पटना: बिहार की राजनीति में सोमवार (15 दिसंबर 2025) का दिन एक ऐसे काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जिसने पटना के सियासी गलियारों से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा दिया है. जगह थी मुख्यमंत्री का सचिवालय ‘संवाद’—वही जगह जहाँ से बिहार के विकास की इबारत लिखी जाती है. मौका था आयुष डॉक्टरों को नौकरी की सौगात देने का. लेकिन, यह खुशी का माहौल तब शर्मिंदगी में बदल गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरे मंच पर, कैमरे के सामने एक महिला डॉक्टर का हिजाब (नकाब) खींच दिया.
आंखों देखा हाल: जब मंच पर सन्न रह गए सब
सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1,283 आयुष डॉक्टरों (आयुर्वेद, होमियोपैथी और यूनानी) को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. कतार में एक यूनानी डॉक्टर, डॉ. नुसरत परवीन, अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं. डॉ. नुसरत अपने पेशेवर लिबास के साथ धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप हिजाब पहने हुए थीं.
जैसे ही वो मंच पर सीएम के करीब पहुंचीं, नीतीश कुमार की नजर उनके हिजाब पर पड़ी. वीडियो में साफ दिखता है कि सीएम के चेहरे के भाव बदले. उन्होंने तपाक से पूछा— “ये क्या है?” (Yeh kya hai?) और इससे पहले कि डॉ. नुसरत कुछ समझ पातीं, नीतीश कुमार ने झुककर अपने हाथों से उनका हिजाब चेहरे से हटा दिया.
यह नजारा देखकर वहां मौजूद हर शख्स—चाहे वो अधिकारी हो या नेता—सन्न रह गया. बगल में खड़े उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्थिति की नजाकत को भांपते हुए नीतीश कुमार की आस्तीन (sleeve) खींचकर उन्हें रोकने की कोशिश भी की , लेकिन तब तक ‘सुशासन बाबू’ मर्यादा की लकीर पार कर चुके थे. डॉ. नुसरत घबरा गईं, और उन्हें वहां मौजूद अधिकारियों ने जल्दी से किनारे कर दिया, जैसे गलती उनकी ही हो.
विपक्ष का सवाल: ‘बीमारी’ है या ‘संघी’ सोच?
इस घटना का वीडियो वायरल होते ही बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी (RJD) ने इसे हाथों-हाथ लिया है. तेजस्वी यादव की पार्टी ने सोशल मीडिया पर सीधा सवाल दागा है: “नीतीश जी को क्या हो गया है? क्या उनकी मानसिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ चुकी है या नीतीश बाबू अब 100% संघी हो चुके हैं?”
कांग्रेस ने भी इसे “शर्मनाक” और “घटिया” बताते हुए सीएम के इस्तीफे की मांग कर दी है. उनका कहना है कि अगर राज्य का मुखिया ही महिलाओं के कपड़ों और धार्मिक पहचान का सम्मान नहीं करेगा, तो राज्य की महिलाएं सुरक्षित कैसे महसूस करेंगी?

















