रणवीर सिंह की खतरनाक दुनिया में आपका स्वागत है।
धुरंधर आदित्य धार की सिनेमा-कला का एक बेरहम प्रदर्शन है जो आपको अपनी कुर्सी से उतरवाने के लिए पूरे तीन घंटे चवालीस मिनट तक आपको झकझोरता रहता है। यह फिल्म देखना मतलब एक ऐसी यात्रा पर जाना जहाँ कानून, नैतिकता और इंसानियत सब कुछ धुंधला हो जाता है।

धुरंधर (Dhurandhar) कहानी जो आपके दिल को ठहरा देगी
1999 का IC-814 हाईजैकिंग और 2001 का संसद हमला – ये दोनों घटनाएँ इस फिल्म के सिनेमाई ताने-बाने में बुनी गई हैं। रणवीर सिंह पंजाब का एक 20 साल का लड़का हैं जो बदले की भावना से एक अपराध करता है। लेकिन फिर R. माधवन का किरदार – एक आईबी चीफ जो असली में अजीत डोवल से प्रेरित है – इस लड़के को एक घातक हथियार में तब्दील कर देता है। कराची के जंगली अंडरवर्ल्ड में घुसकर खतरनाक आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करना – यह उसका मिशन है। यह कहानी नहीं, यह एक आत्मघाती ड्यूटी है।
कास्ट जो फिल्म को जिंदा कर देती है
रणवीर सिंह ने “द रैथ ऑफ गॉड” के रूप में ऐसा किरदार निभाया है जो आपको डरा भी देगा और मुग्ध भी कर देगा। उनकी गहरी, निर्मल निगाहें और शरीर की भाषा बताती है कि ये कोई साधारण एजेंट नहीं, बल्कि एक ऐसा इंसान है जिसमें मानवीयता बचा ही नहीं रह गई है।
फिर देखिए अक्षय खन्ना को – “द एपेक्स प्रेडेटर” के रूप में रेहमान डकैत की भूमिका में। वह एक ऐसे अपराधी हैं जिनके सामने पारंपरिक गैंगस्टर भोले-भाले दिखते हैं। संजय दत्त “द जिन्न” बन जाते हैं, और अरजुन रामपाल “एंजल ऑफ डेथ” – एक पाकिस्तानी आईएसआई ऑफिसर जो मिलिटेंट इलियास कश्मीरी से प्रेरित है। ये सब एक-दूसरे को मारने की प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं।
हिंसा, मनोविज्ञान और भारतीय जासूसी का अलौकिक मेल
यह फिल्म किसी आदर्श देशभक्त की कहानी नहीं है। यहाँ कोई झंडा लहराने वाला नायक नहीं, कोई महान संवाद नहीं। बजाय इसके, आपको एक ऐसी दुनिया दिखाई देगी जहाँ भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी (RAW) काले ऑपरेशन चलाती है जो रियल घटनाओं और पाकिस्तान के लियारी क्षेत्र के आतंकवादी नेटवर्क से प्रेरित हैं। यहाँ मन के खेल हैं, झूठे भेस, विश्वासघात, और एक ऐसा मनोवैज्ञानिक संकट जो किसी को भी पागल कर सकता है।
तीन घंटे चवालीस मिनट – हर सेकंड मायने रखता है
हाँ, फिल्म लंबी है। 214 मिनट। लेकिन यहाँ एक-एक फ्रेम, एक-एक डायलॉग सार्थक है। फिल्म जल्दबाजी नहीं करती। यह एक काले, काव्यात्मक अंदाज़ में एक जटिल मनोविज्ञान वाली कहानी बुनती है। निर्देशक आदित्य धार साफ़ साफ़ मेसेज दे रहे हैं – हमें ये नहीं बताना कि कहानी क्या हो रही है, बल्कि ये दिखाना कि इससे सब कुछ कितना टूट जाता है।
एक स्पाई यूनिवर्स की शुरुआत
धुरंधर सिर्फ एक फिल्म नहीं है – यह भारतीय सिनेमा की अपनी James Bond यूनिवर्स की शुरुआत है। कहा जा रहा है कि यह एक दो-भाग वाली कहानी का पहला अध्याय है। तो बैठ जाइए, क्योंकि ये सिर्फ शुरुआत है।
क्या धुरंधर (Dhurandhar) देखें?
अगर आप ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो आपको ज़बरदस्ती सोचने पर मजबूर करे, जो आपकी कुर्सी से उतरवा दे, और जो भारतीय सिनेमा के लिए नए रास्ते खोल दे, तो धुरंधर बिल्कुल वही फिल्म है। यह “जंगली” नहीं, बल्कि “बेहद चतुर और भयानक” है। तीन घंटे चवालीस मिनट का निवेश करें – यह आपका समय बर्बाद नहीं करेगी, बल्कि आपके सिनेमा के सफर को ही बदल देगी।
रेटिंग: 4.5 / 5⭐
















