Mobile Only Menu
  • Home
  • पर्यटन
  • बिहार का महासेतु: भेजा-बकौर पुल, देश की सबसे लंबी नदी सेतु
बिहार का महासेतु भेजा-बकौर पुल, देश की सबसे लंबी नदी सेतु

बिहार का महासेतु: भेजा-बकौर पुल, देश की सबसे लंबी नदी सेतु

जब आप कोसी नदी के किनारे सुपौल की बकौर गांव में खड़े होते हैं, तो सामने का दृश्य आपको हैरान कर देता है। 10.2 किलोमीटर लंबा एक विशाल पुल आपके सामने उभरा हुआ दिखता है, जहाँ 170 पिलरों पर यह ढांचा खड़ा है। यह सिर्फ एक पुल नहीं है, बल्कि बिहार के विकास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है—भेजा-बकौर पुल, जो भारत का सबसे लंबा रिवर ब्रिज बनने वाला है।​

बिहार का महासेतु भेजा-बकौर पुल, देश की सबसे लंबी नदी सेतु

पुल की विशालता: संख्याओं में

यह पुल मधुबनी जिले के भेजा गांव से सुपौल जिले के बकौर को जोड़ता है। पुल की लंबाई 10.2 किमी है, पर यदि आप दोनों तरफ के एप्रोच रोड को जोड़ें तो कुल लंबाई 13 किमी तक जाती है। पुल की चौड़ाई 16 मीटर है, जिसमें 11 मीटर की कैरिजवे है—इतनी चौड़ी कि तीन गाड़ियां एक साथ दौड़ सकें। इसके अलावा दोनों ओर फुटपाथ भी बना हुआ है।​​

कोसी नदी की चौड़ाई यहाँ 9.5 किमी के करीब है, जिसकी वजह से इस पुल की लंबाई इतनी ज्यादा है। पुल को 170 पिलरों पर तैयार किया जा रहा है। इसमें कुल बजट 1,200 करोड़ रुपये है।​

कोसी नदी: प्रकृति की चुनौती

कोसी नदी को ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है। यह नदी हर साल अपनी धारा बदलती रहती है, जिससे इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या गंभीर है। इस पुल को डिजाइन करते समय इंजीनियरों को इसी समस्या को ध्यान में रखना पड़ा। इसलिए पुल के बीच में 60-60 मीटर के दो अतिरिक्त छोटे पुल भी बनाए गए हैं, ताकि नदी अपनी धारा बदले तो वह सीधे इन खुली जगहों से निकल जाए। पिलरों की गहराई 23-30 मीटर तक रखी गई है।​​

निर्माण कार्य: देरी और दुर्घटना

इस महासेतु का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा दो कंपनियों—गैमन इंजीनियर्स और ट्रांसरेल लाइटिंग—के संयुक्त उद्यम में करवाया जा रहा है। निर्माण कार्य 170 स्पैन में विभाजित है, और 70 स्पैन का काम पहले ही पूरा हो चुका है।

लेकिन यह निर्माण यात्रा हमेशा आसान नहीं रही। मार्च 2024 में एक भयानक दुर्घटना हुई जब निर्माण के दौरान एक गिर्डर ढह गया। इस हादसे में एक श्रमिक की जान चली गई और नौ अन्य घायल हुए। लेकिन इस घटना के बाद सुरक्षा उपायों को और सख्त किया गया, और काम फिर से गति पकड़ने लगा।

यात्रा समय में क्रांति

अभी सुपौल से मधुबनी जाने के लिए लोगों को किशनपुर और सरैगढ़ के रास्ते लगभग 100-120 किमी की यात्रा करनी पड़ती है। लेकिन जब यह पुल बन जाएगा, तो यह दूरी सिर्फ 30 किमी रह जाएगी। इसका मतलब है कि सुपौल के लोग पटना और दरभंगा जाने के लिए बहुत कम समय लगाएंगे।

यह पुल नेपाल के लिए भी एक सीधा रास्ता खोलेगा। पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम और अन्य सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा।

