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मस्ती 4 – ईमानदार रिव्यू

रिलीज़ हुआ: 21 नवंबर 2025
तीनों नायक: रितेश देशमुख, विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी
रेटिंग: 2/5 ⭐

कहानी क्या है?

सीधी-सादी बात है – तीनों दोस्त यूके में अपनी पत्नियों के साथ रहते हैं और सब बोर हैं। पति बोर हैं, पत्नियां भी शायद बोर हैं। फिर किसी ने “लव विज़ा” का आइडिया दिया – मतलब सालभर में एक हफ्ता जो करना हो कर सकते हो, कोई सवाल नहीं।

तीनों को यह बात पत्नियों को बतानी चाहिए थी, लेकिन अरे… पत्नियों को भी यही विज़ा चाहिए! तो अब क्या हुआ? सब अपना-अपना हफ्ता मनाने निकल गए।

बाकी फिल्म में गलतफहमियां, शक-शुबहा, और “हीरो को हीरोइन से पता नहीं चल रहा कि वो कहां हैं” – यह सब चल रहा है 2 घंटे 24 मिनट तक।

अभिनय – कौन बढ़िया, कौन बुरा?

आफताब शिवदासानी – भई, यह एकमात्र इंसान है जो अपने आप को संभाले हुए है। शांत, प्राकृतिक, और जैसे पड़ोस के भैया हों। इनको ही सलामी।

विवेक ओबेरॉय – भाई, चिल्लाना कॉमेडी नहीं होती! पूरी फिल्म “हिस्टीरिया” दिख रहे हैं। हर सीन में आवाज़ ऊंची करके हंसते हैं – जैसे घर में कोई बहरा हो।

रितेश देशमुख – अच्छे हैं, लेकिन स्क्रिप्ट ने इनको भी गिरा दिया। जो लिखा था, वह करते हैं, पर दिल से नहीं।

तुषार कपूर – भैया, आप क्यों हैं इस फिल्म में? शोर मचाते हैं, डांस करते हैं, कुछ समझ ही नहीं आता।

हास्य कहाँ गया?

यह सबसे बड़ी समस्या है। फिल्ममेकर्स को लगता है – ज़ोर से चिल्लाना = कॉमेडी। ग़लत है!

दूसरी आधी फिल्म में? शौचालय का हास्य, गंदे संवाद, और कुछ ऐसी बातें जिन्हें सुनकर आप सोच में पड़ जाएंगे – “यह A सर्टिफिकेट है, तो भी यह लिखने के लिए किसी ने हामी भरी?”

असली समस्या: फिल्म को खुद पर विश्वास नहीं है कि वह मज़ेदार है। इसलिए अधिक शोर, अधिक ड्रामा, लेकिन मज़ा कहीं नहीं

संवाद – अच्छे या बुरे?

बहुत सारे “डबल मीनिंग” वाले संवाद हैं, लेकिन अधिकांश स्तरहीन हैं। ट्रेलर में जो संवाद दिखे थे, फिल्म में वह नहीं हैं – या फिर बदल दिए गए हैं।

महिला पात्रों को कुछ ऐसे नामों से बुलाया गया है कि… अरे, यह यूके में है न, पर संस्कृति कहीं नहीं दिख रही।

कहानी कैसी है?

साफ़ कहूँ – बेकार

कहानी का कोई दिशा नहीं है। पहली आधी में सेटअप है, दूसरी आधी में सब गड़बड़। आप सोचते हो कि अब कोई मजेदार मोड़ आएगा… पर नहीं। बस खिंचता चला जाता है, बस लंबा खिंचता है।

स्क्रिप्ट ऐसी है जैसे कोई कहानी शुरू की, फिर बीच में भूल गया, फिर जो याद आ गया, वह डाल दिया।

संगीत और गीत

गीत Rasiya Baalama और Pakad Pakad ठीक हैं। लेकिन बाकी संगीत? बहुत चिल्लाता है। हर दृश्य पर संगीत इतना ऊंचा है कि संवाद सुनाई देता ही नहीं।

यूके की सेटिंग अच्छी लगी – लेकिन भारत की फ्रेंचाइज़ को यूके में क्यों रखना? यह प्रश्न पूरी फिल्म में उठता रहता है।

अंतिम फैसला – क्या देखें?

आप हैंसलाह
इस फ्रेंचाइज़ के दीवानेफिर भी निराश होंगे। पहली मस्ती को याद करते रहेंगे।
“एडल्ट कॉमेडी पसंद है”ठीक है, पर बेहतर ऑप्शन हैं। यह मत देखो।
परिवार के साथ जाना चाहते होबिल्कुल नहीं। A सर्टिफिकेट है, और संवाद असभ्य हैं।
समय बचाना हैदो घंटे 24 मिनट अपने लिए रखो। यूट्यूब पर कुछ ठीक-ठाक वीडियो देख लो।

सच कहूँ तो…

मस्ती 4 एक “नॉस्टैल्जिया की लाश” है। फ्रेंचाइज़ पुरानी हो गई है, लेकिन उसे नई चीज़ में बदलने की कोशिश नहीं की गई। बस पुरानी फॉर्मूला दोहराया गया – और वह फॉर्मूला अब काम नहीं कर रहा।

अभिनेता: अच्छे हैं।
निर्देशक: सो गया शायद।
लेखन: कोई नहीं दिखा।
नतीजा: 2 घंटे 24 मिनट की ज़बरदस्ती।

बेहतर विकल्प?

  • पहली मस्ती फिर से देख लो।
  • या फिर Housefull 5 का इंतज़ार कर।
  • या सोने जा।

फैसला आपका है। 

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