बिहार की राजनीति में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर एक अहम किरदार बनकर उभरे हैं। पहले चुनावी रणनीतिकार के रूप में मशहूर रहे प्रशांत किशोर अब अपनी जन सुराज पार्टी के साथ बिहार की राजनीति में नया बदलाव लाने की तैयारी कर रहे हैं।
शुरुआती जीवन और करियर
प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के पास कोनार गाँव में हुआ था। उनके पिता डॉ. श्रीकांत पांडे डॉक्टर थे और माता सुशीला पांडे गृहिणी थीं। बाद में परिवार बक्सर आकर बस गया, जहाँ से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
राजनीति में आने से पहले, प्रशांत किशोर ने करीब आठ साल तक संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया। उनकी पत्नी डॉ. जहान्वी दास गुवाहाटी की रहने वाली हैं और डॉक्टर हैं। दोनों का एक बेटा भी है।

राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में सफर
शुरुआती कामयाबी
प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा 2011 में शुरू हुई जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार जिताने में मदद की। लेकिन उन्हें असली पहचान 2014 में मिली जब उन्होंने ‘सिटिज़न्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG)’ नाम से चुनावी टीम बनाई।
2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी रणनीति से भाजपा को भारी बहुमत मिला। उन्होंने ‘चाय पे चर्चा’, 3D रैलियों और रन फॉर यूनिटी जैसे नए तरीके शुरू किए।
I-PAC की शुरुआत और कामयाबी
2015 में प्रशांत किशोर ने ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ (I-PAC) बनाई। इसके जरिए उन्होंने कई राज्यों में जनादेश बदला:
- 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को महागठबंधन की जीत दिलाई
- 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अमरिंदर सिंह को जिताया
- 2019 आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी को भारी जीत दिलाई
- 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्ज़ी की तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई
हाल ही में प्रशांत किशोर ने बताया कि उन्होंने राजनीतिक सलाहकार के तौर पर पिछले तीन वर्षों में 241 करोड़ रुपये कमाए, जिनमें से लगभग 99 करोड़ रुपये उन्होंने अपनी जन सुराज पार्टी को दान दिए।
जन सुराज पार्टी की शुरुआत
2021 में रणनीतिकार का काम छोड़, प्रशांत किशोर ने 2 मई 2022 को ‘जन सुराज अभियान’ शुरू किया। 2 अक्टूबर 2022 से उन्होंने 3,500 किलोमीटर की पदयात्रा कर बिहार के 5,000 से अधिक गांवों में जनता से जुड़े मुद्दे समझे।
2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती पर उन्होंने ‘जन सुराज पार्टी’ बनाई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और बिहार अध्यक्ष मनोज भारती ने पार्टी को मजबूत किया।
चुनावी रणनीति और दावे
- पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है
- 9 अक्टूबर को पहली उम्मीदवार सूची जारी होगी, जिसमें 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया जाएगा
- स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी
- पार्टी भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का वादा करती है और बिहार को देश के टॉप 10 राज्यों में लाने का लक्ष्य रखती है
- प्रशांत किशोर का दावा है कि उनकी पार्टी “या तो पहले नंबर पर होगी या आखिरी नंबर पर”
- वे पूरी बहुमत की सरकार बनाने का दम भरते हैं, साथ ही कहते हैं कि अगर उन्हें 125-130 सीटें भी मिलती हैं तो इसे वे हार मानेंगे
भ्रष्टाचार के आरोप और राजनीतिक हमले
प्रशांत किशोर ने सत्ता में बैठे NDA के नेताओं, खासतौर पर जेडीयू के अशोक चौधरी और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर भ्रष्टाचार और गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके जवाब में अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का नोटिस दिया है।
चुनावी प्रदर्शन और दिक्कतें
नवंबर 2024 के उपचुनावों में जन सुराज का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा।
- बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तराड़ी में पार्टी ने उम्मीदों के अनुरूप वोट नहीं हासिल किए।
- तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई, कुल वोट शेयर करीब 10% रहा।
आलोचना यह भी है कि पार्टी के कई उम्मीदवारों पर पहले से आपराधिक मामले हैं, जो पक्षपात या साफ-सुथरी छवि के दावों के खिलाफ है।
ताजा सर्वेक्षण और चुनावी हालात
- विभिन्न सर्वेक्षणों में जन सुराज पार्टी को करीब 4 से 8 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। सीटों का आंकड़ा सीमित है, लगभग 4 से 6 सीटें मिल सकती हैं।
- NDA गठबंधन को लगभग 130-158 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन को 66-103 सीटें मिल सकती हैं।
- जन सुराज युवा और शिक्षित मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हो रही है, खासतौर पर शहरी इलाकों में।
- सर्वे बताते हैं कि पार्टी अब तीसरे बड़े विकल्प के रूप में उभर रही है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों से वोट काट सकती है।
भविष्य की संभावनाएं
जन सुराज पार्टी ने बिहार में बदलाव का बड़ा एजेंडा लेकर चुनाव मैदान में कदम रखा है। पार्टी ने गाँव के मुखिया, सरपंच और पूर्व आईएएस-आईपीएस अधिकारियों को टिकट देने की योजना बनाई है, जो पारंपरिक जातिगत राजनीति से हटकर नई ताकत बनने की कोशिश है।
प्रशांत किशोर के लिए यह चुनाव बहुत मायने रखता है। आने वाले चुनावी नतीजों से ही पता चलेगा कि जन सुराज पार्टी बिहार की राजनीति में कितना बड़ा असर डाल पाती है।
FAQ
| Prashant kishor kaun hai |
भारत के सबसे प्रभावशाली चुनावी रणनीतिकार और अब राजनीतिज्ञ, जन सुराज पार्टी के संस्थापक
| Prashant kishor education IIT |
- बक्सर से स्कूली पढ़ाई पूरी की
- पटना साइंस कॉलेज से पढ़े
- IIT नहीं गए – परिवार चाहता था लेकिन उनकी रुचि अलग थी
- दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया
- लखनऊ और हैदराबाद से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की
- संयुक्त राष्ट्र में 8 वर्ष काम किया
| Prashant kishor cast kya hai |
ब्राह्मण (Brahmin) जाति से हैं, लेकिन आमतौर पर “पांडे” सरनेम नहीं लगाते
| Prashant kishor wife cast |
- नाम: डॉ. जाह्नवी दास
- मूल स्थान: असम के गुवाहाटी की
- पेशा: डॉक्टर
- मिलन: संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य कार्यक्रम में काम करते समय
- जाति: सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है
| prashant kishor net worth |
- पिछले 3 वर्षों की कमाई: ₹241 करोड़
- जीएसटी भुगतान: ₹30.98 करोड़
- आयकर: ₹20 करोड़
- पार्टी को दान: ₹98.95 करोड़
- अनुमानित कुल संपत्ति: ₹25-30 करोड़ से ₹60-70 करोड़ के बीच
















