बिहार में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं की यात्रा को न केवल सुरक्षित बनाया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। पिंक बस सेवा आज बिहार के सार्वजनिक परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण और महिला-केंद्रित पहल बन गई है।

शुरुआत से विस्तार तक: पिंक बस की यात्रा
मई 2025 में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (BSRTC) ने पहली बार 20 सीएनजी पिंक बसों का संचालन शुरू किया था। ये बसें पटना, मुजफ्फरपुर, गया, पूर्णिया और दरभंगा जैसे प्रमुख शहरों में चलाई गईं, जहां पटना को 8 बसें मिलीं। फिर सितंबर 2025 में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 80 अतिरिक्त पिंक बसों को लॉन्च करके इस सेवा का विस्तार किया। अब बिहार में कुल 100 पिंक बसें महिलाओं की सेवा में लगी हुई हैं, जिनमें से 35 बसें अकेले पटना में संचालित हो रही हैं।
महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं: जहां सुरक्षा मिलती है प्राथमिकता
पिंक बसों को महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। हर बस में निम्नलिखित सुविधाएं हैं:
- जीपीएस ट्रैकिंग – बस की रीयल-टाइम ट्रैकिंग उपलब्ध है
- सीसीटीवी कैमरे – हर कोने में सुरक्षा व्यवस्था
- पैनिक बटन – आपातकालीन स्थिति में तुरंत मदद के लिए
- मेडिकल किट और सेनिटरी पैड – महिलाओं की स्वच्छता के लिए
- मोबाइल चार्जिंग पॉइंट – हर सीट पर उपलब्ध
- आरामदायक और विस्तृत सीटें – लंबी यात्रा के लिए आरामदेह
- स्पीड गवर्नर – सुरक्षित ड्राइविंग सुनिश्चित करता है
किराया भी अत्यंत किफायती रखा गया है। 6 रुपये से लेकर 35 रुपये तक की किराया सीमा में यात्रा कर सकती हैं महिलाएं। छात्राओं के लिए मासिक पास 400-450 रुपये में उपलब्ध है, जबकि कामकाजी महिलाओं के लिए 550 रुपये में। इसके अलावा, यात्रियों को Chalo मोबाइल ऐप के माध्यम से बस ट्रैक करने और टिकट बुकिंग की सुविधा भी दी गई है।
महिला स्टाफ: सशक्तिकरण की असली कहानी
पिंक बस सेवा की सबसे खास बात यह है कि इसमें सभी स्टाफ महिलाएं हैं। बस चालक, कंडक्टर और नोडल अधिकारी – सभी महिलाएं। यह महिला सशक्तिकरण का एक जीवंत उदाहरण है।
बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने 2,000 महिला चालकों को प्रशिक्षण देने की एक व्यापक योजना बनाई है। यह प्रशिक्षण तीन चरणों में चलाया जा रहा है, जहां हर चरण में 500 महिलाओं को 30 दिन की निशुल्क प्रशिक्षण दी जाती है।
प्रशिक्षण के लिए योग्यता:
- आयु: 18 से 35 साल के बीच
- शिक्षा: कम से कम 10वीं पास
- शारीरिक फिटनेस: पूरी तरह स्वस्थ और फिट होना आवश्यक
- ड्राइविंग लाइसेंस: LMV (Light Motor Vehicle) लाइसेंस होना अनिवार्य
प्रशिक्षण अरारिया जैसे केंद्रों पर रहकर दिया जाता है, जहां सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह निशुल्क हैं। सरकार न केवल प्रशिक्षण देती है, बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस दिलाने में भी सहायता करती है।
पटना में विस्तारित सेवा: नई रूटें, नई सुविधाएं
पटना में पिंक बसों का विस्तार तेजी से हो रहा है। पहले पटना में सिर्फ 8 बसें चलती थीं, लेकिन अब यह संख्या 30 तक बढ़ गई है। नई बसें 10 नई रूटों पर संचालित हो रही हैं:
- गांधी मैदान से AIIMS पटना तक (फुलवारीशरीफ होते हुए)
- दानापुर और कुर्जी रूट (बोरिंग रोड से होकर)
- NIT मोर से कंकड़बाग ऑटो स्टैंड तक
इन रूटों पर महिलाएं सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक आसानी से यात्रा कर सकती हैं।
प्रशिक्षण केंद्र: महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण
बिहार सरकार ने 27 जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग ट्रैक स्थापित किए हैं। ये केंद्र सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए बनाए गए हैं:
- अलग और स्वच्छ शौचालय सुविधाएं
- पीने के पानी की पूरी व्यवस्था
- ऊंची सीमा दीवारें – सुरक्षा के लिए
- आवासीय सुविधाएं – महिलाओं को रहने के लिए
महिला आयोग की मंजूरी: विश्वास और विश्वसनीयता
बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अप्सरा मिश्रा ने पिंक बसों का पूरा निरीक्षण किया और उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है क्योंकि यह न सिर्फ महिलाओं को सुरक्षित परिवहन देगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।” महिला आयोग ने संकेत दिया है कि वह समय-समय पर इन बसों की जांच जारी रखेगा।
हर महिला के लिए एक संदेश
परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने कहा कि यह सेवा सामाजिक सशक्तिकरण की एक महत्वपूर्ण दिशा है। पिंक बस केवल एक परिवहन साधन नहीं है – यह महिलाओं के आत्मविश्वास, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी है।
घरेलू काम करने वाली महिलाएं हों, कामकाजी महिलाएं हों या छात्राएं – सभी के लिए यह एक नया विकल्प है। यह सेवा उन्हें ऑटो और टैक्सी पर निर्भरता से मुक्त करती है और सुरक्षा तथा गरिमा के साथ यात्रा करने का अवसर देती है।
भविष्य की दिशा
अभी तक पटना और अन्य प्रमुख शहरों तक सीमित रही पिंक बस सेवा, लेकिन सरकार की योजना है कि इसे बिहार के और भी ज्यादा शहरों में विस्तारित किया जाए। यह पहल बिहार को महिला-सुरक्षित राज्य की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने वाली है।


















