गरीब परिवारों के लिए गरिमापूर्ण शादी का सपना
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की दूरदर्शी सोच ने अब एक नई योजना को जन्म दिया है— “मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना”। इस योजना का सीधा और सरल मकसद यह है कि गाँव की गरीब बेटियों की शादी भी शहरों के मैरिज हॉल की तरह पूरे सम्मान और गरिमा के साथ हो सके ।

AI Image
यह योजना उन ग्रामीण परिवारों के लिए लाई गई है, जिन्हें अपनी बेटियों की शादी में जगह और पैसे की भारी किल्लत झेलनी पड़ती है । गाँव में अक्सर शादी समारोह आयोजित करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते, जिस कारण परिवार को या तो बहुत खर्च करना पड़ता है या रिश्तेदारों पर निर्भर रहना पड़ता है। अब पंचायत स्तर पर एक आधुनिक विवाह मंडप उपलब्ध होने से यह समस्या हल हो जाएगी । सरकार का अनुमान है कि इस सुविधा का उपयोग करने से गरीब परिवारों का टेंट, कुर्सी और अन्य अस्थायी व्यवस्थाओं पर होने वाला ₹50,000 से ₹60,000 तक का खर्च सीधे बचेगा ।
यह पहल सिर्फ भौतिक सुविधा नहीं है, बल्कि एक सामाजिक सुधार भी है। यह लोगों में जागरूकता बढ़ाकर बाल विवाह और दहेज जैसी कुरीतियों पर रोक लगाने के प्रयासों को भी बल देती है, साथ ही समाज में बेटियों के प्रति एक सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है ।
योजना का बड़ा पैमाना और बजट
इस योजना का विस्तार पूरे राज्य में किया गया है।
8,053 पंचायतों को करना है शामिल
राज्य सरकार ने बिहार की सभी 8,053 ग्राम पंचायतों को इस योजना के तहत शामिल करने का लक्ष्य रखा है । यह अपने आप में एक बहुत बड़ी सुविधा बनाने का काम है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्थायी सामुदायिक संपत्ति का निर्माण होगा ।
भारी-भरकम पैसा मंजूर
- कुल खर्च: इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने ₹4,026 करोड़ (40 अरब 26 करोड़ 50 लाख रुपये) का भारी-भरकम बजट मंजूर किया है ।
- एक मंडप की लागत: हर एक विवाह भवन के निर्माण के लिए ₹50 लाख की लागत तय की गई है ।
- शुरुआत के लिए फंड: योजना को तुरंत शुरू करने और गति देने के लिए, बिहार आकस्मिकता निधि (Contingency Fund) से ₹50 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी गई है ।
चूंकि यह इतना बड़ा काम है, इसलिए इसे पाँच वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक) में अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा ।
निर्माण : जमीन का चुनाव और तैयारी
इस प्रोजेक्ट के काम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है, जिसका मार्गदर्शन पंचायती राज विभाग कर रहा है ।
निर्माण स्थल का चुनाव
मंडप का निर्माण केवल उस जमीन पर किया जाएगा जो सरकारी, सार्वजनिक, या दान में मिली हुई विवाद-मुक्त जमीन हो ।
- जगह की प्राथमिकता: पंचायती राज विभाग ने निर्देश दिया है कि मंडप को यथासंभव पंचायत सरकार भवन के नजदीक ही बनाया जाए । इससे एक ही स्थान पर प्रशासनिक और सामुदायिक सुविधाएँ केंद्रित हो सकेंगी।
- सत्यापन: जिला पंचायती राज पदाधिकारी (DPRO) के निर्देश पर, अंचलाधिकारी (CO) मौके पर जाकर जमीन की जाँच करेंगे। जमीन विवाद-मुक्त पाए जाने के बाद ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी ।
मंडप की बनावट और गुणवत्ता
₹50 लाख की लागत से बनने वाले हर मंडप में ये जरूरी सुविधाएँ होंगी, ताकि समारोहों का आयोजन बेहतर तरीके से हो सके :
- एक आधुनिक हॉल (मुख्य आयोजन स्थल)।
- एक रसोईघर (सामुदायिक भोज के लिए)।
- पर्याप्त शौचालय सुविधाएँ।
