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Nalanda Literature Festival 2025

Nalanda Literature Festival 2025: राजगीर में सजा साहित्य का महाकुंभ – जानिये क्यों खास है यह इवेंट

क्या आपने कभी सोचा है कि जिस नालंदा ने दुनिया को ‘यूनिवर्सिटी’ का कांसेप्ट दिया, आज वहां फिर से दुनिया भर के विद्वान, लेखक और कलाकार जुटे हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं Nalanda Literature Festival 2025 (NLF) की।

बिहार की ऐतिहासिक धरती राजगीर में 21 दिसंबर से शुरू हुआ यह फेस्टिवल सिर्फ किताबों की बात नहीं कर रहा, बल्कि यह हमारी विरासत, भाषा और संस्कृति का एक बहुत बड़ा उत्सव है। अगर आप साहित्य प्रेमी हैं, घूमने के शौकीन हैं, या बस बिहार के बदलते स्वरूप को देखना चाहते हैं, तो यह इवेंट आपके लिए ही है।

आइये, आसान शब्दों में समझते हैं कि इस बार नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल में क्या-क्या धमाल मच रहा है और आपको इसके बारे में क्या पता होना चाहिए।

Nalanda Literature Festival 2025
AI Image

इतिहास के पन्नों से निकलकर आज के मंच पर (The Grand Inauguration)

रविवार, 21 दिसंबर 2025 को राजगीर कन्वेंशन सेंटर में इस फेस्टिवल का शानदार आगाज हुआ। उद्घाटन समारोह में कांग्रेस सांसद और मशहूर लेखक शशि थरूर और बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मौजूद थे।

शशि थरूर ने अपने भाषण में एक बहुत पते की बात कही। उन्होंने कहा, “ज्ञान सिर्फ क्लासरूम या यूनिवर्सिटी की चार दीवारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए।” उन्होंने नालंदा की पुरानी गरिमा को याद करते हुए कहा कि आज बिहार को देखकर उन्हें वो पुराना गौरव वापस लौटता हुआ महसूस हो रहा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के उस सपने को भी याद किया जो उन्होंने नालंदा को लेकर देखा था।

वहीं, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने साहित्य को “सच्चाई के करीब ले जाने वाला जरिया” बताया। पहले ही दिन से राजगीर का माहौल साहित्यमय हो गया है।

थीम: “States of Stories” – बिहार और नॉर्थ-ईस्ट का मिलन

अक्सर हम देखते हैं कि लिटरेचर फेस्टिवल्स में बड़े शहरों की बातें होती हैं, लेकिन NLF 2025 की सबसे खास बात इसकी थीम है – “States of Stories: Bihar & The Northeast”।

फेस्टिवल के क्यूरेटर और मशहूर लेखक पंकज दुबे और डायरेक्टर गंगा कुमार ने इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। उन्होंने बिहार की कहानियों को नॉर्थ-ईस्ट (पूर्वोत्तर भारत) की “सेवेन सिस्टर्स” (असम, मणिपुर, नागालैंड आदि) की संस्कृति के साथ जोड़ा है।

  • यहाँ सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी नहीं, बल्कि अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और सुरजापुरी जैसी बोलियों पर भी चर्चा हो रही है।
  • नॉर्थ-ईस्ट की जनजातीय भाषाओं और वहां की लोककथाओं को एक बड़ा मंच दिया गया है।

NLF 2025 के मुख्य आकर्षण

अगर आप सोच रहे हैं कि वहां 5 दिनों तक क्या होने वाला है, तो यहाँ देखिये कुछ बड़े हाइलाइट्स:

1. Language Labs (भाषा की प्रयोगशाला)

यह कोई बोरिंग क्लास नहीं है! यहाँ Language Labs बनाए गए हैं जहाँ यूथ टेक्नोलॉजी के जरिये अपनी पुरानी बोलियों से जुड़ सकते हैं। यहाँ “Bhasha Mics” और “सेल्फी बूथ्स” लगे हैं, जो इसे Gen-Z के लिए कूल बनाते हैं।

2. Routes to Roots (जड़ों की ओर वापसी)

बिहार से गिरमिटिया मजदूरों का एक लंबा इतिहास रहा है जो मॉरीशस, फिजी, और सूरीनाम जैसे देशों में गए। इस फेस्टिवल में 10 से ज्यादा देशों के भारतीय मूल के लेखक और कलाकार आए हैं। यह एक तरह से “ग्लोबल बिहार” का मिलन समारोह है।

3. सितारों का मेला

सिर्फ लेखक ही नहीं, यहाँ कला और सिनेमा जगत की बड़ी हस्तियां भी मौजूद हैं:

  • सोनल मानसिंह: प्रसिद्ध नृत्यांगना और सांसद, जिन्होंने अपनी परफॉरमेंस से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • कैलाश खेर: जी हाँ! 24 दिसंबर की शाम “कैलाश खेर” की सूफी गायकी के नाम रहेगी।
  • अभय के (Abhay K): डिप्लोमेट और पोएट, जिनकी किताब “Nalanda: How It Changed the World” चर्चा का विषय बनी हुई है।
  • विक्रम संपत, पवन के. वर्मा, और अदूर गोपालकृष्णन जैसे दिग्गज भी अपने विचार रख रहे हैं।

4. NLF Awards 2025

युवा लेखकों को बढ़ावा देने के लिए, फेस्टिवल ने 35 साल से कम उम्र के लेखकों के लिए NLF Awards की घोषणा की है। यह नई प्रतिभाओं को सामने लाने का एक बेहतरीन कदम है।

कार्यक्रम का शेड्यूल (Event Schedule Snapshot)

  • 21 दिसंबर (Day 1): उद्घाटन और कल्चरल शोकेस। सोनल मानसिंह की प्रस्तुति।
  • 22-23 दिसंबर (Day 2 & 3): मुख्य साहित्यिक सत्र (Sessions)। यहाँ “Her Words, Her World” (महिला लेखन) और “Heritage of Scripts” (लिपियों का इतिहास) जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चाएं होंगी। सुबह की शुरुआत ‘बिहार स्कूल ऑफ योगा’ के योग सत्र से होती है।
  • 24 दिसंबर (Day 4): सत्रों का समापन और शाम को कैलाश खेर का लाइव कॉन्सर्ट।
  • 25 दिसंबर (Day 5): यह दिन “हेरिटेज वॉक” के लिए है। मेहमानों को नालंदा के खंडहर, राजगीर और बोधगया की सैर कराई जाएगी। इसे “Literary Tourism” का नाम दिया गया है।

टिकट और एंट्री (Tickets & Entry)

क्या इसमें जाने के लिए पैसे लगेंगे? अच्छी खबर यह है कि जनरल एंट्री काफी सस्ती या मुफ्त है (रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है)। हालाँकि, अगर आप VIP अनुभव चाहते हैं, जिसमें लेखकों के साथ डिनर और खास सीटें शामिल हैं, तो उसके लिए ₹3,000 से लेकर ₹10,000 तक के टिकट उपलब्ध हैं। आप इसे BookMyShow या उनकी वेबसाइट से चेक कर सकते हैं।

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