भोजपुरी सिनेमा का सबसे चर्चित नाम — पवन सिंह अगर आप भोजपुरी फिल्मों को जानते हैं, तो यह नाम आपके लिए सिर्फ़ एक अभिनेता नहीं है। वह एक संकेत है — रातों-रात सफलता का, संगीत की शक्ति का, और साथ ही, एक ऐसे आदमी की जिसकी निजी ज़िंदगी उतनी ही नाटकीय है जितनी उनकी फ़िल्में।

शुरुआत: एक गरीब लड़का जो गाना गाता था
पवन सिंह का जन्म 5 जनवरी 1986 को हुए थे ,न तो गायक के परिवार में, न ही किसी अनुभवी संगीतकार के बेटे। वह आरा के एक छोटे से गाँव, जोकहरी में पैदा हुए थे, जहाँ उनके पिता किसान थे और माँ घर की देखभाल करती थीं। बस कुछ भाई-बहन और सपने — इतना ही था उनकी दुनिया। पवन तीन भाइयों में सबसे छोटे थे।
लेकिन कुछ बच्चों में होता है कुछ ख़ास। पवन में वह कुछ गानों की ओर था। बचपन में ही, जब लड़कों को खेल-कूद पसंद होता है, पवन हारमोनियम के पास बैठ जाते थे। गाँव के मेलों में, स्टेज शो में, साँस्कृतिक कार्यक्रमों में। और सबसे मजेदार बात? वह दूर-दूर जाने के लिए साइकिल चलाते थे। कोई रिश्ता नहीं, कोई सिफारिश नहीं, सिर्फ़ एक अदा थी संगीत करने की।
पहली सफलता: “ओढ़निया वाली” से शुरू हुई यात्रा
1997 में, जब पवन सिंह महज़ 11 साल के थे, तो उन्होंने कुछ ऐसा किया जो ज़्यादातर लोग 30 साल की उम्र तक सोचते हैं। अपना पहला एल्बम निकाल दिया। नाम था “ओढ़निया वाली“। यह एल्बम काफ़ी हिट रहा। और पवन सिंह को एहसास हो गया — वह इसी के लिए पैदा हुए थे।
2000 के दशक की शुरुआत में, वह कई एल्बम निकाले। 2004 में “कांच कसैली” और फिर?
2008: “लॉलीपॉप लागेलु” — जब एक लड़का सुपरस्टार बन गया
2008 को मार्क करें। यह साल पवन सिंह की ज़िंदगी को पूरी तरह़ बदल दिया। जब उन्होंने “लॉलीपॉप लागेलु” एल्बम रिलीज़ किया, तो सिर्फ़ एक गीत नहीं — एक क्रांति आ गई।
Kamariya Kare Lapa Lap, Lollipop Lagelu — ये शब्द। ये सुर। भोजपुरी संगीत का यह गीत रातोंरात पवन सिंह को एक घरेलू नाम बना गया। सोशल मीडिया ने इसे एक अंतरराष्ट्रीय मेम बना दिया। भारत से लेकर दुबई, लंदन, हर जगह लोग गुनगुनाते थे — “लॉलीपॉप लागेलु”। यूट्यूब पर यह गीत लाखों बार देखा गया, शेयर किया गया, और नृत्य किया गया।
लेकिन संगीत से आगे कुछ था। पवन सिंह की आँखें फ़िल्मों की ओर थीं।
फ़िल्मों में कदम : Power Star का जन्म
2007 में, पवन सिंह ने भोजपुरी सिनेमा की दुनिया में औपचारिक रूप से कदम रखा। फ़िल्म का नाम था “रंगली चुनारिया तोहरे नाम”। लेकिन असली सफलता तब आई जब 2008 में उन्होंने “प्रतिज्ञा” फ़िल्म में काम किया। इस फ़िल्म में उनका शक्तिशाली अभिनय सब को चकित कर गया। बॉक्स ऑफिस ने ताली बजाई, और अब पवन सिंह सिर्फ़ एक गायक नहीं थे — वह एक अभिनेता बन गए थे।
इसके बाद तो धड़ाम-धड़ाम। “ट्रैक फाइटर”, “माँ तुझे सलाम”, “धड़कन” , “ज़िद्दी आशिक” 150 से ज़्यादा फ़िल्में। भोजपुरी सिनेमा का हर बड़ा नाम — खेसारी लाल यादव, दिनेश लाल यादव, आरविंद अकेला कल्लू — सब के साथ काम किया।
2013 तक, पवन सिंह भोजपुरी सिनेमा के सबसे महंगे कलाकार बन गए थे। एक गीत गाने के लिए वह लाखों माँगते थे। और लोग देते थे। क्योंकि पवन सिंह ने एक ब्रांड बना लिया था — शक्ति, आवेग, और भोजपुरी संस्कृति का प्रतीक।
व्यक्तिगत जीवन: जहाँ फ़िल्मों का नाटक सच हो गया
लेकिन यहीं से कहानी दुःखद हो जाती है। फ़िल्मों में तो सब कुछ सुलझ जाता है। लेकिन पवन सिंह के जीवन में ? वह अभी चल रहा है।
