
बिहार की राजनीति कभी शांत नहीं रहती। हर पाँच साल में चुनाव का तूफान आता है, वोटों की बहार होती है, और फिर सत्ता की सीढ़ी पर कोई चढ़ता है, कोई उतरता है। लेकिन 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव कुछ अलग था। इसी चुनाव की पूरी गाथा, सभी उतार-चढ़ाव, राजनीतिक समीकरण और पर्दे के पीछे की कहानियाँ एक किताब में संजोई गई है।
नाम है – ‘गर्दा उड़ गईल’।
शीर्षक से ही साफ है कि यह किताब सिर्फ एक चुनाव का विवरण नहीं है, बल्कि बिहार की राजनीति में जो तूफान आया, जो धूल उड़ी, उसकी पूरी कथा है। प्रभात प्रकाशन से दिसंबर 2025 में प्रकाशित इस किताब के लेखक हैं वरिष्ठ पत्रकार और नवोदय टाइम्स के संपादक अकु श्रीवास्तव (अंकुश श्रीवास्तव)।
लेखक – अकु श्रीवास्तव कौन हैं?
अकु श्रीवास्तव दिल्ली के राजनीतिक पत्रकारिता जगत के एक जाने-माने नाम हैं। नवोदय टाइम्स के संपादक के रूप में वे भारतीय राजनीति, विशेषकर क्षेत्रीय चुनावों को गहराई से कवर करते हैं। उनकी विश्लेषणात्मक दृष्टि और तथ्यात्मक रिपोर्टिंग उन्हें अलग बनाती है। ‘गर्दा उड़ गईल’ उनकी दूसरी पुस्तक है। पहली किताब ‘मोदी 3.0’ भी काफी चर्चित रही थी, जिसका विमोचन दिसंबर 2024 में संविधान क्लब, नई दिल्ली में हुआ था।
किताब का प्रकाशन और मूल्य
- प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
- प्रकाशन तारीख: दिसंबर 2025
- मूल्य: ₹600
- ISBN: 9789347014529
- भाषा: हिंदी
किताब की संरचना – आठ भागों में विभाजित
‘गर्दा उड़ गईल’ को आठ भागों में बाँटा गया है, जिससे बिहार चुनावों का एक सर्वांगीण चित्र सामने आता है:
- प्रमुख लेख: चुनाव के मुख्य पहलुओं को रेखांकित करने वाले विश्लेषणात्मक लेख
- मुद्दों की वापसी: 2025 के चुनाव में कौन-कौन से मुद्दे दोबारा उठे और क्यों?
- चुनावी समीकरण: राजनीतिक गणित – कौन-कौन से दल, कौन-कौन से गठबंधन, और उनके गणितीय आधार
- बिहार के प्रमुख दलों का विश्लेषण: राष्ट्रीय दलों के अतिरिक्त, बिहार के प्रमुख राज्य स्तरीय दलों की राजनीति का विस्तृत वर्णन
- घोषणा-पत्र (मैनिफेस्टो) का विश्लेषण: सभी प्रमुख दलों के चुनावी वादे और उनकी व्यावहारिकता
- सोशल मीडिया का प्रभाव: आजकल के चुनाव में एक्स (ट्विटर), फेसबुक, यूटिউब जैसे मंचों की भूमिका क्या रही?
- बिहार का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से लेकर आधुनिक बिहार तक, इतिहास कैसे वर्तमान को प्रभावित करता है?
- आजादी से पहले और बाद में गठबंधन की राजनीति: भारत के विभाजन के बाद बिहार में गठबंधन की राजनीति का विकास
किताब में क्या-क्या है?
