मध्य प्रदेश के पूर्व RTO (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) हवलदार सौरभ शर्मा का मामला भारतीय सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की एक चौंका देने वाली कहानी है। महज ₹26,000-28,000 की मासिक तनख्वाह वाले इस कांस्टेबल के पास ऐसी संपत्ति मिली है जो भारतीय क्रिकेट के महानायक विराट कोहली (जिनकी कुल संपत्ति लगभग ₹1,050 करोड़ है) से भी अधिक होने का दावा किया गया है।
सौरभ शर्मा: कौन है यह ‘करोड़पति हवलदार’?
सौरभ शर्मा, ग्वालियर के एक सरकारी डॉक्टर के बेटे थे। पिता की 2015 में मृत्यु के बाद, उन्हें अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर 2016 में परिवहन विभाग में हवलदार के पद पर नियुक्त किया गया। 12 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली।
लेकिन इन 12 वर्षों में सौरभ शर्मा ने एक ऐसा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया जो किसी भी कल्पना से परे है।

संपत्ति का ढेर: जो मिला वह चौंकाने वाला है
दिसंबर 2024 में लोकायुक्त, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में सौरभ शर्मा और उनके सहयोगियों से जुड़ी अकूत संपत्ति बरामद हुई:
बरामद संपत्ति:
- 52 किलो सोना (लगभग ₹40 करोड़ की कीमत)
- 234 किलो चांदी (लगभग ₹2 करोड़)
- ₹11-15 करोड़ नकद (छोड़ी गई SUV और घर से)
- दुबई में ₹150 करोड़ की विला
- मध्य प्रदेश में मछली पालन के फार्म
- ₹6 करोड़ से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट
- ₹2.21 करोड़ की लक्जरी गाड़ियां
- परिवार के नाम पर ₹23 करोड़ की संपत्तियां
- गुरुग्राम, इंदौर, ग्वालियर, भोपाल में बड़े-बड़े बंगले और ज़मीनें
- होटल और जयपुरिया स्कूल की भोपाल यूनिट की स्थापना (माता और पत्नी के नाम पर)
कुल अनुमानित संपत्ति: ₹500-700 करोड़, जबकि ED ने ₹108.25 करोड़ की संपत्ति जब्त करने की मांग की है।
भ्रष्टाचार का खेल: कैसे बना यह साम्राज्य?
सौरभ शर्मा को मध्य प्रदेश के 47 में से 23 परिवहन चेकपोस्ट की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी। यहीं से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल:
चेकपोस्ट वसूली का तरीका:
- ओवरलोड गाड़ियों को जाने देने के लिए रिश्वत
- RTO दस्तावेजों में खामी दिखाकर अवैध वसूली
- ट्रक चालकों से नियमित हफ्ता वसूली
- चालान की धमकी देकर मनमाना पैसा लेना
सौरभ ने यह पैसा अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सहयोगी चेतन सिंह गौर तथा शरद जैसवाल के नाम पर बेनामी संपत्ति में बदल दिया। उन्होंने अवीरल बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी भी अपने बेटे के नाम पर स्थापित की।
दिलचस्प बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार ने जुलाई 2024 में सभी चेकपोस्ट बंद कर दिए थे, फिर भी अवैध वसूली जारी रही।
राजनीतिक विवाद और आरोप-प्रत्यारोप
यह मामला राजनीतिक तूफान का केंद्र बन गया है। कांग्रेस नेता जितू पटवारी और दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सौरभ शर्मा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के विश्वसनीय व्यक्ति और मध्य प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सुरक्षा में काम करता था।
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि लोकायुक्त की छापेमारी में सौरभ की 66 पन्नों की एक डायरी मिली, जिसमें ₹1,300 करोड़ की वसूली के विवरण थे, लेकिन केवल 6 पन्ने उपलब्ध हैं, बाकी गायब हैं। डायरी में ‘TC’ और ‘TM’ जैसे कोड शब्द थे, जिन्हें कांग्रेस ने परिवहन आयुक्त और परिवहन मंत्री से जोड़ा।
दूसरी ओर, BJP ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि सौरभ शर्मा ने अपना भ्रष्टाचार नेटवर्क 2015-2019 के बीच बनाया, जब कांग्रेस की सरकार थी।
कानूनी कार्रवाई: गिरफ्तारी और जेल
28 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया। इसके बाद 10 फरवरी 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जैसवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया।
9 अप्रैल 2025 को ED ने विशेष PMLA न्यायालय, भोपाल में चार्जशीट दायर की और ₹108.25 करोड़ की संपत्ति जब्त करने की मांग की। ED ने अब तक ₹92.07 करोड़ की संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच की है और ₹16.18 करोड़ नकद जब्त किया है।
1 अप्रैल 2025 को लोकायुक्त अदालत ने सौरभ को जमानत दे दी, क्योंकि लोकायुक्त 60 दिन के भीतर चालान दाखिल करने में विफल रही। हालांकि, वह ED मामले में न्यायिक हिरासत में बने रहे।
28 सितंबर 2025 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सौरभ शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि “नकद, आभूषण और दस्तावेजों के विश्लेषण से मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलता है”। वह फरवरी 2025 से न्यायिक हिरासत में हैं।
विराट कोहली से भी अमीर?
विराट कोहली की कुल संपत्ति ₹1,050 करोड़ अनुमानित है, जो उनके BCCI अनुबंध (₹7 करोड़/वर्ष), IPL कमाई (₹21 करोड़/सीजन), ब्रांड एंडोर्समेंट (₹200 करोड़/वर्ष से अधिक), और व्यावसायिक उपक्रमों से आती है।
सौरभ शर्मा की अनुमानित संपत्ति ₹500-700 करोड़ बताई गई है, जो विराट कोहली की संपत्ति के करीब या उससे अधिक हो सकती है। यदि ED के दावे सही हैं, तो केवल 12 वर्षों में एक हवलदार ने भारत के सबसे अमीर एथलीटों जितनी संपत्ति जमा कर ली—और यह सब रिश्वत और अवैध वसूली से।
भ्रष्टाचार की गहराई
सौरभ शर्मा का मामला केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है। यह भारतीय प्रशासनिक तंत्र में गहराई से जड़ें जमाए भ्रष्टाचार का प्रतीक है। एक साधारण हवलदार जो ₹26,000-28,000 की तनख्वाह लेता था, वह कैसे सैकड़ों करोड़ की संपत्ति जमा कर सकता है—यह सवाल पूरे सिस्टम पर उंगली उठाता है।
यह मामला अब भी जांच के दायरे में है, और जैसे-जैसे नई परतें खुल रही हैं, यह साफ हो रहा है कि भ्रष्टाचार केवल निचले स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा है जो सत्ता के शीर्ष तक फैला हुआ है।
