2014 में, पवन सिंह ने नीलम सिंह से शादी की। नई शुरुआत। नई उम्मीद। लेकिन शादी के मात्र एक साल बाद, 8 मार्च 2015 को, नीलम सिंह ने अपने घर पर आत्महत्या कर ली। एक त्रासदी जो पवन सिंह की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दी। इस घटना को लेकर पवन सिंह के ऊपर सवाल-ओ-शुबहात उठे।
इस घटना के बाद का समय पवन सिंह के लिए कठिन रहा। मीडिया की सुर्खियों में, सामाजिक प्रश्नों के बीच, और निजी पीड़ा के साथ उन्होंने अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की कोशिश की।
फिर 2018 में, पवन सिंह ने जयोति सिंह (बलिया, उत्तर प्रदेश की निवासी) से शादी की। एक बार फिर, नई शुरुआत की कोशिश। एक बार फिर, उम्मीद। लेकिन शादी के कुछ साल बाद ही सब कुछ उलझ गया।
अक्टूबर 2021 में, जयोति सिंह ने तलाक के लिए अर्जी दी। आरोप थे — घरेलू हिंसा, विवाहिक विवाद, और गंभीर दावा कि पवन सिंह ने उन्हें गर्भपात करने के लिए बाध्य किया। पवन सिंह ने सब कुछ नकार दिया। यह मामला कोर्ट में चल रहा है। ये आरोप अभी सिद्ध नहीं हुए हैं।
तलाक के विवाद में, जयोति सिंह ने वित्तीय मुआवजे और संपत्ति निपटान की माँग की है। रिपोर्टों के अनुसार, दोनों पक्ष इस बात पर असहमत रहे हैं कि कितना गुजारा-भत्ता दिया जाए।
2019 में, अभिनेत्री अक्षरा सिंह ने भी पवन सिंह के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज किया, जिसमें उन्होंने धमकी और अश्लील सामग्री पोस्ट करने के आरोप लगाए।
बॉलीवुड में कदम: एक नई दिशा
2020 में, पवन सिंह ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। वह Stree 2 फिल्म में गीत “आयी नाई गाने के लिए प्रसिद्ध हुए। इस गीत के लिए उन्हें Filmfare Award for Best Male Playback Singer के लिए नामांकित किया गया। यह पल पवन सिंह के लिए गर्व का था — भोजपुरी संगीत से बॉलीवुड तक का सफर।
2024 में, उन्होंने Vicky Vidya Ka Woh Wala Video में “चुम्मा” गाना। बॉलीवुड में उनकी यह उपस्थिति दर्शाती है कि भोजपुरी कलाकार भी हिंदी फिल्म उद्योग में अपनी जगह बना सकते हैं।
राजनीति में प्रवेश: सितारे का नया रूप
2014 में, भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने पवन सिंह को भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल किया। बॉलीवुड की तरह ही हमारे राजनीतिकों को भी सितारे प्रिय हैं। संगीत की लोकप्रियता को राजनीतिक समर्थन में बदलना — यह एक आम रणनीति है।
2024 में, पवन सिंह ने लोकसभा चुनावों के दौरान एक दिलचस्प कदम उठाया। पहले उन्हें भाजपा ने पश्चिम बंगाल के असनसोल सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्होंने कुछ ही दिन बाद अपना नाम वापस ले लिया।
फिर, उसी वर्ष, पवन सिंह ने बिहार के काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। यह कदम भाजपा के लिए एक झटका था। पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया, उन पर “विरोधी पार्टी गतिविधि” का आरोप लगाया। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था — जब एक पार्टी के साथ का रिश्ता टूटा।
लेकिन राजनीति में ऐसे घुमाव अक्सर होते हैं। 1 अक्टूबर 2025 को, पवन सिंह फिर से भाजपा में शामिल हो गए। यह घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की मौजूदगी में की गई। एक बार फिर, पवन सिंह फ़िल्मी नाटक का हिस्सा बन गए थे, लेकिन इस बार वह नाटक सच्ची राजनीति थी। कहीं न कहीं, यह सवाल उठता है — क्या वह वाकई राजनीति को समझते हैं, या वह सिर्फ़ अपने ब्रांड को बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं?
