राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी (RJP), जिसने 2005 में सीमित सफलता हासिल की थी, के लिए 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव अपनी पुनः पहचान स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है। पार्टी की वर्तमान स्थिति और चुनौतियों के आधार पर, 2025 में इसकी संभावित चुनावी स्थिति निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करेगी:

1. गठबंधन की निर्णायक भूमिका RJP
RJP की स्थिति मुख्य रूप से यह तय करने पर निर्भर करेगी कि वह 2025 में किस बड़े राजनीतिक ध्रुव (महागठबंधन या NDA) के साथ स्थायी और स्पष्ट गठबंधन करती है।
- यदि बड़े गठबंधन में शामिल होती है: अगर पार्टी किसी बड़े मोर्चे का हिस्सा बनती है, तो उसे कुछ सीटें मिल सकती हैं। हालाँकि, सीटों की संख्या बहुत कम रहेगी (संभवतः 3 से 5 सीटें), और उसकी जीत की संभावना भी उस बड़े गठबंधन के समग्र प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। गठबंधन में उसका मुख्य योगदान ग्रामीण, दलित और अति-पिछड़ा वर्ग के विशिष्ट वोट को जोड़ना होगा।
- यदि अकेले चुनाव लड़ती है: वित्तीय संसाधनों की कमी और संगठनात्मक ढाँचे की अपूर्णता के कारण, अकेले लड़ने पर 2025 में RJP के लिए कोई सीट जीतना अत्यंत कठिन होगा। ऐसे में पार्टी का मुख्य उद्देश्य वोट प्रतिशत बढ़ाना और नए युवा नेतृत्व को राजनीतिक मंच प्रदान करना रहेगा।
2. RJP विचारधारा को फिर से सक्रिय करना
2025 में RJP की चुनावी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह गठबंधन की छाया से बाहर निकलकर अपनी स्वतंत्र विचारधारा (विकासपरक राजनीति, पंचायती राज, शिक्षा) को कितनी मजबूती से स्थापित कर पाती है।
- पार्टी को ‘जन संवाद मंच’ जैसी अपनी जमीनी पहलों को फिर से सक्रिय करना होगा।
- चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय, क्षेत्रीय मुद्दों पर मजबूती से ध्यान केंद्रित करना होगा, न कि केवल राज्य या राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर।
3. चुनावी परिणाम का पूर्वानुमान
RJP के सामने अपनी पुरानी 2005 की सफलता (2 सीटें) को दोहराने की बड़ी चुनौती होगी।
- सीटें जीतने की संभावना: यदि RJP किसी मजबूत गठबंधन का हिस्सा बनती है, तो 1 से 2 सीटें जीत सकती है, बशर्ते उसे रोहतास या नालंदा जैसे अपने पारंपरिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार मिलें।
- वोट प्रतिशत: बड़े गठबंधनों में शामिल होने पर इसका वोट शेयर 2% से 4% के बीच स्थिर रह सकता है।
संक्षेप में, 2025 में RJP की स्थिति एक छोटे, प्रासंगिक सहयोगी दल की रहेगी। इसकी चुनावी सफलता का पैमाना सीटों की संख्या के बजाय स्थानीय प्रभाव और गठबंधन में मोलभाव करने की क्षमता होगी।