Mobile Only Menu
  • Home
  • राजनीति
  • जानें कैसे 70% युवा आबादी होने के बावजूद विधानसभा में युवा प्रतिनिधित्व क्यों घट रहा है।
old indian politician

जानें कैसे 70% युवा आबादी होने के बावजूद विधानसभा में युवा प्रतिनिधित्व क्यों घट रहा है।

बिहार राजनीतिक आंदोलनों की धरती रहा है। 1974 का जेपी आंदोलन, मंडल राजनीति, या छात्र संघर्ष—हर जगह युवा ताकत केंद्र में रही। लेकिन आज की विधानसभा में तस्वीर उलट है। आबादी का 70% हिस्सा 35 साल से कम उम्र का है, पर विधानसभा में 40 साल या उससे कम उम्र के केवल 14% विधायक हैं।

old indian politician

AI image

पुराने चुनावों के आंकड़े

2010: उस समय कुछ युवा चेहरे सामने आए, पर कुल हिस्सेदारी बहुत सीमित रही। (आधिकारिक नतीजे और उम्मीदवारों की उम्र चुनाव आयोग की फाइलों में दर्ज हैं)।

2015: 40 वर्ष से कम उम्र के विधायक लगभग 16% रहे। यानी कुल 243 में करीब 39 सीटों पर।

2020: यह संख्या और घटकर 14% रह गई। यानी मुश्किल से 35 सीटें। जबकि उसी समय 41–55 साल के विधायकों की संख्या 48% रही।

साफ है कि समय के साथ विधानसभा में युवा घटे हैं, जबकि राज्य की जनसंख्या में उनका अनुपात लगातार बड़ा है।

असली वजहें

पार्टी टिकट – बड़ी पार्टियाँ सुरक्षित, पुराने चेहरों को प्राथमिकता देती हैं।

परिवारवाद – युवा तभी आगे आते हैं जब राजनीति घराने से हों।

चुनावी खर्च – बिहार में एक सीट पर चुनाव लड़ने में 50 लाख से 2 करोड़ तक का खर्च आता है। आम युवा के लिए नामुमकिन।

छात्र राजनीति का पतन – विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव कभी होते, कभी रुक जाते हैं। यही नई लीडरशिप को रोक देता है।

युवाओं की प्राथमिकता – नौकरी और पलायन के दबाव में राजनीति करियर विकल्प नहीं बनती।

असर

रोजगार, शिक्षा, माइग्रेशन, स्टार्टअप जैसे मुद्दे पीछे रहते हैं।

नीति बनाने वालों की सोच और युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं के बीच बड़ा गैप है।

निराशा और पलायन बढ़ता है।

2025 चुनाव की तस्वीर

मतदान नवंबर 2025 में तीन चरणों में होने की संभावना है।

विशेष पुनरीक्षण (SIR) के बाद 21.5 लाख नए मतदाता जुड़े हैं, जिनमें बड़ी संख्या Gen Z और पहली बार वोट डालने वाले होंगे।

लेकिन अब तक के संकेत यही हैं कि पार्टियों ने युवा उम्मीदवारों की संख्या नहीं बढ़ाई है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2025 में भी उनका अनुपात बहुत सीमित रहेगा।

समाधान

टिकट बंटवारे में कम से कम 25% सीटें युवाओं को मिलें।

छात्र राजनीति को मज़बूत किया जाए।

खर्च पर सख्ती से नियंत्रण हो।

विधानसभा में युवाओं के लिए न्यूनतम प्रतिनिधित्व तय हो।

युवाओं को खुद भी केवल वोट डालने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उम्मीदवार बनकर सामने आना चाहिए।

नतीजा

बिहार का भविष्य युवाओं पर टिका है। 2015 में 16% युवा विधायक थे, 2020 में घटकर 14% रह गए। अब 2025 चुनाव में सवाल यह है कि क्या राजनीतिक दल इस अंतर को भरने का साहस दिखाएंगे या नहीं। अगर युवा सिर्फ संख्या बनकर रहेंगे और निर्णय का हिस्सा नहीं बनेंगे, तो यह लोकतंत्र और राज्य दोनों के लिए खतरा होगा।

Releated Posts

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : आसान भाषा में

1. बिहार की राजनीति कैसी है? बिहार की राजनीति समझना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन असल में यह…

ByBybiharrr123Sep 28, 2025

बिहार में बेरोज़गारी या शिक्षा पर नहीं, केवल वोट चोरी और घुसपैठियों पर हो रही है बात: प्रशांत किशोर

The Indian Express को दिए अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने वोट चोरी से लेकर बिहार के…

ByBybiharrr123Sep 25, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top