जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ा हालिया विवाद सोशल मीडिया पर ज़ोरों से चर्चा में है। यूट्यूबर और इन्फ्लुएंसर शुभंकर मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने वीडियो में जगन्नाथ मंदिर और राधारानी को लेकर ऐसी बातें कही हैं, जो न तो शास्त्रों में मिलती हैं और न ही स्थानीय परंपरा में मानी जाती हैं। इसी आरोप के चलते अब उनके खिलाफ पुरी के सिंहद्वार थाने में शिकायत दर्ज हो चुकी है।
यह पूरा मामला क्या है, शुभंकर ने आखिर कहा क्या, मंदिर प्रशासन और पुलिस ने क्या कदम उठाए, और इस विवाद से कंटेंट क्रिएटर्स को क्या सीख लेनी चाहिए – चलिए एक‑एक करके समझते हैं।

विवाद की जड़: शुभंकर मिश्रा ने क्या कहा?
खबरों के मुताबिक, शुभंकर मिश्रा ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो डाला, जिसमें उन्होंने जगन्नाथ पुरी मंदिर और राधारानी के “श्राप” से जुड़ी कहानी सुनाई। इस कहानी के कुछ अहम दावे थे:
- जो अविवाहित जोड़े शादी से पहले श्री जगन्नाथ मंदिर आते हैं,
आगे चलकर उनकी शादी नहीं हो पाती या रिश्ता टूट जाता है। - उन्होंने कहा कि यह सब “राधारानी के श्राप” की वजह से होता है।
- वीडियो में दावा किया गया कि एक बार राधारानी, भगवान कृष्ण के जगन्नाथ रूप के दर्शन करने पुरी मंदिर आईं,
लेकिन कथित रूप से मंदिर सेवायतों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया,
जिस पर राधारानी ने मंदिर को श्राप दे दिया – और तभी से अविवाहित जोड़ों के साथ ऐसा होता है।
यही कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और यहीं से शुरू हुआ पूरा बवाल।
मंदिर सेवायत और विद्वानों का पक्ष: “पूरी तरह मनगढ़ंत कहानी”
पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर के सीनियर सेवायत गौरहरि प्रधान ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि शुभंकर मिश्रा “गलत और भ्रामक जानकारी” फैला रहे हैं।
उनका कहना है:
- शास्त्रों, पुराणों या किसी भी मान्य धार्मिक ग्रंथ में
राधारानी के ऐसे किसी श्राप का ज़िक्र नहीं मिलता। - यह कहानी मनगढ़ंत और भ्रामक है, जो सिर्फ़ व्यूज़ और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए गढ़ी गई लगती है।
- ऐसी बातें करोड़ों जगन्नाथ भक्तों की आस्था से खिलवाड़ हैं और
जगन्नाथ संस्कृति की गलत छवि पेश करती हैं।
जगन्नाथ संस्कृति के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. भास्कर मिश्रा ने भी बताया कि उन्होंने अपने पूरे शोध में ऐसी कोई कथा नहीं पाई, और इसे लगभग काल्पनिक बताया।
पुलिस में शिकायत: कानूनी संकट में यूट्यूबर
यह मामला सिर्फ़ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा।
सीनियर सेवायत गौरहरि प्रधान ने शुभंकर मिश्रा के खिलाफ पुरी के सिंहद्वार पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
पुलिस और प्रशासन ने क्या कहा?
- पुरी के एसपी प्रतीक सिंह ने पुष्टि की कि शिकायत मिल चुकी है और
पुलिस इस मामले की जांच करेगी। - उन्होंने कहा कि शुभंकर मिश्रा ने सोशल मीडिया पर जो बातें कहीं,
वे लोगों को गुमराह करने वाली हो सकती हैं, इसलिए कानूनी राय लेकर आगे की कार्रवाई होगी। - पुलिस वीडियो, ऑडियो और संबंधित कंटेंट इकट्ठा कर रही है,
ताकि तथ्य और मंशा दोनों को समझा जा सके।
यानी अब मामला केवल “ट्रेंडिंग कंट्रोवर्सी” नहीं, बल्कि औपचारिक शिकायत और संभावित कानूनी कार्रवाई के दायरे में पहुंच चुका है।
मंदिर प्रशासन (SJTA) की एंट्री: जांच समिति और सख्त चेतावनी
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने इस पूरे विवाद को बहुत गंभीरता से लिया है।
पुरी के जिलाधिकारी और SJTA के डिप्टी चीफ एडमिनिस्ट्रेटर दिव्या ज्योति परिदा ने:
- शुभंकर मिश्रा के वायरल वीडियो की जांच के लिए एक समिति गठित की है।
- जनता से अपील की है कि मंदिर से जुड़ी कोई भी जानकारी फैलाने से पहले तथ्यों की पुष्टि ज़रूर करें।
- चेतावनी दी है कि जो लोग जगन्नाथ मंदिर के बारे में अफवाह, गलत सूचना या तोड़-मरोड़ कर तथ्यों को पेश करेंगे,
उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
धार्मिक विद्वानों और सेवायतों ने भी साफ कहा है कि:
- ऐसी झूठी कहानियां सांस्कृतिक विरासत को विकृत करती हैं।
- इससे जनता की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं,
इसलिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को जिम्मेदार व्यवहार सीखना होगा।
सोशल मीडिया पर माहौल: सपोर्ट बनाम गुस्सा
जैसा हर विवाद में होता है, इस बार भी सोशल मीडिया पर दो खेमे बन गए:
- एक बड़ा वर्ग, खासकर ओडिशा और जगन्नाथ भक्तों का,
शुभंकर मिश्रा के खिलाफ बेहद नाराज दिखा।
उनका मानना है कि किसी भी लोकप्रिय इन्फ्लुएंसर को देवस्थान और आस्था पर बोलते समय
ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए। - वहीं कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बताते हुए कह रहे हैं कि
अगर कोई कहानी प्रचलित लोककथाओं का हिस्सा है, तो उसे सुनाना अपराध नहीं होना चाहिए –
लेकिन यह पक्ष अभी अल्पमत में दिखता है और अधिकतर राष्ट्रीय/स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में
मुख्य फोकस मिसइन्फॉर्मेशन पर ही है।
नतीजा यह हुआ कि कुछ ही दिनों में यह मामला
“जगन्नाथ पुरी मंदिर – शुभंकर मिश्रा विवाद” के नाम से पूरे देश में ट्रेंड करने लगा।
मिसइन्फॉर्मेशन का बड़ा सवाल: कंटेंट क्रिएटर्स की जिम्मेदारी
यह विवाद सिर्फ़ एक यूट्यूबर तक सीमित नहीं है, बल्कि
पूरे डिजिटल कंटेंट इकोसिस्टम के लिए एक चेतावनी की तरह है।
- धर्म और आस्था पर कंटेंट = डबल जिम्मेदारी
जब कोई इन्फ्लुएंसर धार्मिक कथाओं, मंदिरों या देवी‑देवताओं पर बात करता है,
तो वह केवल “स्टोरीटेलिंग” नहीं कर रहा होता, बल्कि
करोड़ों लोगों की भावनाओं और विश्वास को टच कर रहा होता।
ऐसे में गलत सूचना, मनगढ़ंत कथा या आधे‑अधूरे रिसर्च पर बना वीडियो
सीधे विवाद और कानूनी मुश्किलों में बदल सकता है। - फैक्ट‑चेकिंग की जरूरत
SJTA और स्थानीय प्रशासन की बार‑बार अपील है कि
मंदिर से जुड़ा कोई भी कंटेंट बनाते समय
पहले शास्त्रीय संदर्भ, स्थानीय परंपरा और आधिकारिक स्रोत
से जरूर मिलान किया जाए। - “व्यूज़ बनाम विश्वास” की लड़ाई
गौरहरि प्रधान समेत कई सेवायतों का आरोप है कि
ऐसी कहानियां सिर्फ़ सोशल मीडिया टीआरपी के लिए फैलाई जाती हैं।
यानी कुछ सेकंड के रील और कुछ लाख व्यूज़ के लिए
सदियों पुरानी परंपरा की छवि दांव पर लगा दी जाती है।
कानूनी और सामाजिक असर: आगे क्या हो सकता है?
अभी स्थिति यह है कि:
- पुलिस ने शिकायत ले ली है,
आगे कानूनी राय और जांच रिपोर्ट के बाद ही अगला कदम तय होगा। - SJTA की समिति वीडियो की पूरी जांच कर रही है –
वे यह देखेंगे कि कंटेंट कितना गलत था, इसकी वजह से
कितना नुकसान या भ्रम फैल सकता है। - अगर जांच में साबित हुआ कि यह जानबूझकर
फर्जी या भ्रामक कंटेंट था, तो
शुभंकर मिश्रा के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
साथ ही, इस तरह के केस भविष्य में भी
दूसरे कंटेंट क्रिएटर्स के लिए कानूनी मिसाल बन सकते हैं –
यानी “फ्रीडम ऑफ स्पीच” के साथ‑साथ
फैक्ट‑बेस्ड स्पीच भी जरूरी हो जाएगा।
जगन्नाथ पुरी मंदिर: सिर्फ़ एक धाम नहीं, करोड़ों की आस्था
यह समझना भी ज़रूरी है कि
जगन्नाथ पुरी मंदिर केवल एक पर्यटक स्थल या सुंदर आर्किटेक्चर नहीं,
बल्कि:
- चार धामों में शामिल,
- 12वीं सदी का ऐतिहासिक और धार्मिक केंद्र,
- ओडिशा की पहचान और भारत की
सबसे बड़ी सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है।
ऐसे मंदिर से जुड़ी हर बात
सीधे‑सीधे करोड़ों भक्तों के दिल से जुड़ जाती है।
इसीलिए प्रशासन, सेवायत, विद्वान और स्थानीय लोग
किसी भी तरह की अफवाह या झूठी कथा पर
इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देते दिख रहे हैं।
धर्म, मंदिर और परंपरा पर बोलने से पहले,
रिसर्च पूरा करो, शब्दों को तोलो,
और हर वायरल वीडियो से पहले यह सोचो –
कहीं कुछ सेकंड की क्लिप, सदियों की आस्था को चोट तो नहीं पहुंचा देगी?















