45 साल का कोई नेता दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की कमान संभाल सकता है? दिसंबर 2025 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जब नितिन नवीन (Nitin Nabin) को अपना राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (National Working President) घोषित किया, तो यह सवाल सबकी जुबां पर था। पटना के बांकीपुर से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे नितिन नवीन का सफर महज एक ‘नेता के बेटे’ की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक कुशल संगठनकर्ता और विकास पुरुष बनने की यात्रा है।
आइए जानते हैं, कैसे एक साधारण कार्यकर्ता ने ‘अटल पथ’ से निकलकर दिल्ली के ‘अशोक रोड’ तक का सफर तय किया।

1. विरासत और वो 2006 का टर्निंग पॉइंट
नितिन नवीन का जन्म 23 मई 1980 को हुआ था। वे उसी साल पैदा हुए, जिस साल बीजेपी की स्थापना हुई थी। मानो नियति ने पहले ही तय कर दिया था कि उनका भविष्य भगवा ध्वज के साथ ही जुड़ा होगा। उनके पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा पटना में बीजेपी के कद्दावर नेता थे और जनसंघ के जमाने से पार्टी को सींच रहे थे।
नितिन की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के सी.एस.के.एम. पब्लिक स्कूल से हुई। वे राजनीति में आने की कोई जल्दबाजी में नहीं थे, लेकिन 2006 में नियति ने पलटी मारी। उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया। पटना पश्चिम (अब बांकीपुर) की सीट खाली हो गई। पार्टी को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो नवीन बाबू की विरासत संभाल सके। 26 साल के युवा नितिन को मैदान में उतारा गया। यह एक भावुक क्षण था, लेकिन नितिन ने इसे अपनी ताकत बना लिया और उपचुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की।
2. बांकीपुर का ‘अजेय किला’ (Electoral Career)
राजनीति में एक बार जीतना आसान है, लेकिन उसे दोहराना मुश्किल। नितिन नवीन ने अपनी सीट को बीजेपी का ऐसा अभेद्य किला बना दिया, जिसे 20 साल में कोई भेद नहीं पाया।
- 2010: परिसीमन के बाद सीट का नाम ‘बांकीपुर’ हो गया, लेकिन नतीजा वही रहा। नितिन ने आरजेडी को 60,000 से ज्यादा वोटों से हराया।
- 2015 की मोदी लहर बनाम महागठबंधन: जब बिहार में लालू-नीतीश की जोड़ी (महागठबंधन) ने बीजेपी के बड़े-बड़े सूरमाओं को हरा दिया था, तब भी नितिन नवीन अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
- 2020 का ‘हाई प्रोफाइल’ ड्रामा: इस चुनाव में उनके खिलाफ बॉलीवुड स्टार शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा और खुद को सीएम कैंडिडेट बताने वालीं पुष्पम प्रिया चौधरी मैदान में थीं। मीडिया ने इसे ‘सेलिब्रिटी वॉर’ बना दिया, लेकिन नितिन नवीन ने जमीन पर रहकर काम किया और विरोधियों की जमानत जब्त करवा दी।
- 2025 का लैंडस्लाइड: हाल ही में हुए 2025 के चुनाव में उन्होंने आरजेडी की रेखा कुमारी को 51,000 से अधिक वोटों से हराकर यह साबित कर दिया कि पटना की जनता सिर्फ ‘नितिन भैया’ को पहचानती है।
3. बिहार का ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर मैन’: मरीन ड्राइव और स्मार्ट सिटी
नितिन नवीन की पहचान सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है। बिहार सरकार में पथ निर्माण (Road Construction) और नगर विकास (Urban Development) मंत्री के रूप में उन्होंने पटना का चेहरा बदल दिया।
- पटना मरीन ड्राइव (JP Ganga Path): जिसे लोग कभी सपना मानते थे, उसे नितिन नवीन ने हकीकत बना दिया। उनके कार्यकाल में इसका विस्तार हुआ और यह पटना की लाइफलाइन बन गया।
- अटल पथ: रेलवे लाइन की बेकार पड़ी जमीन को एक सुपर-फास्ट एक्सप्रेसवे में बदलने का श्रेय उनके विभाग को जाता है।
- 11 नए शहरों का विजन: 2025 में नगर विकास मंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार में 11 नए ‘सैटेलाइट टाउन’ बनाने का ब्लू-प्रिंट पेश किया, ताकि पटना, मुजफ्फरपुर और गया जैसे शहरों से भीड़ कम की जा सके। उनकी ‘लैंड पूलिंग पॉलिसी’ की चर्चा पूरे देश में हुई।
4. ‘चाणक्य’ वाला दिमाग: छत्तीसगढ़ और सिक्किम में जीत की रणनीति
नितिन नवीन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तब मिली जब उन्होंने संगठन में अपनी कुशलता दिखाई। उन्हें अक्सर बीजेपी का ‘साइलेंट ऑपरेटर’ कहा जाता है।
- छत्तीसगढ़ का करिश्मा (2023): जब 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हुए, तो नितिन नवीन वहां के सह-प्रभारी थे। ज्यादातर सर्वे कांग्रेस की वापसी बता रहे थे, लेकिन नितिन नवीन ने बूथ स्तर पर ऐसी माइक्रो-मैनेजमेंट की कि नतीजे पलट गए और बीजेपी की सरकार बनी। पार्टी हाईकमान ने तभी समझ लिया था कि इस नेता में राष्ट्रीय स्तर की संभावनाएं हैं।
- सिक्किम और पूर्वोत्तर: उन्होंने सिक्किम में भी पार्टी का विस्तार किया और भाजयुमो (BJYM) के महामंत्री रहते हुए कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक युवाओं को जोड़ने का काम किया।
5. विचारधारा और विवाद (Ideology & Controversy)
नितिन नवीन ‘सॉफ्ट’ छवि वाले नेता नहीं हैं। वे अपनी बात बेबाकी से रखते हैं।
- सीमांचल और घुसपैठ: वे बिहार के सीमांचल इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहे हैं। 2025 चुनाव में उन्होंने साफ कहा कि “बिहार के संसाधन बिहारियों के लिए हैं, घुसपैठियों के लिए नहीं।”
- राष्ट्रवाद: 2017 में जब कांग्रेस के एक नेता ने पीएम मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की, तो नितिन नवीन ने खुद जाकर उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करवाया था।
6. भविष्य का सितारा
दिसंबर 2025 में जे.पी. नड्डा के बाद राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनना नितिन नवीन के करियर का शिखर नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। वे उस ‘जनरेशन नेक्स्ट’ का चेहरा हैं जो सड़क पर आंदोलन भी कर सकती है और मंत्रालय में बैठकर फाइलों का निपटारा भी।
कायस्थ समुदाय से आने वाले नितिन नवीन ने जातिगत समीकरणों को साधते हुए भी अपनी छवि एक ‘विकास पुरुष’ की बनाई है। राजनीतिक विश्लेषक उन्हें बिहार में बीजेपी के भविष्य के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में भी देख रहे हैं।
















