याद है साल 2016? जब मुकेश अंबानी ने ‘जियो’ लॉन्च किया था और रातों-रात भारत में डेटा की दुनिया बदल गई थी। आज फिर कुछ वैसा ही होने जा रहा है, लेकिन इस बार बात सिर्फ इंटरनेट की नहीं, बल्कि हमारी और आपकी जिंदगी की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज अब हेल्थकेयर सेक्टर में एक ऐसी क्रांति लाने की तैयारी में है जिसे कंपनी के अंदरूनी लोग ‘जीनोमिक्स का जियो-फाइकेशन’ (Jio-fication of genomics) कह रहे हैं ।
अंदाजा लगाइए, जो जीनोमिक टेस्ट आज बाजार में ₹10,000 से ₹15,000 के बीच होते हैं, रिलायंस उन्हें ₹1,000 से भी कम में लाने का लक्ष्य रख रहा है । यह सिर्फ एक बिजनेस डील नहीं है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के लिए एक उम्मीद है कि अब गंभीर बीमारियों का पता लगाना किसी ‘अमीर’ की विलासिता नहीं, बल्कि आम आदमी का हक होगा।

तकनीक और विजन का मेल: Strand Life Sciences
इस पूरी क्रांति के पीछे असली ताकत है Strand Life Sciences। रिलायंस ने 2021 में इस बेंगलुरु स्थित कंपनी को करीब ₹393 करोड़ में खरीदा था । Strand कोई साधारण लैब नहीं है; यह भारत की पहली ऐसी कंपनी है जिसने अपना खुद का जीनोमिक एनालिसिस सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिक सराहते हैं 。
मुकेश अंबानी का विजन एकदम साफ है: आधुनिक तकनीक को लैब से निकालकर सीधे आम आदमी की जेब तक पहुँचाना। रिलायंस अपनी इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है। Strand ने अपने डेटा पाइपलाइन्स को आधुनिक बनाकर कुल लागत में 66% तक की कमी की है और अपनी क्षमता को 35 गुना बढ़ाया है । इसी तकनीकी मजबूती के दम पर वे टेस्ट की कीमतों को जमीन पर लाने का साहस कर पा रहे हैं ।
CancerSpot: कैंसर के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार
रिलायंस के इस पिटारे में सबसे खास प्रोडक्ट है ‘CancerSpot’। यह एक AI-आधारित ब्लड टेस्ट है जो शरीर में कैंसर की आहट को उसकी शुरुआती स्टेज में ही पहचान सकता है । यह टेस्ट लिवर, ब्रेस्ट, लंग्स और पेट जैसे 10 तरह के कैंसर की स्क्रीनिंग कर सकता है ।
साइंस के नजरिए से देखें तो यह टेस्ट खून में मौजूद कैंसर सेल्स के DNA पैटर्न (Methylation signatures) को पहचानता है । इसकी सटीकता (Accuracy) काफी प्रभावशाली है—करीब 81% संवेदनशीलता (Sensitivity) और 97% विशिष्टता (Specificity) के साथ यह शुरुआती दौर में ही खतरे का संकेत दे देता है । Strand का लक्ष्य इस टेस्ट की कीमत को मौजूदा ₹12,000 से घटाकर मिड-टर्म में ₹9,999 और आने वाले दशक में इसे ‘तीन अंकों’ (Triple digits) यानी ₹1,000 के नीचे ले जाने का है ।
एक पूरा इकोसिस्टम: घर बैठे टेस्ट और इलाज
रिलायंस सिर्फ टेस्ट बेचकर नहीं रुकने वाला। उन्होंने एक पूरा ‘हेल्थकेयर इकोसिस्टम’ तैयार किया है।
- मास पहुँच: MyJio ऐप के जरिए 425 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों तक सीधी पहुँच ।
- आसान सर्विस: JioHealthHub और Netmeds के माध्यम से घर बैठे ब्लड सैंपल कलेक्शन की सुविधा ।
- इलाज का नेटवर्क: हाल ही में ₹375 करोड़ में अधिग्रहित Karkinos Healthcare, जो कैंसर के इलाज और मैनेजमेंट के लिए टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है ।
- AI का दम: नई सहायक कंपनी ‘Reliance Intelligence’ को खासतौर पर हेल्थकेयर में AI सॉल्यूशंस विकसित करने के लिए बनाया गया है ।
मार्केट में खलबली और डेटा की सुरक्षा
जब भी रिलायंस किसी सेक्टर में उतरता है, बड़े-बड़े दिग्गज हिल जाते हैं। भारतीय डायग्नोस्टिक बाजार जो FY30 तक $15-16 बिलियन का होने वाला है, वहां अब एक नई जंग छिड़ने वाली है । डॉ. लाल पैथलैब्स (Dr Lal PathLabs) और मेट्रोपोलिस (Metropolis) जैसे स्थापित खिलाड़ी पहले से ही अपनी सेवाओं को टियर-3 और टियर-4 शहरों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रिलायंस की ‘प्राइसिंग पावर’ का मुकाबला करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी ।
हालांकि, इस बड़े बदलाव के साथ ‘डेटा प्राइवेसी’ की चिंता भी जुड़ी है। आपका जेनेटिक डेटा बेहद संवेदनशील होता है। रिलायंस को इसे DPDP Rules 2025 (डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स) के सख्त दायरे में रहकर संभालना होगा, जिसमें डेटा की सुरक्षा और यूजर्स की सहमति (Consent) सबसे ऊपर है ।
एक स्वस्थ भारत का सपना
भारत में आज भी 70% से ज्यादा कैंसर के मामले आखिरी स्टेज में पता चलते हैं, जब इलाज बहुत महंगा और मुश्किल हो जाता है । अगर रिलायंस का यह ‘₹1,000 वाला जीनोमिक सपना’ हकीकत बनता है, तो यह सिर्फ एक बिजनेस की जीत नहीं होगी, बल्कि लाखों जिंदगियां बचाने वाली एक सामाजिक क्रांति होगी।
हेल्थकेयर का यह ‘जियो मोमेंट’ हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहा है जहाँ बीमारियों का डर तो होगा, लेकिन उन्हें पहले से जानने और हराने की ताकत हर भारतीय के पास होगी।

















