बिहार! यह सिर्फ एक राज्य नहीं, यह लाखों युवाओं के सपनों का गढ़ है, जहां हर साल लाखों छात्र अपनी किस्मत आजमाने के लिए परीक्षा देते हैं। लेकिन, पिछले कई सालों से हमारी परीक्षाओं पर ‘नकल’ और ‘धांधली’ का एक दाग लगा हुआ था, जिसने हमारे मेहनती बच्चों का सिर झुका दिया था।
मगर अब, यह कहानी बदल रही है। पटना के कुम्हरार इलाके में एक ऐसा विशाल ढांचा खड़ा हुआ है, जिसका नाम है बापू परीक्षा परिसर। यह परिसर सिर्फ ईंट-सीमेंट की बिल्डिंग नहीं है, बल्कि बिहार के उस संकल्प का प्रमाण है कि अब हमारी परीक्षाओं में सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी और काबिलियत ही चलेगी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर बना यह केंद्र, बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक नया अध्याय है ।

बिहार की नई उड़ान
क्या आप जानते हैं? यह बापू परीक्षा परिसर पूरे भारत का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र है । इसकी विशालता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसकी तुलना न्यूयॉर्क के मशहूर ‘मैडिसन स्क्वायर गार्डन’ की बैठने की क्षमता से की गई है!
सोचिए, एक ही छत के नीचे 16,600 से ज़्यादा बच्चे एक साथ बैठकर बिना किसी डर के अपनी परीक्षा दे सकते हैं । आने वाले समय में, इसे और बड़ा करके 25,000 से ज़्यादा छात्रों की क्षमता तक ले जाने का लक्ष्य है । इस परिसर को बनाने में राज्य सरकार ने लगभग ₹281 करोड़ खर्च किए हैं, जो बताता है कि हमारे बच्चों के भविष्य को कितनी अहमियत दी जा रही है । यह निवेश सिर्फ एक बिल्डिंग पर नहीं, बल्कि बिहार की विश्वसनीयता और साख को मजबूत करने पर किया गया है।
सुविधाओं का महासागर : हाई-टेक दीवारें
बापू परीक्षा परिसर को इस तरह से बनाया गया है कि नकल की कोशिश भी दम तोड़ दे।
यह एक ऐसा अभेद्य किला है, जिसे हाई-टेक सुविधाओं से लैस किया गया है:
- कैमरे की पैनी नज़र: इस पूरे परिसर पर 100 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी रखी जाती है । इन सबकी रिकॉर्डिंग एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष (Central Control Room) में होती है।
- AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की शक्ति: नकलचियों को पकड़ने के लिए अब इंसानों की नहीं, बल्कि मशीन की मदद ली जा रही है। परीक्षा के दौरान अगर कोई छात्र बार-बार इधर-उधर देखता है या कोई गड़बड़ी करता है, तो AI पर आधारित सिस्टम उसे तुरंत पकड़ लेगा ।
- ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों: यह केंद्र सिर्फ लिखित परीक्षा ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए भी तैयार है। यहां बिजली गुल होने का डर नहीं है, क्योंकि पूरे परिसर के लिए मजबूत UPS (बिजली आपूर्ति व्यवस्था) लगाई गई है, ताकि 16,600 से ज़्यादा परीक्षार्थियों की परीक्षा निर्बाध चलती रहे ।
- छोटी-छोटी मगर ज़रूरी बातें: परीक्षा हॉल में आपको अपनी घड़ी पहनकर आने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हर कमरे में घड़ी लगी है । मेटल डिटेक्टर से होकर ही एंट्री होती है । इतना ही नहीं, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए भी कैंपस में अलग से आवास बनाए गए हैं ।
यह सारी व्यवस्थाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि बिहार पर लगा ‘नकलची राज्य’ का दाग हमेशा के लिए धुल जाए और हमारी परीक्षा व्यवस्था आईआईटी या आईआईएम जैसी राष्ट्रीय संस्थाओं के स्तर पर आ जाए ।
सिर्फ परीक्षा नहीं, करियर की तैयारी भी
बापू परीक्षा परिसर का उपयोग सिर्फ बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) के लिए ही नहीं होगा, बल्कि राज्य की सभी बड़ी भर्ती परीक्षाओं—जैसे BPSC, BSSC और अन्य आयोगों की परीक्षाएं—भी यहीं आयोजित की जाएंगी । यह केंद्रीकृत व्यवस्था हर आयोग की परीक्षा में एक समान उच्च-मानक और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
सबसे खास बात यह है कि यह केंद्र सिर्फ परीक्षा लेने वाली जगह नहीं है, बल्कि यह सपनों को उड़ान देने वाला केंद्र है। इसी परिसर में मेधावी छात्रों के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग की सुविधा भी शुरू की गई है । यानी, सरकार सिर्फ नकल रोक नहीं रही है, बल्कि गरीब और मेधावी बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार भी कर रही है। यह है असली ‘I Love Bihar’ वाला काम!
पहला इम्तिहान और सबक : जीत से पहले तैयारी
इतनी बड़ी और शानदार शुरुआत के बाद, बापू परीक्षा परिसर ने दिसंबर 2024 में BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के साथ अपना पहला बड़ा इम्तिहान लिया ।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि इस हाई-टेक केंद्र पर भी कुछ असामाजिक तत्वों ने गड़बड़ी करने की कोशिश की । प्रश्न पत्र देर से मिलने का आरोप लगा और हंगामा इतना बढ़ा कि मजबूरी में आयोग को केवल इसी केंद्र की परीक्षा रद्द करनी पड़ी । कुछ शरारती तत्वों ने परिसर की मर्यादा तोड़ी, जिसके बाद 25-30 उपद्रवियों पर कार्रवाई भी शुरू की गई ।
इस घटना ने हमें एक बड़ा सबक सिखाया कि सिर्फ तकनीक लगा देने से बात नहीं बनेगी। इसके संचालन के लिए व्यवस्थापक (Management) और सुरक्षा (Security) भी उतनी ही मजबूत होनी चाहिए।
इसीलिए, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने तुरंत यह तय किया कि इस परिसर को चलाने के लिए एक अलग समिति (Committee) बनाई जाएगी । जब तक यह प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह तैयार नहीं हो जाता, तब तक 2025 की इंटर और मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा यहां नहीं होगी । हाल ही में, फरवरी 2025 में इस समिति के गठन को मंज़ूरी मिल गई है । अब उम्मीद है कि अप्रैल 2025 में कंपार्टमेंटल और विशेष परीक्षाओं के साथ, यह केंद्र अपनी नई शुरुआत करेगा ।
परीक्षा में सिर्फ मेहनत चलती है, नक़ल नहीं।”
बापू परीक्षा परिसर बिहार की ईमानदारी और प्रगति की कहानी है। यह दर्शाता है कि हमारे राज्य के युवाओं का भविष्य अब अंधेरे में नहीं रहेगा, बल्कि तकनीक और पारदर्शिता की रोशनी में आगे बढ़ेगा।
नकलचियों का गिरोह सक्रिय है, यह सच है । लेकिन सरकार का यह कदम यह बताता है कि हमारे संकल्प उनसे कहीं ज़्यादा मज़बूत हैं। हमें उम्मीद है कि नई संचालन समिति जल्दी ही इसे एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करेगी, जहां बिहार का हर छात्र गर्व से कह सकेगा: “हमारी परीक्षा में सिर्फ मेहनत चलती है, नक़ल नहीं।”
यह परिसर बिहार के युवा सपनों को एक नया और ईमानदार आधार देने का वादा है। हम सब मिलकर इस नई उड़ान का स्वागत करते हैं।

















