भारत की बेटियों ने वो कर दिखाया जो कभी नामुमकिन लगता था। ज़मीन पर सोने से लेकर ट्रॉफी उठाने तक, ये जीत सिर्फ़ मैदान पर नहीं, सोच पर भी हासिल की गई लड़ाई है। 2025 का महिला वर्ल्ड कप जीतकर, इन खिलाड़ियों ने पूरे देश को याद दिलाया कि हुनर का कोई gender नहीं होता।
शुरुआत में, उन्हें वो छोटी-छोटी सुविधाएँ भी नहीं मिलीं जो लड़कों को आसानी से मिल जाती हैं। ज़रा सोचिए, मशहूर होने से पहले, इन खिलाड़ियों को ज़मीन पर सोना पड़ता था। 20 खिलाड़ियों को मिलकर सिर्फ़ चार टॉयलेट इस्तेमाल करने पड़ते थे। वो क्रिकेट इसलिए खेलती थीं क्योंकि वो उनका जुनून था, पेशा (profession) नहीं, क्योंकि उन्हें खेलने के लिए ठीक-ठाक पैसे नहीं मिलते थे।
ये दिखाता है कि ये कामयाबी किसी सरकारी सिस्टम की मदद से नहीं आई। ये तो उनकी पक्की हिम्मत, बलिदान और न टूटने वाले इरादे का नतीजा है।

क्रिकेट तो लड़कियों का काम नहीं!’
भारत में, क्रिकेट को हमेशा ‘मर्द होने की पहचान’ से जोड़ा गया। यहाँ तक कि खेल पर राय देने वाली महिला टीवी प्रेजेंटर्स को भी शुरुआत में गंभीरता से नहीं लिया जाता था। लेकिन 2025 में जब पूरे देश ने महिला टीम क सपोर्ट दिया, तब देश ने उस मर्दवादी सोच की दीवार को तोड़ दिया।
कप्तान हरमनप्रीत की ‘मंज़िल’ पाने की ज़िद
हमारी कैप्टन हरमनप्रीत कौर को न सिर्फ़ बाहर के लोगों से, बल्कि अपनी माँ से उठे सवालों से भी लड़ना पड़ा। हरमनप्रीत ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वो बहुत छोटी थीं, तो उनकी माँ परेशान थीं। माँ ने उनसे कहा था, “तुम हमेशा लड़कों के साथ खेलती रहती हो। तुम्हारे करियर का कोई रास्ता नहीं है।” माँ ने उन्हें सलाह दी कि बाकी लड़कियों की तरह खाना बनाना सीखो और सलवार कमीज पहनो! ये किस्सा दिखाता है कि कैसे समाज आज भी लड़कियों को करियर के बजाय घर के काम को ज़्यादा ज़रूरी मानता है।
मगर हरमनप्रीत ने अपनी माँ को वो जवाब दिया जो इतिहास बन गया: “मैं क्रिकेट से ही अपना करियर बनाऊँगी।” और उसके बाद उनकी माँ ने कभी उनसे कोई सवाल नहीं किया।
शैफाली का बाल कटवाकर मैदान में उतरना
तूफ़ानी बल्लेबाज़ शैफाली वर्मा को लड़कों के साथ प्रैक्टिस करने की इजाज़त नहीं थी। तब शैफाली ने एक बड़ा फ़ैसला लिया: उन्होंने अपने बाल कटवा लिए!
ये सिर्फ़ एक हेयरकट नहीं था, ये उस माहौल की हक़ीक़त थी जहाँ लड़कियों को बस खेलने का मौका पाने के लिए अपना रूप तक बदलना पड़ा।
WPL का जादू
पिछले कुछ सालों में महिला क्रिकेट को देखने वालों की दिलचस्पी बहुत तेज़ी से बढ़ी है । इसका सबसे बड़ा कारण बना महिला प्रीमियर लीग (WPL)। WPL ने एक ऐसा माहौल बनाया जहाँ खिलाड़ियों को लगातार बड़े और मुश्किल मैच खेलने का मौक़ा मिला। इस लीग ने, पुरानी मुश्किलों, जैसे पैसों की कमी, और आज की जीत को एक पुल की तरह जोड़ दिया। WPL ने खेलने को सिर्फ़ जुनून से हटाकर, एक पक्का करियर बना दिया ।
सेमीफाइनल का सबसे बड़ा मैच
वर्ल्ड कप जीत का असली मोड़ सेमीफ़ाइनल था! सामने थीं सबसे मज़बूत टीम, ऑस्ट्रेलिया। हमें 339 रनों का बहुत बड़ा टारगेट चेज करना था! महिला वनडे इतिहास का ये सबसे बड़ा, सबसे सफल रन चेज था!
क्या ये मुमकिन था? जी हाँ। जेमिमाह रोड्रिग्स ने 134 गेंदों पर 127 रन की शानदार पारी खेली । कप्तान हरमनप्रीत कौर (89 रन) के साथ मिलकर उन्होंने 167 रनों की कमाल की पार्टनरशिप की।
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया से ग़लतियाँ भी हुईं, जब उन्होंने जेमिमाह का 82 रन पर आसान कैच गिरा दिया । 10 ओवर बाद एक और कैच छूटा।
फाइनल की कहानी
डी वाई पाटिल स्टेडियम में भीड़ की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि हरमनप्रीत को इंटरव्यू के सवाल भी मुश्किल से सुनाई दे रहे थे!
