Mobile Only Menu
  • Home
  • ब्लॉग
  • क्या बिहारी सिर्फ़ एक गाली है? बिहार और उसकी असली पहचान |
image of bihar

क्या बिहारी सिर्फ़ एक गाली है? बिहार और उसकी असली पहचान |

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में “बिहारी” शब्द का इस्तेमाल अक्सर गाली की तरह किया जाता है। यह हक़ीक़त है और इसे नकारा नहीं जा सकता। दिक़्क़त यह है कि लोगों के दिमाग़ में बिहारी की छवि केवल एक मजदूर, रिक्शावाले या दिहाड़ी करने वाले इंसान तक सीमित कर दी गई है। जबकि हकीकत कहीं ज़्यादा बड़ी है। सवाल यह है कि आख़िर क्यों आज भी “बिहारी” एक मज़ाक़, एक ताना या गाली का प्रतीक है? और कब यह पहचान बदलेगी?

image of bihar

आर्थिक पिछड़ापन: समस्या की जड़

बिहार की सबसे बड़ी समस्या इसका आर्थिक पिछड़ापन है। यहाँ खेती तो है, मेहनत करने वाले लोग भी हैं, लेकिन उद्योग और रोज़गार के अवसर बहुत कम हैं। जब तक गाँव का युवा पढ़-लिख कर दिल्ली, मुंबई, गुजरात या पंजाब जाकर दिहाड़ी नहीं करेगा, तब तक उसकी पहचान “मज़दूर बिहारी” से ऊपर नहीं उठेगी। यही कारण है कि दिल्ली की गलियों से लेकर मेट्रो तक “बिहारी” शब्द मज़ाक़ और ताने में सुनाई देता है।

मजदूरी से बनी छवि

दिल्ली, मुंबई और गुजरात जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में बिहारी कामगार जाते हैं। ये लोग मेहनत से शहरों को खड़ा करते हैं—मकान बनाते हैं, सड़कें तैयार करते हैं, दफ्तरों और फैक्ट्रियों में काम करते हैं। लेकिन समाज इन्हें मेहनतकश नहीं कहता, बल्कि इनकी पहचान केवल मजदूरी तक सीमित कर देता है। यहाँ तक कि पढ़े-लिखे बिहारी भी जब बाहर जाते हैं तो अक्सर उन्हें “ओह, बिहारी हो?” जैसी संकीर्ण सोच का सामना करना पड़ता है।

बिहार और IAS की पहचान

यह सच है कि बिहार ने भारत को सबसे ज़्यादा IAS और IPS अधिकारी दिए हैं। हर साल UPSC की मेरिट लिस्ट में बिहारी टॉपर्स का नाम आता है। यह साबित करता है कि बिहार दिमाग़ और मेहनत दोनों में किसी से पीछे नहीं है। लेकिन अफ़सोस यह है कि यह उपलब्धि भी “बिहारी” शब्द की गाली वाली छवि को नहीं बदल पाती। समाज अब भी बिहारी को केवल मज़दूर से जोड़ कर देखता है।

कब बदलेगी पहचान?

जब तक बिहार रिलायंस, अडानी या इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियाँ पैदा नहीं करेगा, तब तक “बिहारी” की छवि मजदूर तक सीमित ही रहेगी। जब तक बिहार देश और दुनिया को रोज़गार देने वाला प्रदेश नहीं बनेगा, तब तक बिहार को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा। इस राज्य को केवल बिहार के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए रोज़गार का केंद्र बनना होगा।

बिहार के पास क्या है?

  • मानव संसाधन: बिहार के युवा मेहनती, जुझारू और सीखने के इच्छुक हैं।
  • कृषि क्षमता: यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है, चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना और फल (खासकर लीची और आम) की खेती होती है।
  • संस्कृति और इतिहास: नालंदा, विक्रमशिला, बोधगया और मिथिला कला जैसे धरोहर इसे अद्वितीय बनाते हैं।

यानी आधार सब मौजूद है, बस इन्हें सही दिशा में ले जाने की ज़रूरत है।

बिहार की ज़िम्मेदारी

बिहार को यह समझना होगा कि केवल श्रमिक बनाकर वह अपनी पहचान नहीं बदल सकता। राज्य को शिक्षा और कृषि से आगे बढ़कर उद्योग, स्टार्टअप और IT सेक्टर में कदम रखना होगा।

  • स्थानीय उद्योगों का विकास: मुजफ्फरपुर की लीची, मधुबनी की पेंटिंग, भागलपुर का सिल्क—ये सब विश्व स्तर तक पहुँच सकते हैं।
  • IT और स्टार्टअप हब: पटना और गया जैसे शहरों को टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप के लिए तैयार करना होगा।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर: सड़क, बिजली और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएँ मज़बूत करनी होंगी।
  • निवेश आकर्षित करना : सरकार को विदेशी और भारतीय कंपनियों को बिहार में निवेश करने के लिए भरोसा दिलाना होगा। बिहारी शब्द को गर्व में बदलना होगा

आज “बिहारी” शब्द गाली लगता है, लेकिन आने वाले समय में यही शब्द गर्व की पहचान बन सकता है। जिस दिन बिहार का कोई उद्योग देश को रोज़गार देगा, जिस दिन बिहार से अगला अंबानी, अडानी या नारायणमूर्ति निकलेगा—उस दिन “बिहारी” शब्द पर ताना मारने वाले लोग खुद चुप हो जाएँगे।

निष्कर्ष

“बिहारी” शब्द को गाली बनाने वाली मानसिकता समाज की ग़लत सोच है। बिहार के लोग मेहनती हैं, पढ़ाई में अव्वल हैं और इतिहास के पन्नों में महान परंपराओं के वाहक हैं। लेकिन जब तक बिहार रोज़गार देने वाला राज्य नहीं बनेगा, तब तक यह मानसिकता नहीं बदलेगी। इसलिए अब वक्त है कि बिहार खुद को और पूरे भारत को यह साबित करे कि “बिहारी” होना गर्व की बात है, गाली नहीं

Releated Posts

मानसिक मजबूती का राज़: क्यों बिहारी लोग हर चुनौती में आगे रहते हैं?

जब कोई आदमी टेंशन में होता है या कोई बड़ा सदमा लगता है, तो पूरा घर-परिवार ढाल बनकर…

ByByManvinder MishraOct 3, 2025

Arattai क्या है? भारत का अपना मैसेजिंग ऐप, इसे क्यों अपनाएँ: सरल गाइड

अरट्टै (Arattai) एक मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप है जिसे भारत की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी ज़ोहो कॉर्पोरेशन (Zoho Corporation)…

ByByManvinder MishraOct 1, 2025

डॉ. एजाज अली: पटना के ‘गरीबों के मसीहा’

डॉ. एजाज अली, गरीबों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवा और दयालुता का दूसरा नाम हैं, बिहार के पटना…

ByByManvinder MishraOct 1, 2025

बिहार में भूमि सुधार: जमीन विवाद सुलझाने और विकास की नई राह

बिहार में चल रहा भूमि सुधार अभियान सिर्फ जमीन विवाद खत्म करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह…

ByBybiharrr123Sep 25, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top