मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है—”बस शब्दों में नहीं, अब असली काम होगा।” गुरुवार को उन्होंने बिहार में तीन नए विभाग बनाने की घोषणा की। बात यह नहीं है कि विभाग बने, बल्कि यह है कि ये विभाग क्या करेंगे। अगले पांच सालों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देना है—यह लक्ष्य कितना बड़ा है, समझ सकते हो?

पहला: युवा, रोजगार और कौशल विकास विभाग
इस विभाग का काम बिल्कुल साफ है—बिहार के युवाओं को उद्यमी बनाना, उन्हें स्किल देना, और फिर रोजगार तक पहुंचाना। अभी तक ये काम अलग-अलग एजेंसियों के बीच बंटा हुआ था, जिससे कोई जिम्मेदारी नहीं था। अब सब एक जगह होगा। महत्वपूर्ण बात यह कि हर जिले में मेगा स्किल सेंटर खुलेंगे। इसका मतलब—तुम्हारे जिले में ही MSME से जुड़ी ट्रेनिंग मिलेगी। अब किसी को मुंबई या हैदराबाद का सपना देखने की जरूरत नहीं।
दूसरा: उच्च शिक्षा विभाग
यह विभाग होने का मतलब—बिहार की यूनिवर्सिटीज अब अलग ध्यान पाएंगी। अभी तक स्कूल और कॉलेज दोनों एक ही विभाग के अंतर्गत थे। अब कॉलेजों का अपना विभाग होगा। इसमें क्या होगा? Quality improvement, research, innovation, employment-linked curriculum—सीधे शब्दों में, तुम्हारी पढ़ाई आने वाले समय के लिए तैयार होगी, सिर्फ किताबें रट जाने के लिए नहीं।
तीसरा: नागर विमानन विभाग
यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह खुश आने का कारण है। बिहार में अभी 6 नए एयरपोर्ट बन रहे हैं—बीरपुर, वाल्मीकिनगर, सहारसा, मधुबनी, मुंगेर और मुजफ्फरपुर। नीतीश ने कहा—जब एयरपोर्ट बनेंगे, तो इनफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा, निर्माण में रोजगार मिलेगा, और बिहार की चीजें बाहर का बाजार तक पहुंचेंगी।
“तीन विभाग” की असली कहानी
नीतीश का यह कदम राजनीतिक नहीं, व्यावहारिक है। वह जानते हैं कि अगर सब कुछ एक जगह हो, तो जिम्मेदारी भी साफ होती है। अगर कोई विभाग असफल हो, तो उसे सीधे सवाल का जवाब देना पड़ेगा।
साथ ही, सरकार ने Directorate of Micro, Small and Medium Enterprises और बिहार मार्केटिंग प्रमोशन कॉरपोरेशन भी बना दिया है। इसका मतलब—बिहार की चीजें (खेती, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प) को अब सरकार का सीधा सपोर्ट मिलेगा।
यह सब कितना सच है?
यहाँ सवाल यह है—क्या ये सब सच में होगा?
नीतीश की सरकार ने पिछली बार भी तीन विभाग अलग किए थे—खेल, सूचना और जन संचार। तो यह विधि नई नहीं है। लेकिन इस बार का अंतर यह है कि यह रोजगार से सीधे जुड़ा है। अगर सरकार असफल हो, तो हर युवा को पता चलेगा। इसलिए नीतीश को इसे सच करना होगा।
बिहार के युवाओं को अब आशा की एक किरण दिख रही है। अगर ये तीन विभाग ठीक तरीके से काम करें, तो बिहार का नक्शा ही बदल जाएगा। स्किल सेंटर, बेहतर शिक्षा, नई एयरपोर्ट, और मेगा संरचनाएं—सब कुछ इंतजाम हो रहा है। अब देखना यह है कि “1 करोड़ नौकरी” का वह सपना कितना सच बनता है।
















