकारी अब SMS के जरिए मिलेगी, जिससे किसान सही वक्त पर बुआई कर सकेंगे ।
खासकर “मखाना रोडमैप” और मिथिला-सीमांचल के लिए “IT & Youth Skill Hub” जैसे प्रोजेक्ट्स इस बात का सबूत हैं कि सरकार ज़मीनी स्तर पर काम करना चाहती है ।
स्वास्थ्य और शिक्षा: अब इलाज और पढ़ाई होगी स्मार्ट
गाँव के छोटे अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होते, ये हम सब जानते हैं। बिहार AI मिशन यहाँ बड़ा रोल प्ले करेगा। एआई-बेस्ड डायग्नोस्टिक्स के ज़रिए अब गाँव का मेडिकल स्टाफ भी टीबी (Tuberculosis) या कैंसर जैसी बीमारियों की शुरुआती पहचान कर सकेगा ।
शिक्षा की बात करें, तो 2026-27 से स्कूलों में क्लास 3 से ही एआई पढ़ाया जाने लगेगा । इसके लिए पटना में “AI Centre of Excellence” के लिए ₹500 करोड़ का बजट भी रखा गया है ।
दोस्तों, सरकार अपनी तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर बना रही है, लेकिन एआई की दुनिया बहुत तेज़ है। मेरा सुझाव है कि आप सिर्फ डिग्री के भरोसे न रहें। कोडिंग, डेटा एनालिटिक्स या कम से कम एआई टूल्स का इस्तेमाल करना आज से ही शुरू कर दें। बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन (BSDM) के “Kushal Yuva Program” जैसे कोर्सेज का फायदा उठाएं । याद रखिए, अवसर उन्हीं को मिलता है जो तैयार होते हैं।
पार्टनरशिप और रिसर्च: IIT पटना का रोल
इस मिशन को चलाने के लिए सरकार अकेले काम नहीं कर रही है। IIT पटना इस पूरे खेल का बड़ा खिलाड़ी है । यहाँ का “AI-NLP-ML” ग्रुप सालों से भारतीय भाषाओं पर काम कर रहा है। ‘Bhashini’ जैसे प्लेटफॉर्म्स की मदद से अब भाषा की दीवार टूटेगी और लोग अपनी मातृभाषा में टेक का इस्तेमाल कर पाएंगे ।
नैतिकता और सुरक्षा: “सेवन सूत्र”
एआई के साथ खतरे भी आते हैं—जैसे डीपफेक और डेटा चोरी। बिहार का ये मिशन “सेवन सूत्र” (Seven Sutras) पर टिका है, जिसमें “Trust” और “People First” सबसे ऊपर हैं । सरकार का कहना है कि तकनीक का इस्तेमाल इंसान की भलाई के लिए होगा, न कि उसे नुकसान पहुँचाने के लिए ।
चलते-चलते
क्या बिहार रातों-रात सिलिकॉन वैली बन जाएगा? शायद नहीं। लेकिन ₹3.17 लाख करोड़ का बजट और 11 नए टाउनशिप्स का प्लान ये बताता है कि मंशा नेक है । बिहार का युवा हमेशा से मेहनती रहा है, बस उसे सही औज़ार (tools) की कमी थी। बिहार AI मिशन वही औज़ार देने की कोशिश है।


















