बिहार की नई विधानसभा में इस बार शिक्षा का स्तर थोड़ा बेहतर दिखाई दे रहा है। 243 सीटों में से 147 विधायक यानी करीब 60% के पास ग्रेजुएशन या उससे ऊपर की डिग्री है। लेकिन सबसे खास बात ये है कि 20 विधायकों के पास PhD की डिग्री है, जो विधानसभा में सर्वोच्च शैक्षिक योग्यता मानी जाती है। आइए जानते हैं कौन हैं वे पढ़े-लिखे चेहरे जिन्होंने इस बार विधानसभा में अपनी जगह बनाई है।
PhD धारक विधायक – बिहार की शान
डॉ. मंजरिक मृणाल – वारिसनगर से जीते ये वैज्ञानिक शायद सबसे अनोखी कहानी हैं इस चुनाव की। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में PhD करने वाले मंजरिक ने 2014 से 2021 के बीच अपनी मास्टर्स और डॉक्टरेट पूरी की। वहां वे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग में स्पेशलाइजेशन कर रहे थे। उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में भी पढ़ाया और बाद में Hewlett-Packard की एडवांस रिसर्च लैब में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च इंजीनियर के रूप में काम किया, जहां वे 3D प्रिंटेड इलेक्ट्रॉनिक्स पर शोध कर रहे थे। आज वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर में सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी पर शोध कर रहे हैं। 35 साल के मंजरिक ने चार बार के विधायक अशोक कुमार के बेटे हैं और अपने डेब्यू इलेक्शन में ही जीत हासिल की।

डॉ. अशोक चौधरी – JDU के ये वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से MA किया और 2003 में मगध विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में PhD की डिग्री हासिल की। खास बात ये है कि 57 की उम्र में ये बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भी चुने गए हैं। उनके कई रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें अनुसूचित जाति की महिलाओं पर रिसर्च प्रेजेंट करने के लिए बुलाया था।
डॉ. प्रेम कुमार – गया टाउन से आठ बार विधायक चुने जा चुके ये BJP के वरिष्ठ नेता हैं। इन्होंने 1999 में मगध विश्वविद्यालय से इतिहास में PhD की डिग्री हासिल की थी। वर्तमान में ये बिहार सरकार में कृषि मंत्री हैं। 1990 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे डॉ. प्रेम कुमार की शैक्षिक पृष्ठभूमि बेहद मजबूत है।
डॉ. संदीप सौरव – CPI(ML) Liberation के ये विधायक पालीगंज से जीते हैं। JNU दिल्ली से हिंदी में MA, M.Phil और 2014 में PhD की डिग्री हासिल करने वाले संदीप पहले असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चुने गए थे, लेकिन नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए। वे JNU स्टूडेंट्स यूनियन के जनरल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। 2020 में पहली बार चुनाव लड़े और 30,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की।
युवा और शिक्षित चेहरे
कोमल सिंह – गायघाट से JDU की विधायक बनी कोमल सिंह 30 साल की हैं और उनके पास दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पुणे के सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री है। चुनाव से पहले वे टाटा ग्रुप में सीनियर हेड अंडरराइटर और उत्तर भारत की मैनेजर थीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई दून बोर्डिंग स्कूल और दिल्ली पब्लिक स्कूल से हुई। कोमल इस बार की 48 पोस्ट ग्रेजुएट विधायकों में से एक हैं, जो 2020 की 34 की तुलना में काफी बेहतर है।
समृद्ध वर्मा – सिकटा से JDU के 37 साल के ये विधायक भी काफी पढ़े-लिखे हैं। हालांकि उनकी सटीक शैक्षिक योग्यता “Others” के रूप में दर्ज है, लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि वे उच्च शिक्षित हैं। उनका LinkedIn प्रोफाइल यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की शिक्षा का उल्लेख करता है। समृद्ध ने अपने डेब्यू चुनाव में 47,144 वोटों से जीत हासिल की।
महिला विधायक जो शिक्षा की मिसाल हैं
दिव्या गौतम – CPI(ML) की ओर से दिघा से चुनाव लड़ने वाली दिव्या (भले ही इस बार हार गई हों) अपनी शैक्षिक योग्यता के लिए खास हैं। दिव्या ने पटना कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में BA किया, फिर TISS हैदराबाद से वुमेन स्टडीज में MA और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में दूसरी मास्टर्स डिग्री हासिल की। फिलहाल वे BITS Pilani से जेंडर और कम्युनिकेशन पर PhD कर रही हैं, जिसका विषय है “भोजपुरी सितारों में जाति, वर्ग और पुरुषत्व”। वे UGC NET भी क्वालिफाई कर चुकी हैं और 64वीं बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा भी पास की है। स्वर्गीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कजिन दिव्या शिक्षा के मामले में बेहद प्रभावशाली हैं।
श्रेयसी सिंह – जमुई से BJP की विधायक श्रेयसी सिंह के पास MBA की डिग्री है। 34 साल की श्रेयसी ने DPS RK Pुरम, हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की और फरीदाबाद से MBA किया। लेकिन उनकी असली पहचान शूटिंग खिलाड़ी के रूप में है – वे 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में डबल ट्रैप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। 2025 में उन्होंने 54,498 वोटों के सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की।
इस बार की बिहार विधानसभा में शिक्षा का स्तर पहले से थोड़ा बेहतर हुआ है। 20 विधायकों के पास PhD है (2020 में 22 थे), 48 पोस्ट ग्रेजुएट हैं (2020 में 34 थे), 59 ग्रेजुएट और 20 प्रोफेशनल डिग्री धारक हैं। कुल मिलाकर 147 विधायकों के पास ग्रेजुएशन या उससे ऊपर की डिग्री है।
लेकिन दूसरी तरफ, 84 विधायक यानी 35% ऐसे भी हैं जो सिर्फ 5वीं से 12वीं तक पढ़े हैं। इनमें 56 विधायक 12वीं पास, 21 दसवीं पास, 6 आठवीं पास और एक पांचवीं पास हैं। सात विधायक तो सिर्फ साक्षर हैं यानी उन्हें पढ़ना-लिखना आता है लेकिन फॉर्मल स्कूलिंग नहीं हुई।
इस बार JDU के मंजरिक मृणाल, समृद्ध वर्मा और कोमल सिंह जैसे युवा और शिक्षित विधायकों ने विधानसभा में नई ऊर्जा भरने का वादा किया है। उनकी शैक्षिक योग्यता और वैश्विक अनुभव से उम्मीद है कि बिहार में शासन को आधुनिक बनाने, विधायी बहस को बेहतर करने और तकनीक, कृषि, उद्योग जैसे क्षेत्रों में नीति बनाने में मदद मिलेगी।
यही वो चेहरे हैं जो साबित कर रहे हैं कि बिहार की राजनीति में भी पढ़े-लिखे लोगों की जगह बन रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में ये नेता अपनी शिक्षा और अनुभव का इस्तेमाल बिहार के विकास के लिए करेंगे।
















