क्या आपने कभी सोचा था कि जिस बिहार की पहचान बरसों से खेती-किसानी और IAS अधिकारियों से होती थी, वहां अब दुनिया के सबसे एडवांस कंप्यूटर चिप्स बनेंगे? जी हां, बात सुनने में थोड़ी फिल्मी लग सकती है, लेकिन जमीन पर हकीकत बदल रही है। हाल ही में 25 नवंबर 2025 को हुई बिहार कैबिनेट की पहली मीटिंग में नीतीश कुमार सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने सबको चौंका दिया। राज्य में एक Semiconductor Manufacturing Park Bihar बनाने की मंजूरी मिल गई है ।
यह सिर्फ एक फैक्ट्री बनाने की बात नहीं है; यह बिहार को “New Age Economy” की तरफ ले जाने का एक बड़ा सपना है। सरकार का लक्ष्य अगले 5 सालों में यानी 2030 तक राज्य के युवाओं के लिए 1 करोड़ रोजगार के मौके पैदा करना है ।

Policy का Booster Dose: बिहार IT Policy 2024
किसी भी बड़ी इंडस्ट्री को बुलाने के लिए ‘माहौल’ और ‘पैसा’ दोनों चाहिए होते हैं। बिहार सरकार ने इसके लिए Bihar IT Policy 2024 को अपना हथियार बनाया है । इस पॉलिसी में सिर्फ बातें नहीं, बल्कि कड़े वित्तीय फायदे दिए गए हैं।
अगर कोई कंपनी यहां सेमीकंडक्टर यूनिट लगाती है, तो उसे क्या मिलेगा?
- Capital Subsidy: इन्वेस्टमेंट का 30% हिस्सा (अधिकतम 30 करोड़ रुपये तक) सरकार देगी ।
- Interest Subvention: बैंक लोन के ब्याज पर 10% तक की छूट मिलेगी ।
- Employment Boost: अगर कंपनी बिहार के युवाओं को नौकरी देती है, तो 5 साल तक उनके EPF/ESI का पूरा पैसा सरकार भरेगी (प्रति कर्मचारी 5000 रुपये प्रति माह तक) ।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि अगर कोई कंपनी पटना या दानापुर के बाहर अपनी यूनिट लगाती है, तो उसे 10% एक्स्ट्रा इंसेंटिव भी मिलेगा ।
Gaya : बिहार का अपना ‘Silicon Valley’?
अब सवाल उठता है कि ये सब बनेगा कहां? इसके लिए गया (Gaya) जिले के डोभी ब्लॉक में Integrated Manufacturing Cluster (IMC) को चुना गया है । करीब 1,670 एकड़ में फैला यह इलाका अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (AKIC) का हिस्सा है ।
गया को चुनने के पीछे बहुत सॉलिड लॉजिक है। सेमीकंडक्टर बनाने के लिए बिजली और पानी की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। गया के पास अपना इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, रेलवे जंक्शन है और साथ ही यह गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल (NH-19) से भी जुड़ा है । वहां 162 MVA की बिजली सप्लाई और 19 MLD का पानी सप्लाई सिस्टम तैयार किया जा रहा है ।
IIT Patna: जहाँ Silicon मिलता है Brains से
फैक्ट्री तो लग जाएगी, पर उसे चलाने वाले इंजीनियर कहां से आएंगे? यहाँ एंट्री होती है IIT Patna की। IIT पटना ने हाल ही में Applied Materials India के साथ मिलकर एक ‘Centre of Excellence’ बनाया है । यहाँ उन खास कोटिंग्स पर रिसर्च हो रही है जो चिप बनाने वाली मशीनों को जंग से बचाती हैं । साथ ही, सरकार के “Chips to Startup” (C2S) प्रोग्राम के तहत यहाँ हजारों छात्रों को VLSI डिजाइन की ट्रेनिंग दी जा रही है ।
Personal Insight: बिहार का सबसे बड़ा दर्द रहा है यहाँ के युवाओं का पलायन (Migration)। जब इस प्रोजेक्ट के बारे में पढ़ता हूँ, तो मुझे सबसे बड़ी उम्मीद यही दिखती है कि अब बिहार के टैलेंट को बेंगलुरु या ताइवान जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये सिर्फ एक पार्क नहीं, बिहार के युवाओं के लिए घर पर ही इज्जत वाली नौकरी का मौका है।
रास्ता इतना भी आसान नहीं है
ईमानदारी से बात करें तो चुनौतियां कम नहीं हैं। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए ‘Ultra-Pure’ गैसेस और केमिकल्स चाहिए होते हैं, जो अभी भारत में लगभग 100% इम्पोर्ट होते हैं । बिहार जैसे लैंड-लॉक्ड स्टेट के लिए इन चीजों की सप्लाई चेन बनाना एक बड़ा टास्क होगा। इसके अलावा, एक छोटी सी पावर फ्लक्चुएशन भी करोड़ों का नुकसान कर सकती है, इसलिए बिजली की स्थिरता पर बिहार को 100% गारंटी देनी होगी ।
मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की अध्यक्षता में बनी हाई-लेवल कमेटी को अब 6 महीने के अंदर अपना पूरा एक्शन प्लान देना है ।
युवाओं के लिए सलाह
अगर आप इंजीनियरिंग के छात्र हैं या करियर शुरू कर रहे हैं, तो Embedded Systems और VLSI Design में स्किल्स बढ़ाना शुरू कर दें। बिहार IT Policy में स्पेशली उन कंपनियों को ज्यादा फायदा है जो ITI, डिप्लोमा या BE/BTech वालों को कम से कम 1.8 लाख से 2.4 लाख के पैकेज पर नौकरी देती हैं । आने वाले 5 सालों में बिहार में इन स्किल्स की भारी डिमांड होने वाली है।
बिहार अब डिफेंस कॉरिडोर, AI मिशन और सेमीकंडक्टर पार्क के साथ अपनी एक नई इमेज बना रहा है । अगर सरकार और इंडस्ट्री के बीच का यह तालमेल सही बैठा, तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया के बेस्ट गैजेट्स के अंदर “Made in Bihar” चिप्स धड़केंगे।
