मिथिलांचल क्षेत्र के लिए आशा

भेजा-बकौर पुल मिथिलांचल क्षेत्र के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण है। सुपौल और मधुबनी—ये दोनों जिले कृषि पर बहुत निर्भर हैं। जब यह पुल बन जाएगा, तो किसान अपनी उपज को सीधे मधुबनी के बड़े बाजारों में भेज सकेंगे। फल, सब्जियां, मैथी—जो चीजें यहाँ पैदा होती हैं, वह दूर दराज तक आसानी से पहुंचेगी।

यह पुल इस बाढ़-ग्रस्त क्षेत्र में व्यापार और व्यवसाय को नई जान देगा। छोटे-मोटे कारखाने, दुकानें, और सेवा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

निर्माण की प्रक्रिया: लांचिंग विधि

इस पुल का सुपरस्ट्रक्चर तीन चरणों में लांच किया जा रहा है। निर्माण में एक खास तकनीक का इस्तेमाल हुआ है जिसे ‘सेगमेंटल कैंटिलीवर लांचिंग’ कहते हैं। इसमें पुल के हिस्सों को धीरे-धीरे आगे की ओर डाला जाता है। यह तकनीक नदी की विस्तृत चौड़ाई के कारण इस्तेमाल की गई है।​

पूरा होने का समय

प्रारंभिक लक्ष्य दिसंबर 2024 तक इस पुल को पूरा करना था, लेकिन विभिन्न कारणों से देरी हुई। अब सरकार दिसंबर 2025 तक इसे पूरी तरह तैयार करने का लक्ष्य रख रही है। जुलाई 2025 तक निर्माण का 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया था।

एक गौरव की सेतु

जब आप इस पुल के बारे में सोचते हैं, तो सिर्फ कंक्रीट और स्टील की याद आती है—लेकिन असल में यह कहीं ज्यादा बड़ा है। यह बिहार के विकास की कहानी है। यह एक ऐसा पुल है जो न सिर्फ दो जिलों को जोड़ता है, बल्कि हजारों लोगों के सपनों को आपस में जोड़ता है।

भेजा-बकौर पुल जब बनकर तैयार हो जाएगा, तो यह भारत का गौरव होगा। देश का सबसे लंबा रिवर ब्रिज होने के नाते, यह एक मील का पत्थर साबित होगा—न सिर्फ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में, बल्कि बिहार के विकास के सफर में भी।​​

मुख्य विशेषताएं:

  • लंबाई: 10.2 किमी (+ 3 किमी एप्रोच रोड)
  • निर्माणकर्ता: गैमन इंजीनियर्स & ट्रांसरेल लाइटिंग जेवी
  • कुल बजट: 1,200 करोड़ रुपये
  • पिलर: 170
  • सड़क की चौड़ाई: 11 मीटर (कैरिजवे) + 5 मीटर (फुटपाथ)
  • संपूर्ण होने का लक्ष्य: दिसंबर 2025
  • यह घटाएगा: सुपौल-मधुबनी की दूरी 100 किमी से घटाकर 30 किमी करेगा

Releated Posts

मुजफ्फरपुर मेट्रो : शहर की रफ़्तार और तस्वीर दोनों बदलने वाली है!

अगर आप मुजफ्फरपुर मेट्रोमें रहते हैं, तो ‘ट्रैफिक जाम’ शब्द सुनकर ही शायद आपका मूड खराब हो जाता…

ByByManvinder Mishra Dec 15, 2025

राजगीर महोत्सव 2025: बिहार की संस्कृति का महाकुंभ

 19 से 21 दिसंबर को राजगीर में यह तीन दिनों का पर्व मनाया जाएगा। मेला राजगीर के इंटरनेशनल…

ByByHarshvardhan Dec 14, 2025

बिहार सरस मेला–2025: महिलाओं का आत्मनिर्भरता का पर्व

बिहार सरस मेला पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान पर 12 दिसंबर से 28 दिसंबर तक लगा है। यह मेला…

ByByHarshvardhan Dec 14, 2025

भारत की पहली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस: पटना-दिल्ली रूट पर आ रहा है

बड़ी खुशखबरी बिहार के लिए! भारतीय रेलवे अपनी सबसे आधुनिक और तेज ट्रेन वंदे भारत का स्लीपर संस्करण पटना-दिल्ली रूट…

ByByManvinder Mishra Dec 13, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top