कानूनी मामले: दुर्भाग्य का सिलसिला
सितंबर 2025 में, पवन सिंह को एक होटलियर की ओर से एक गंभीर आरोप का सामना करना पड़ा। होटलियर ने उन पर 1.57 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया — 2018 की भोजपुरी फ़िल्म “Boss” में निवेश के संबंध में। वाराणसी के कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए।
यह एक और उदाहरण था कि कैसे पवन सिंह की निजी और व्यावसायिक ज़िंदगी एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, और कैसे विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ते। एक तरफ़ फ़िल्मों की सफलता, दूसरी तरफ़ कोर्ट के मामले। एक तरफ़ संगीत की प्रसिद्धि, दूसरी तरफ़ निजी ज़िंदगी का दर्द।
2025 में पवन सिंह: Power Star और एक जटिल आदमी
नवंबर 2025 में, पवन सिंह 39 साल के हैं। एक भोजपुरी सुपरस्टार। एक गायक जिन्होंने करोड़ों के संगीत के सपने बजाए हैं। एक अभिनेता जो 150 से ज़्यादा भोजपुरी फ़िल्मों में आए हैं। एक राजनीतिज्ञ जो बिहार की सियासत को समझते हैं।
अपने अभिनय के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी फ़िल्म अवार्ड्स 2016 और 2017 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष गायक का पुरस्कार मिला। 2017 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। 2018 और 2019 में उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता का पुरस्कार मिला।
लेकिन सच्चाई यह है कि ऑन-स्क्रीन सफलता ऑफ-स्क्रीन खुशियों को गारंटी नहीं देती। उनकी निजी ज़िंदगी अभी भी कानूनी मामलों में उलझी हुई है। तलाक का मामला दोनों राज्यों — बिहार और उत्तर प्रदेश में अभी भी चल रहा है। कोर्ट के दोनों पक्षों में गवाहियाँ हो रही हैं। फैसले अभी दूर हैं।
अंतिम सूत्र
पवन सिंह की कहानी साधारण नहीं है। यह एक गाँव के गरीब लड़के की कहानी है जिन्होंने संगीत के सहारे एक साम्राज्य बनाया। लेकिन यह कहानी एक सबक़ भी देती है — कि धन, प्रसिद्धि और सफलता जीवन का सिर्फ़ एक हिस्सा हैं।
राजनीति में उनके कदम को लेकर कई सवाल हैं। क्या वास्तव में वह लोगों की ज़रूरतें समझते हैं? या यह सिर्फ़ एक ब्रांड एक्सटेंशन है? जब एक अभिनेता राजनेता बनता है, तो क्या वह अपनी सिनेमाई भूमिकाएँ त्यागता है? या फिर वह अपनी पूरी ज़िंदगी को ही एक बड़ी फ़िल्म में बदल देता है?
और जब निजी संकट इतने गहरे हों, जब तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा हो, जब कानूनी आरोप लगे हों, तो क्या एक आदमी समाज की सेवा कर सकता है? या फिर वह सिर्फ़ अपने आप को ही बचाने की कोशिश करता है?
ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं। और शायद बिहार का हर नागरिक अपने आप से यही सवाल पूछ रहा है। क्योंकि Power Star की चमक अब सिनेमा के स्क्रीन पर नहीं, बल्कि राजनीति के अखाड़े में दिख रही है। और इस बार, सवालों के जवाब देने के लिए कोई डायरेक्टर नहीं है जो कट बोल सकें।



