- परिसर की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवॉल।
- समारोह के लिए पर्याप्त लाइटिंग व्यवस्था।
निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, कार्य की सीधी निगरानी तकनीकी सहायक और कनीय अभियंताओं द्वारा की जाएगी। इसके ऊपर सहायक, कार्यपालक और अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारी भी तकनीकी जाँच करेंगे ।
समय सीमा और पैसे का हिसाब
- समय सीमा: ठेकेदार (संवेदक) को काम शुरू होने की तारीख से 9 महीने के भीतर निर्माण पूरा करना अनिवार्य होगा ।
- पैसे की निकासी: वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, निर्माण लागत की राशि सीधे ठेकेदार को नहीं दी जाएगी। इसकी निकासी कोषागार से जिला पंचायत राज पदाधिकारी (DPRO) के माध्यम से की जाएगी ।
- एडवांस सुविधा: पंचायतों को काम में तेजी लाने के लिए स्वीकृत राशि का 5% हिस्सा मोबिलाइजेशन एडवांस के रूप में अग्रिम दिया जाएगा ।
जीविका दीदी संभालेंगी चलाने की कमान
इस योजना का सबसे खास पहलू इसका चलाने का तरीका है, जिसे महिला सशक्तिकरण से जोड़ा गया है।
जीविका मॉडल
विवाह भवनों के चलाने, रखरखाव और प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी जीविका दीदी के ग्राम संगठनों को सौंपी गई है ।
- दोहरा लाभ: जीविका दीदियों की भागीदारी से एक ओर जहाँ ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के अवसर पैदा होंगे, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर संचालन में पारदर्शिता भी बनी रहेगी ।
- गरीबों के लिए मुफ्त उपयोग: मंडपों का प्राथमिक उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभ पहुँचाना है। इसलिए, गरीब परिवारों को यह सुविधा मुफ्त या नाममात्र शुल्क पर मिलेगी ।
- किराया और रखरखाव: अन्य (गैर-गरीब) परिवारों से पारदर्शी शुल्क लिया जाएगा, जिसका उपयोग जीविका संगठन मंडप के रखरखाव और मरम्मत के लिए करेंगे। यह इसे एक स्थायी सामुदायिक संपत्ति बनाता है ।
बहुउद्देशीय उपयोग
यह मंडप केवल विवाह तक सीमित नहीं रहेगा। इसका उपयोग गाँव के सामुदायिक कार्यों के लिए भी किया जाएगा, जैसे:
- सामुदायिक भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम ।
- सरकारी कार्यक्रम, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान ।
- प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत शिविर ।
वर्तमान काम और शिकायत कहाँ करें?
योजना की शुरुआत हो चुकी है और पहले चरण में कई जिलों में भूमि चिन्हितीकरण और फंड जारी करने का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है:
- पूर्णिया: इस जिले में पहले चरण में 26 पंचायतों में निर्माण शुरू करने की योजना है, जिसके लिए ₹5-5 लाख रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है ।
- रोहतास: यहाँ भी जल्द ही 19 विवाह मंडपों का निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी है ।
- सहरसा: अन्य जिलों में भी ₹50 लाख की लागत से विवाह भवनों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ।
योजना के संचालन में पारदर्शिता बनाए रखने और लाभार्थियों की समस्याओं को सुनने के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र बनाया गया है। इस योजना से संबंधित शिकायतें और अपीलें अनुमंडल और जिला स्तर पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास दर्ज की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य स्तर पर महिला विकास निगम या समाज कल्याण विभाग के सचिव/प्रधान सचिव के कार्यालय में भी शिकायत दर्ज करने की सुविधा है ।
















