बिहार लंबे समय तक फिल्मों में सिर्फ कहानी की पृष्ठभूमि के रूप में दिखता रहा, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। BSFDC एक ऐसा केंद्रीकृत सिस्टम तैयार कर रहा है जहाँ फिल्म निर्माताओं को लोकेशन स्काउटिंग, शूटिंग परमिशन, स्थानीय कंटेंट समर्थन, तकनीकी सहयोग और सरकारी समन्वय—सब कुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर मिलेगा। यह बदलाव सिर्फ प्रशासनिक सुविधा नहीं है, बल्कि बिहार को पेशेवर फिल्म निर्माण का नया केंद्र बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

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क्यों बढ़ रही है बिहार की पहचान फिल्म निर्माण हब के रूप में?
1. प्राकृतिक लोकेशनों की विविधता
राजगीर की पहाड़ियाँ, वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व का जंगल, मधुबनी का ग्रामीण इलाका, गया की बौद्ध विरासत, और पटना के आधुनिक शहरी लैंडस्केप—यह सब मिलकर बिहार को एक बहुआयामी शूटिंग डेस्टिनेशन बनाते हैं। फ़िल्ममेकर एक ही राज्य में कई तरह के सेटअप तैयार कर सकते हैं, जिससे प्रोडक्शन लागत भी घटती है।
2. इतिहास और संस्कृति की मौलिकता
नालंदा, वैशाली, विक्रमशिला, सोनपुर मेला जैसी जगहें स्क्रीन पर वैसी असलियत और गहराई देती हैं, जिसे कृत्रिम सेट से पाना मुश्किल होता है। मिथिला पेंटिंग, बिहारी लोकगीत, और सांस्कृतिक परंपराएँ कहानी को दृश्य और भाव दोनों स्तरों पर मजबूत करती हैं।
3. नई फिल्म नीतियाँ और आसान परमिशन
BSFDC “Single Window Clearance” की दिशा में काम कर रहा है। इसका अर्थ यह है कि अलग-अलग विभागों के चक्कर काटने की ज़रूरत नहीं रहेगी।
फिल्म यूनिट को लोकेशन, सुरक्षा, स्थानीय सहायता और लॉजिस्टिक्स—इन सभी की मंज़ूरी एक ही पोर्टल से मिलेगी।
4. स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
कैमरामैन, साउंड टेक्नीशियन, आर्टिस्ट, ड्रोन ऑपरेटर, लोकल गाइड, ट्रांसपोर्ट—सभी में नए अवसर बन रहे हैं।
बिहार में होने वाली शूटिंग से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर भी मजबूत होता है।
बिहार को क्यों चुन रहे हैं बड़े फिल्म प्रोड्यूसर?
1. लागत कम, प्रामाणिकता अधिक
बिहार की लोकेशन फीस, ह्यूमन रिसोर्स कॉस्ट और स्थानीय व्यवस्थाएँ दूसरे राज्यों की तुलना में काफी सस्ती पड़ती हैं।
इससे छोटे बजट की फिल्में और ओटीटी प्रोजेक्ट भी यहाँ आसानी से शूट हो पा रहे हैं।
2. कहानी की माँग
क्राइम, समाज, ग्रामीण जीवन, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, माइग्रेशन—इन विषयों पर आधारित कहानियाँ आज ओटीटी और सिनेमाघरों में लोकप्रिय हैं। बिहार, इन सभी विषयों के लिए एक वास्तविक पृष्ठभूमि देता है।
3. बुनियादी ढांचे का विकास
राजगीर फिल्म सिटी, आधुनिक होटल, बेहतर सड़कें, और 24×7 शूटिंग सपोर्ट टीम—ये सब बिहार को शूटिंग-फ्रेंडली बना रहे हैं
आगे का रास्ता
बिहार की नई पहलें सिर्फ फिल्मों के लिए आकर्षण पैदा नहीं कर रहीं, बल्कि एक समानांतर फिल्म इकॉनमी बना रही हैं।
BSFDC की कोशिश है कि आने वाले वर्षों में बिहार केवल लोकेशन नहीं, बल्कि प्रोडक्शन, पोस्ट-प्रोडक्शन और रिजनल कंटेंट हब के रूप में भी पहचाना जाए।
यदि यह गति बरकरार रहती है, तो बिहार निकट भविष्य में उन राज्यों की सूची में शामिल हो सकता है जो भारत के फिल्म उद्योग की दिशा तय करते हैं।
















