पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ चैनलों पर यह खबर वायरल है कि सीतामढ़ी ज़िले में अचानक HIV के हज़ारों मरीज मिल गए हैं और हालात बेकाबू हो चुके हैं। कई जगह यह भी कहा गया कि स्कूलों में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों में HIV फैल गया है, जिस वजह से लोगों में डर और दहशत बढ़ गई।
यही वजह है कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS) को आधिकारिक प्रेस नोट जारी कर स्पष्ट करना पड़ा कि जो आंकड़े वायरल हो रहे हैं, उन्हें आधा‑अधूरा बताकर पेश किया जा रहा है। असलियत यह है कि ज़्यादातर आंकड़े पिछले करीब 20 सालों में दर्ज सभी मरीजों की कुल संख्या हैं, न कि अचानक हुए नए केस।

HIV सेंटर कब से चल रहे हैं?
सीतामढ़ी ज़िले में HIV की जांच के लिए ICTC (इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) की शुरुआत 2005 में हुई थी। यहां लोगों की काउंसलिंग की जाती है, उनकी जांच होती है और रिपोर्ट पॉज़िटिव आने पर उन्हें अगले स्तर के इलाज के लिए भेजा जाता है।
HIV से पीड़ित मरीजों को दवा देने के लिए ART (एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर 1 दिसंबर 2012 से काम कर रहा है। यानी आज जो भी आंकड़ा दिखाया जा रहा है, उसमें 2005 से लेकर अब तक के सभी रजिस्टर्ड मरीज शामिल हैं, सिर्फ़ इस साल या अभी‑अभी मिले नए मरीज नहीं।
6900 मरीज वाला आंकड़ा क्या है?
वायरल खबरों में सबसे ज़्यादा चर्चा “6900 मरीज” वाले आंकड़े की हो रही है। इसका सही मतलब यह है कि 2005 से अब तक कुल लगभग 6900 HIV पॉज़िटिव मरीज सीतामढ़ी के सिस्टम में रजिस्टर्ड हुए हैं।
इनमें से कई मरीजों की मृत्यु हो चुकी है, कुछ अपने इलाज के लिए दूसरे ज़िलों या राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं और वहां के अस्पतालों से दवा ले रहे हैं। यानी यह संख्या “कुल रजिस्टर्ड मरीज” की है, न कि “इस वक्त एक साथ इलाज करा रहे मरीज” या “अचानक बढ़े नए केस” की।
अभी कितने मरीज इलाज ले रहे हैं?
समिति के अनुसार, फिलहाल लगभग 4950–5000 मरीज ऐसे हैं जो सीतामढ़ी के ART सेंटर से नियमित रूप से मुफ्त ARV दवाएं ले रहे हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें कई साल पहले HIV की पुष्टि हुई थी और जो लगातार निगरानी और इलाज में हैं।
सरकारी हेल्थ सिस्टम की विशेषता यह है कि एक बार मरीज रजिस्टर्ड हो जाए, तो उसे सालों तक लगातार दवाएं और जांचें मिलती रहती हैं। यही वजह है कि रोज़ाना सेंटर पर अच्छी‑खासी भीड़ दिखती है, लेकिन उसका मतलब यह नहीं होता कि रोज़ इतने नए लोग HIV पॉज़िटिव निकल रहे हैं।
नए मरीज कितने मिल रहे हैं?
वित्तीय वर्ष 2025–26 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच लगभग 200 नए HIV संक्रमित मरीज पहचान में आए हैं। यह संख्या सात महीने में मिले नए केस की कुल गिनती है, न कि एक दिन या एक हफ्ते की।
इन मरीजों की पहचान कई तरह की जांच से होती है – जैसे संदिग्ध लक्षण वाले लोग, पहले से किसी दूसरी गंभीर बीमारी (जैसे टीबी) से जूझ रहे मरीज, या फिर ऐसे समूह जो उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं। समय पर जांच होने से मरीज शुरुआती अवस्था में ही इलाज पर आ जाते हैं और उनकी सेहत लंबे समय तक ठीक रह सकती है।
बच्चों में HIV: डर और हकीकत
वायरल खबरों में यह बात सबसे ज़्यादा डरावनी बनाकर दिखाई गई कि “सैकड़ों बच्चों में HIV फैल गया”। सच यह है कि अब तक रजिस्टर्ड करीब 188 बच्चे ऐसे हैं जो HIV से पीड़ित हैं, और लगभग सभी मामलों में उन्हें यह संक्रमण अपने माता या पिता के माध्यम से मिला है।
जब गर्भवती महिला HIV पॉज़िटिव होती है और समय से इलाज नहीं होता, तो बच्चे में संक्रमण पहुंचने का जोखिम बढ़ जाता है। आज सरकारी अस्पतालों में यह व्यवस्था है कि गर्भवती महिलाओं की HIV जांच की जाती है और पॉज़िटिव आने पर उन्हें विशेष दवाएं दी जाती हैं, ताकि जन्म से पहले या बाद में बच्चे को संक्रमण होने की संभावना बहुत कम की जा सके।
इन बच्चों के लिए क्या व्यवस्था है?
HIV से पीड़ित बच्चों का इलाज सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत बिल्कुल मुफ्त किया जा रहा है। ART सेंटर पर उन्हें उम्र और वजन के मुताबिक दवाएं दी जाती हैं, नियमित जांच होती है और पोषण पर भी ध्यान दिया जाता है।
इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के ज़रिए इन परिवारों को आर्थिक मदद भी दी जाती है, ताकि इलाज और पढ़ाई दोनों बाधित न हों। कई बच्चे स्कूल जा रहे हैं, सामान्य जीवन जी रहे हैं और नियमित दवाओं की मदद से लगभग सामान्य बच्चों की तरह पढ़‑लिख रहे हैं।
HIV कैसे फैलता है, कैसे नहीं?
HIV के नाम से ही लोगों के मन में डर बैठ जाता है, लेकिन इसके फैलने के तरीके बहुत स्पष्ट हैं। HIV मुख्य रूप से इन माध्यमों से फैलता है:
- बिना सुरक्षा के यौन संबंध
- संक्रमित रक्त चढ़ाने से
- संक्रमित सुई या ब्लेड इस्तेमाल करने से
- संक्रमित मां से जन्म के दौरान या स्तनपान के जरिए बच्चे में
दूसरी तरफ, HIV सामान्य संपर्क से नहीं फैलता। साथ बैठने, हाथ मिलाने, गले मिलने, एक ही थाली में खाने, स्कूल में साथ पढ़ने, ऑफिस में साथ काम करने या सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करने से HIV नहीं होता। इसलिए किसी भी HIV पॉज़िटिव व्यक्ति से दूरी बनाना या उसे समाज से काट देना पूरी तरह गलत है।


















