कभी-कभी एक छोटा-सा स्नैक भी सांस्कृतिक राजदूत (Cultural Ambassador) बन जाता है। लंदन के (West London) इलाके में, ‘बिहारी समोसा घंटावाला UK’ ने यही कर दिखाया है। यह महज़ एक दुकान नहीं, बल्कि 50 साल की एक ऐसी विरासत है, जिसने बिहार के ‘असली’ स्वाद को हजारों किलोमीटर दूर अप्रवासी भारतीयों (NRI) और स्थानीय लोगों के बीच मशहूर कर दिया है।

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नाम बिहार का, जन्म गुजरात में
बिहारी समोसा की कहानी जितनी स्वादिष्ट है, उतनी ही दिलचस्प भी। इस ब्रांड की नींव 1972 में बिहार में नहीं, बल्कि गुजरात के नाडियाद शहर में कालिशाप्रसाद किशनलाल शाह जी ने रखी थी ।
यह एक शानदार मार्केटिंग रणनीति थी। गुजरात जैसे प्रतिस्पर्धी बाज़ार में, शाह परिवार ने जानबूझकर अपने उत्पाद को ‘बिहारी समोसा’ नाम दिया। इसका मुख्य कारण था:
- अद्वितीय पहचान (Unique Selling Proposition): बिहारी समोसा अपनी पतली, कुरकुरी पापड़ी (Crispier, thinner pastry shell) के लिए जाना जाता है
[2]। यह बनावट इसे आम उत्तर भारतीय समोसों से तुरंत अलग करती है, और यही इसकी सफलता का सबसे बड़ा राज़ बन गया। - 50 साल की विरासत: 1972 में शुरू हुआ यह सफ़र आज भी गुजरात के कई शहरों (जैसे अहमदाबाद) में जारी है । यह 50 साल पुरानी निरंतर गुणवत्ता और स्वाद की गारंटी है, जो अब लंदन पहुँच चुकी है।
ब्रांड नाम में शामिल ‘घंटावाला’ (घंटी वाला) तत्व भी एक पारंपरिक पहचान है, जिसे लंदन की दुकानों में आज भी देखा जा सकता है । ग्राहक इसे बजाकर वीडियो और रील्स बनाते हैं, जिससे ब्रांड को लगातार मुफ़्त पब्लिसिटी मिलती रहती है।
समोसा किंग का स्वाद जो लंदन को भा गया
लंदन में बिहारी समोसे की सफलता का केंद्र इसका प्रामाणिक स्वाद (Authentic Flavour) है। साउथ हैरो (South Harrow) और वेम्बली (Wembley) में दो शाखाएं खोलकर, इस ब्रांड ने खुद को वेस्ट लंदन के देसी फूड हब के रूप में स्थापित कर लिया है ।
यहां समोसे को गरम-गरम, ताज़े और खुशबूदार मसालेदार आलू के मिश्रण के साथ परोसा जाता है। यह परोसने का पारंपरिक तरीका भी है, जहां साथ में पुदीना (Mint) और इमली (Tamarind) की तीखी-चटपटी चटनी ज़रूर दी जाती है । यह स्वाद भारतीय घरों की याद दिलाता है और लंदन की सड़कों पर खड़े हर अप्रवासी भारतीय को एक ज़बरदस्त नॉस्टैल्जिक अनुभव देता है।
सोशल मीडिया पर 3 करोड़ से ज़्यादा बार देखा गया जलवा
बिहारी समोसा घंटावाला की सबसे बड़ी जीत उसके वायरल वीडियो हैं, जिन्होंने ब्रांड को रातोंरात ग्लोबल बना दिया।
- वायरल आँकड़े: इस दुकान के वीडियो सोशल मीडिया पर 2.5 करोड़ (25 मिलियन) से लेकर 3.7 करोड़ (37 मिलियन) से भी अधिक बार देखे जा चुके हैं । यह किसी भी छोटे भारतीय रेस्तरां के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
- गर्व का नारा: वायरल क्लिप में अक्सर दुकान के कर्मचारी उत्साह से एक नारा दोहराते हैं: “जब तक लंदन में रहेगा बिहारी, तब तक समोसे का स्वाद हमेशा रहेगा जारी।” यह नारा बिहार और पूरे भारत के लोगों के बीच तुरंत एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा करता है, जिससे ब्रांड के प्रति वफादारी बढ़ती है ।
- टेस्ला पर समोसा: एक वीडियो में एक महंगा टेस्ला कार का मालिक ग्राहक भी सड़क के किनारे समोसा खाते हुए दिखाई दिए । यह बताता है कि यह पारंपरिक स्ट्रीट फूड अब अमीर और गरीब, दोनों तरह के ग्राहकों को समान रूप से पसंद आ रहा है और इसने लंदन में एक नया स्टेटस सिम्बल हासिल कर लिया है।
वैश्विक पटल पर बिहारी पहचान
बिहारी समोसा घंटावाला की कहानी केवल खाने के बारे में नहीं है; यह (Entrepreneurship), विरासत को बनाए रखने और सही रणनीति का उपयोग करके वैश्विक पहचान बनाने के बारे में है। बिहार का नाम लेकर, गुजरात से शुरू होकर, और लंदन की सड़कों पर सफलता का स्वाद चखकर, इस ब्रांड ने यह साबित कर दिया है कि अगर स्वाद में दम हो, तो दुनिया आपकी दीवानी हो सकती है।














