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धनतेरस क्यों मनाते हैं ? 4 देवों की पूजा और खरीदारी का रहस्य

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धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इसका धार्मिक महत्त्व क्या है?

धनतेरस का त्योहार, जिसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं, कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तारीख (त्रयोदशी तिथि) को मनाया जाता है । यह पाँच दिनों तक चलने वाले दिवाली के बड़े त्योहार का सबसे पहला और सबसे खास दिन होता है । यह सिर्फ पैसों या गहनों का त्योहार नहीं है; इसका धार्मिक महत्त्व इससे कहीं ज़्यादा गहरा है। हिन्दू धर्म में, ‘धन’ का मतलब सिर्फ पैसा नहीं होता, बल्कि सबसे बड़ा धन होता है ‘आरोग्य’ यानी अच्छी सेहत ।   

इसीलिए इस दिन एक-दो नहीं, बल्कि चार देवों की पूजा खास तौर पर की जाती है। सबसे पहले पूजे जाते हैं भगवान धन्वंतरि । उन्हें आयुर्वेद का देवता और देवताओं का वैद्य (डॉक्टर) माना जाता है । इनकी पूजा इसलिए की जाती है ताकि हमारा शरीर स्वस्थ रहे, क्योंकि अच्छी सेहत के बिना हम किसी भी धन का आनंद नहीं ले सकते । दूसरा, हम धन, दौलत और खुशहाली की देवी माता लक्ष्मी  और तीसरा, खजाने के मालिक भगवान कुबेर  की पूजा करते हैं। लक्ष्मी जी धन बरसाती हैं, तो कुबेर जी उस धन को सही जगह पर रखने और बढ़ाने में मदद करते हैं । इन दोनों की पूजा से घर में पैसा आता है और वह टिकता भी है।   

चौथा और सबसे अनोखा पूजन होता है मृत्यु के देवता यमराज का । इस दिन यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपदान कहते हैं । यह दीपदान पूरे परिवार को अकाल मृत्यु (यानी समय से पहले या अचानक होने वाली मौत) से बचाने के लिए किया जाता है । इस तरह, धनतेरस का धार्मिक महत्त्व है—आरोग्य (धन्वंतरि), समृद्धि (लक्ष्मी-कुबेर), और जीवन की सुरक्षा (यमराज) का एक खूबसूरत मेल ।   

धनतेरस की धार्मिक कथाएं: अमृत की प्राप्ति और यमराज से बचाव

धनतेरस का महत्त्व दो बड़ी पौराणिक कहानियों से जुड़ा है जो हमें बताती हैं कि यह त्योहार क्यों शुरू हुआ।

समुद्र मंथन से धन्वंतरि का जन्म (सेहत का खजाना)

पहली और सबसे मुख्य कहानी समुद्र मंथन की है । एक समय था जब देवता और असुर दोनों मिलकर अमर होने के लिए क्षीर सागर (दूध का समुद्र) को मथ रहे थे । इस मंथन से एक-एक करके 14 बेशकीमती चीजें बाहर निकलीं, जिनमें माता लक्ष्मी भी शामिल थीं । अंत में, कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी तिथि को, भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए । यह अमृत हमें अमरता और बेहतरीन सेहत देता है । चूंकि धन्वंतरि जी, जो सेहत के मालिक हैं, इसी दिन प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धनतेरस कहा जाने लगा। यह कथा सिखाती है कि भौतिक धन से पहले, स्वास्थ्य का अमृत सबसे बड़ा धन है ।   

राजा हिमा के पुत्र की कथा (यम दीपदान)