इस दबाव में, भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप खिताब जीत लिया। कप्तान ने कहा कि हम लगातार तीन मैच हारने के बावजूद भी, जानते थे कि हमारे पास कुछ ख़ास है। ये जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक इतिहास लिखने वाला पल था।
छुपे हुए सितारे: शैफाली और दीप्ति का जादू
फाइनल की जीत किसी एक खिलाड़ी की नहीं थी। पहला छुपा हुआ सितारा थीं शैफाली वर्मा, जिन्होंने चोट की वजह से टीम में जगह बनाई थी। उन्होंने 78 गेंदों पर 87 रन की अपनी बेस्ट पारी खेली और साथ में दो अहम विकेट भी लिए।
और दीप्ति शर्मा ने 58 रन बनाने के बाद अपनी गेंदबाज़ी से कमाल किया। उन्होंने एक परफेक्ट यॉर्कर डालकर एक बल्लेबाज़ को आउट किया। इसके बाद उन्होंने सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी लॉरा वूल्वार्ड्ट का सबसे ज़रूरी विकेट लिया, जिसे अमनजोत कौर ने डाइव लगाकर पकड़ा। अमनजोत के लिए ये कैच ‘तीसरी बार की खुशी’ साबित हुआ ।
तीसरी बार में मिली खुशी’: कप उठाते ही आँखों में आंसू
ये जीत, जो फाइनल में तीसरी बार की खुशी लेकर आई, बहुत भावुक थी। जैसे ही भारत ने मैच जीता, खुशी के आँसू, गले मिलना और ज़बरदस्त भावनाएँ स्टेडियम में छा गईं।
सबसे दिल छू लेने वाली तस्वीर! पुरुष टीम के कप्तान, रोहित शर्मा नम आँखों से खड़े, तालियाँ बजाकर टीम का अभिनंदन कर रहे थे। ये तस्वीर दिखाती है कि अब भारतीय क्रिकेट में महिला और पुरुष, सब एक हैं, सबका गर्व साझा है । बॉलीवुड स्टार्स, जिनमें करीना कपूर भी थीं, उन्होंने कहा कि “मैं अभी भी खुशी के आंसू रो रही हूं।” ये जीत 2005 और 2017 का दर्द झेलने वाले हर भारतीय के दिल को सुकून देने वाली थी। सचिन तेंदुलकर ने कहा कि इस जीत ने “देश भर की अनगिनत युवा लड़कियों को बैट और बॉल उठाने के लिए प्रेरित किया है।”
बराबरी की ओर कदम: बीसीसीआई का 125 करोड़ का बड़ा ऐलान
इस जीत का सबसे बड़ा असर सिस्टम में बदलाव के रूप में आया। बीसीसीआई ने ऐलान किया कि वो महिला टीम को ₹125 करोड़ का नकद इनाम देने पर सोच रहा है! ये पैसा उतना ही है, जितना उन्होंने पुरुष टीम को उनकी हाल की बड़ी जीत पर दिया था। ये एक ऐतिहासिक फ़ैसला है। 2017 में हर खिलाड़ी को 50 लाख रुपये मिले थे । और अब, पूरी बराबरी।
सम्मान और इनाम का बदलाव (2017 बनाम 2025)
पहलू 2017 फाइनल (Runner-up) 2025 विजेता (Champion) बदलाव का संकेत
इनाम राशि ₹50 लाख प्रति खिलाड़ी (लगभग) ₹125 करोड़ (पुरुषों के बराबर) सिस्टम में बराबरी (Equality in System)
लोगों की प्रतिक्रिया तारीफ़ (Appreciation) ज़बरदस्त भावनाएँ, राष्ट्रीय गौरव (National Pride) [6, 12] हर खिलाड़ी से प्यार
बाज़ार का सबसे बड़ा मौका
वर्ल्ड कप जीत ने महिला क्रिकेट को सिर्फ़ दिल से नहीं जोड़ा, बल्कि बाज़ार से भी जोड़ दिया है। विज्ञापन देने वाले बहुत खुश हैं, और फाइनल के लिए टीवी पर विज्ञापन का रेट पहले से 15 से 20 प्रतिशत ज़्यादा लिया गया। बाज़ार के जानकार मानते हैं कि जेमिमाह रोड्रिग्स जैसी खास खिलाड़ियों के विज्ञापन से होने वाली कमाई (एंडोर्समेंट मूल्य) 100% तक बढ़ सकती है।
खिलाड़ी योगदान कितना ज़रूरी था
सेमीफाइनल (Vs Aus) जेमिमाह रोड्रिग्स 127* रन (134 गेंद) रिकॉर्ड तोड़ 339 रन के चेज में सबसे अहम रोल
फाइनल (Vs SA) शैफाली वर्मा 87 रन और 2 विकेट दोहरी मेहनत से साउथ अफ्रीका पर दबाव बनाया
फाइनल (Vs SA) दीप्ति शर्मा 58 रन और वूल्वार्ड्ट का ज़रूरी विकेट मैच को जीत की ओर ले जाने वाला ऑलराउंड खेल
भारत ने इस जीत से दुनिया को साफ़ संदेश दिया है: ये देश हर हुनर से प्यार करता है, और अब ये महिला और पुरुष, दोनों को बराबर सम्मान देने के लिए तैयार है।