लेखक ने स्वयं माना है कि “तमाम कोशिशों के बाद भी बिहार की राजनीति और इस चुनाव के सभी पक्षों को समेटना संभव नहीं हो पाया।” लेकिन फिर भी, किताब में शामिल हैं:
- बिहार का स्वर्णिम इतिहास: नालंदा विश्वविद्यालय, गुप्तकाल, मौर्य साम्राज्य
- बिहार विभाजन की त्रासदी: 2000 में झारखंड के अलग होने के बाद बिहार की स्थिति
- चुनाव के दौरान उठाए गए तमाम मुद्दे: बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था
- सांख्यिकीय विश्लेषण: वोट प्रतिशत, सीटें, जनसांख्यिकी
- राजनीतिक पार्टियों के चुनावी सूत्र: प्रत्येक पार्टी की जीत और हार के कारण
2025 का बिहार चुनाव – पृष्ठभूमि
‘गर्दा उड़ गईल’ किताब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को केंद्र में रखती है। यह चुनाव कई कारणों से ऐतिहासिक था:
नीतीश कुमार का रिकॉर्ड
नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह भारतीय इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। इसी कारण वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन ने उन्हें विश्व स्तर पर मान्यता दी है। 1947 के बाद से यह देश का पहला उदाहरण है, जब कोई नेता दस बार सीएम पद पर आसीन हुआ है।
2025 का चुनाव परिणाम
- कुल सीटें: 243
- एनडीए की जीत: 202 सीटें (प्रचंड बहुमत)
- महागठबंधन: महज 35 सीटें
- अन्य पार्टियाँ: 6 सीटें
यह जीत नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की मजबूत राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है।
बिहार की राजनीति में बदलाव
जहाँ 2015-2020 के दरम्यान महागठबंधन (नीतीश + लालू) का दबदबा था, वहीं 2025 में एनडीए की ताकत कई गुना बढ़ गई। यह परिवर्तन किताब का मुख्य विषय है।
किताब की मुख्य विशेषताएँ
1. पत्रकारीय दृष्टिकोण
अकु श्रीवास्तव की पत्रकारीय पृष्ठभूमि इस किताब में साफ दिखाई देती है। चुनाव के प्रत्येक पहलू को तथ्यात्मक, डेटा-आधारित और विश्लेषणात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
2. भविष्य के संदर्भ पुस्तक के रूप में
लेखक ने स्वयं कहा है कि “यह पुस्तक भविष्य में एक संदर्भ पुस्तक के रूप में काम कर सकती है।” इसका मतलब है कि यदि आप बिहार की राजनीति को समझना चाहते हैं, तो यह किताब एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज साबित हो सकती है।
3. व्यापक कवरेज
सिर्फ 2025 का चुनाव नहीं, बल्कि बिहार के इतिहास, संस्कृति, राजनीतिक परंपरा, और सामाजिक संरचना – सब कुछ को इस किताब में शामिल किया गया है।
4. क्षेत्रीय राजनीति का गहन अध्ययन
यह किताब सिर्फ राष्ट्रीय मीडिया की नजर से नहीं, बल्कि बिहार की आंतरिक राजनीति की समझ के साथ लिखी गई है। इससे किताब की विश्वसनीयता और प्रासंगिकता बढ़ जाती है।
क्यों पढ़ें ‘गर्दा उड़ गईल’?
1. बिहार की राजनीति को समझने के लिए
यदि आप बिहार की राजनीति को गहराई से समझना चाहते हैं – उसके इतिहास से लेकर वर्तमान तक – तो यह किताब अनिवार्य पठन है।
2. चुनावी विश्लेषण में रुचि के लिए
आप भारतीय चुनाव, राजनीतिक रणनीति, और मतदाता व्यवहार को जानना चाहते हैं, तो 2025 के बिहार चुनाव का यह विश्लेषण बेहद उपयोगी है।
3. नीतीश कुमार की राजनीति को समझने के लिए
नीतीश कुमार का 25+ साल का राजनीतिक सफर, उनके गठबंधन, उनकी नीतियाँ – यह सब इस किताब में मिलेगा।
4. सोशल मीडिया और राजनीति का संबंध जानने के लिए
आजकल का चुनाव सोशल मीडिया के बिना अधूरा है। इस किताब में ‘एक्स’ पर ट्रेंडिंग, फेसबुक पोस्ट, यूटीयूब वीडियो – सब कुछ की भूमिका का विश्लेषण है।
5. पत्रकारिता के दृष्टिकोण से
यह किताब यह दिखाती है कि एक गंभीर पत्रकार चुनाव को कैसे कवर करता है, किन बातों पर ध्यान देता है, और कैसे तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
