दूसरी कहानी हमें बताती है कि इस दिन खरीदारी क्यों शुभ मानी जाती है और यम दीपदान क्यों किया जाता है । एक राजा हिमा थे, जिनके बेटे को शादी के चौथे दिन साँप के काटने से मरने का श्राप मिला था । बेटे की नई-नई शादी हुई थी, लेकिन उसकी समझदार पत्नी ने अपने पति को मरने से बचाने की ठान ली। उसने महल के मुख्य द्वार पर अपने सारे सोने और चांदी के गहनों का एक बड़ा ढेर लगा दिया, और उनके चारों ओर अनगिनत दीये (मिट्टी के दीपक) जला दिए । रात को जब मृत्यु के देवता यमराज एक साँप का रूप लेकर राजकुमार की जान लेने आए, तो दीयों की तेज़ रोशनी और सोने-चांदी की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं । वह उस चमक को पार नहीं कर पाए और सारी रात वहीं बैठकर राजकुमार की पत्नी के मधुर गीत सुनते रहे । जब अगली सुबह हो गई, तो यमराज के जाने का समय हो चुका था और राजकुमार की जान बच गई । इसी वजह से, लोग धनतेरस की शाम को अपने परिवार की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज के लिए दीपक जलाते हैं, जिसे यम दीपम कहा जाता है ।   

धनतेरस पर खरीदारी क्यों शुभ मानी जाती है?

धनतेरस पर नई चीजें, खासकर धातु (metals) खरीदना, सिर्फ एक रीति नहीं है, बल्कि यह एक तरह का आध्यात्मिक निवेश है । माना जाता है कि इस शुभ दिन पर खरीदी गई कोई भी चीज़ पूरे साल घर में सौभाग्य, धन की नियमित बढ़ोतरी, और बरकत लाती है ।   

इस खरीदारी के पीछे भी ग्रहों और धातुओं का गहरा ज्योतिषीय सिद्धांत है:

  • सोना (Gold) और चांदी (Silver): सोना खरीदना सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह सूर्य (Sun) ग्रह से जुड़ा है, जो हमें शक्ति, सफलता और जीवन में बड़ा मुकाम दिलाता है । चांदी चंद्रमा (Moon) से जुड़ी है, जो हमारे जीवन में शांति और स्थिरता लाती है । इन धातुओं को खरीदने से घर में दौलत की चमक और मन में शांति दोनों बनी रहती हैं ।   
  • पीतल के बर्तन (Brass Utensils): पीतल को बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह देवगुरु बृहस्पति (Jupiter) से संबंधित है, जो ज्ञान, वृद्धि और भरपूर प्रचुरता के ग्रह हैं । पीतल के बर्तन खरीदने से घर में बरकत आती है और अच्छी सेहत को बढ़ावा मिलता है ।   
  • झाड़ू (Broom) खरीदना: यह शायद सबसे आसान और कम बजट वाली शुभ खरीदारी है। झाड़ू को शनि ग्रह से जोड़ा जाता है, और इसे खरीदने का मतलब है कि आप घर से दरिद्रता (गरीबी) और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकाल रहे हैं ।

क्या नहीं खरीदना चाहिए?

ज्योतिषीय सलाह के अनुसार, इस दिन लोहे या स्टील (Steel, jo lohe ka mishran hai) की चीज़ें खरीदने से बचना चाहिए । ऐसा इसलिए है क्योंकि लोहा शनि (Saturn) ग्रह से जुड़ा हुआ है । चूँकि धनतेरस तेज़ी से वृद्धि (गुरु/सूर्य) का त्योहार है, शनि की धीमी और प्रतिबंध वाली ऊर्जा को घर में लाने से वित्तीय मामलों में रुकावट या देरी आ सकती है । इसलिए, ज्यादातर लोग बर्तन खरीदते समय पीतल या तांबे को प्राथमिकता देते हैं ।

यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में धन और दौलत तभी मायने रखते हैं जब हमारे पास अच्छा स्वास्थ्य और सुरक्षा हो। इसीलिए धनतेरस पर लक्ष्मी जी, कुबेर जी, धन्वंतरि जी, और यमराज का आशीर्वाद एक साथ लिया जाता है।

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