बिहार की औद्योगिक तस्वीर बदल रही है। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। अक्सर कृषि और राजनीति के लिए चर्चा में रहने वाला बिहार अब हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बन रहा है। हाल ही में, SLMG Beverages ने बक्सर के नावानगर इंडस्ट्रियल एरिया में अपना अत्याधुनिक बॉटलिंग प्लांट शुरू किया है।
यह कोई साधारण फैक्ट्री नहीं है। यह भारत और साउथ एशिया का पहला ‘Safety-by-Design’ (SbD) कोका-कोला प्लांट है। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्लांट का निरीक्षण किया और इसे बिहार के विकास में एक मील का पत्थर बताया।

क्या है ‘Safety-by-Design’ (SbD) तकनीक?
सबसे पहले तकनीकी बात करते हैं, लेकिन सरल शब्दों में। आम फैक्ट्रियों में सुरक्षा के लिए हेलमेट, दस्ताने और कड़े नियमों (Rules) का पालन किया जाता है। लेकिन ‘सेफ्टी-बाय-डिज़ाइन’ का मतलब है कि फैक्ट्री की बनावट ही ऐसी है कि दुर्घटना की गुंजाइश न के बराबर हो।
इस प्लांट में इंसानी गलतियों (Human Error) को कम करने के लिए एडवांस इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है:
- रोबोटिक सिस्टम: भारी और जोखिम भरे कामों के लिए इंसानों की जगह रोबोटिक आर्म्स और ऑटोमेटेड मशीनों का इस्तेमाल किया गया है।
- स्मार्ट सेंसर्स: अगर कोई कर्मचारी मशीन के खतरनाक हिस्से के करीब जाता है, तो सेंसर्स मशीन को तुरंत बंद कर देते हैं। इसे ‘इंजीनियरिंग कंट्रोल्स’ कहते हैं।
- 3D मॉडलिंग: इस प्लांट को बनाने से पहले कंप्यूटर पर इसका एक ‘Digital Twin’ (जुड़वाँ मॉडल) तैयार किया गया था ताकि निर्माण से पहले ही सुरक्षा खामियों को दूर किया जा सके।
सरल शब्दों में कहें तो, यहाँ सुरक्षा नियमों से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से सुनिश्चित की जाती है।
बक्सर में निवेश का महाकुंभ: ₹1,200 करोड़ की लागत
SLMG Beverages, जो भारत में कोका-कोला की सबसे बड़ी स्वतंत्र बॉटलर कंपनी है, ने इस प्रोजेक्ट में दिल खोलकर निवेश किया है।
- कुल निवेश: लगभग ₹1,200 करोड़।
- उत्पादन क्षमता: यह प्लांट हर दिन 3.24 लाख केस (Cases) कोल्ड ड्रिंक्स तैयार करने की क्षमता रखता है।
यह निवेश SLMG ग्रुप के उस बड़े प्लान का हिस्सा है जिसके तहत वे अगले कुछ सालों में ₹8,000 करोड़ का निवेश करने जा रहे हैं। कंपनी का लक्ष्य 2030 तक ₹20,000 करोड़ का रेवेन्यू हासिल करना है, और बक्सर का यह प्लांट उस लक्ष्य की रीढ़ की हड्डी है।
बिहार को क्या फायदा? (रोजगार और अर्थव्यवस्था)
जब भी कोई बड़ी इंडस्ट्री आती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है—”लोकल लोगों को क्या मिलेगा?”
इस प्लांट के शुरू होने से बक्सर और आस-पास के जिलों में रोजगार की लहर आई है:
- डायरेक्ट जॉब्स: रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ सैकड़ों लोगों को सीधी नौकरी (Direct Employment) मिली है, जिसमें मशीन ऑपरेटर, इंजीनियर और टेक्नीशियन शामिल हैं।
- इनडायरेक्ट रोजगार: ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और सप्लाय चेन के जरिए हजारों और लोगों को काम मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक, एक डायरेक्ट जॉब के पीछे 3 से 4 इनडायरेक्ट जॉब्स पैदा होती हैं।
- लोकल विकास: नावानगर अब सिर्फ एक गाँव या ब्लॉक नहीं रहा, बल्कि एक इंडस्ट्रियल हब बन रहा है। यहाँ पेप्सीको (वरुण बेवरेजेस) और एथेनॉल प्लांट पहले से मौजूद हैं, जिससे यह क्षेत्र SEZ (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन) बनने की राह पर है।
पर्यावरण के लिए ‘जीरो इम्पैक्ट’ (Green Technology)
बिहार जैसे राज्य में जहाँ पानी और खेती महत्वपूर्ण है, वहाँ पर्यावरण की सुरक्षा बहुत जरूरी है। यह प्लांट सस्टेनेबिलिटी (Sustainability) के मामले में भी वर्ल्ड-क्लास है:
- Zero Liquid Discharge (ZLD): इसका मतलब है कि फैक्ट्री से गंदा पानी बाहर नालों में नहीं बहाया जाएगा। पूरा पानी रिसाइकिल होकर दोबारा इस्तेमाल होगा।
- वाटर रिचार्ज: कंपनी जितना पानी जमीन से लेगी, उससे ज्यादा पानी रेन-वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए वापस जमीन में पहुंचाएगी (100%+ Replenishment)।
- सोलर पावर: बिजली की खपत को कम करने और कार्बन फुटप्रिंट घटाने के लिए सोलर एनर्जी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
कोका-कोला बनाम कैम्पा कोला: मार्केट की जंग
यह प्लांट सिर्फ उत्पादन के लिए नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक हथियार भी है। रिलायंस (Reliance) ने अपने ‘कैम्पा कोला‘ (Campa Cola) ब्रांड के साथ मार्केट में जोरदार एंट्री ली है और वे भी बिहार के बेगूसराय में अपना प्लांट लगा रहे हैं।
कोका-कोला और SLMG जानते हैं कि बिहार और यूपी (Eastern India) में कोल्ड ड्रिंक्स की खपत तेजी से बढ़ रही है। बक्सर का यह हाई-स्पीड प्लांट कोका-कोला को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि गर्मी के मौसम में दुकानों पर माल की कमी न हो और वे रिलायंस की चुनौती का डटकर मुकाबला कर सकें।















