कहानी
फिल्म की शुरुआत बनारस की पवित्र पृष्ठभूमि से होती है, जहाँ धनुष (शंकर) और कृति सेनन (मुक्ति) की तीव्र प्रेम कहानी उभरती है. शंकर एक आवेगी नौजवान है और मुक्ति एक बुद्धिमान शोधार्थी, जो हिंसक स्वभाव को बदलने की पड़ताल में है. कॉलेज के दिनों में इन दोनों का प्यार पनपता है, लेकिन मुक्ति अपने पीएचडी शोध पूरा करने के बाद अचानक शंकर को छोड़कर चली जाती है. टूटे दिल के साथ शंकर भारतीय वायुसेना का पायलट बन जाता है, और कई साल बाद जब दोनों फिर मिलते हैं, तो शंकर उसके उस फैसले को बर्दाश्त नहीं कर पाता. (आगे की कहानी में दिखाया गया है कि यह दोबारा मिलन और जज़्बाती दर्द कैसे हल होता है.

मुख्य कलाकारों का अभिनय
धनुष ने शंकर के किरदार में जबरदस्त अभिनय किया है; उनकी आँखों में छुपा दर्द और जुनून साफ दिखता है. आलोचकों के अनुसार उनकी मौजूदगी हर सीन में महसूस होती है, और उन्होंने शंकर की जिंदादिली को सटीक पकड़ा है. कृति सेनन ने भी मुक्ति के किरदार को बहुत असरदार ढंग से निभाया है — वे खूबसूरत दिखती हैं, लेकिन उससे कहीं बढ़कर उन्होंने अपने किरदार की जटिल भावनाओं को पूरी ताकत से पर्दे पर उतारा है. इसके साथ ही प्रियंशु पैन्युली (शंकर के घनिष्ठ मित्र) और प्रकाश राज (शंकर के पिता) जैसे सह-कलाकारों ने भी अपने रोल में ठोस प्रभाव छोड़ा है.
निर्देशन और फिल्म का लहजा
आनंद एल. राय ने इस फिल्म में प्रेम और दर्द का एक भावनात्मक तूफ़ान खड़ा किया है. फिल्म का पहला भाग दर्शक को बांधे रखता है, लेकिन कई समीक्षकों ने महसूस किया है कि बाद की कड़ी थोड़ी बिखरी हुई लगने लगती है. फिर भी, फिल्म के कई भावनात्मक दृश्यों में जबरदस्त ताकत है; अंत तक यह कहानी मानो दर्शक को एक तूफानी सफ़र पर ले जाती है. निर्देशक ने पात्रों की उलझनों, भावनाओं की तीव्रता और संगीत को खूबसूरती से जोड़ते हुए कहानी का लहजा वास्तविक रखा है, जिससे फिल्म दर्शकों के दिल को छू जाती है.
संगीत, कैमरा और तकनीकी पक्ष
इस फिल्म का छायांकन तुषार कान्ति राय ने संभाला है, और उन्होंने वाराणसी की गलियों, पात्रों के भावपूर्ण दृश्यों और युद्ध के दृश्यों को खूबसूरती से कैद किया है. संगीतकार ए.आर. रहमान ने फिल्म के लिए भावपूर्ण धुनें तैयार की हैं. जैसे ही कहानी की गति धीमी होती है, उनका संगीत फिर से फिल्म में जान फूंक देता है. विशेषकर शीर्षक गीत तेरे इश्क़ में और सूफ़ी ट्रैक देवाना देवाना दर्शकों को खूब भा रहे हैं. कुल मिलाकर, तकनीकी दृष्टि से यह फिल्म अच्छी है — कैमरा, संगीत और एडिटिंग सभी कहानी को संवेदनशीलता से आगे बढ़ाने में मदद करते हैं.
क्या देखें या नहीं?
अगर आप भावुक रोमांटिक कहानियाँ पसंद करते हैं, तो ‘तेरे इश्क़ में’ आपके लिए एक दिलचस्प सफर हो सकती है. फिल्म में जुनून, दर्द और गहरी भावनाएं हैं, जो रोमांस के साथ बखूबी बुनी गई हैं. दूसरी तरफ, जिन दर्शकों को हल्की-फुल्की मनोरंजन चाहिए, उन्हें इसकी तीव्रता और लगभग तीन घंटे की लंबी अवधि भारी लग सकती है. समीक्षकों ने भी कहा है कि यह फिल्म विशेष रूप से उन दर्शकों के लिए है जो गहन प्रेम कहानियाँ देखना पसंद करते हैं. कुल मिलाकर, यह फिल्म उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी जो इमोशनल प्रेम कथा में खुद को खो जाने के लिए तैयार हों
















