अगर आपको लगता है कि क्रिकेट सिर्फ मुंबई या दिल्ली वालों का खेल है, तो ज़रा ठहरिए. बिहार का क्रिकेट इतिहास संघर्ष, जुनून और कभी हार न मानने वाली ज़िद की कहानी है. कभी सुविधाओं की कमी तो कभी सिस्टम की मार, लेकिन बिहारी खिलाड़ियों ने हर रुकावट को पार कर मैदान पर अपना झंडा गाड़ा है.
चाहे वह महेंद्र सिंह धोनी हों जिन्होंने छोटे शहर से निकलकर दुनिया जीती, या फिर गोपालगंज के मुकेश कुमार, जिन्होंने साबित किया कि टैलेंट किसी बड़े शहर का मोहताज नहीं होता.
आइए जानते हैं Bihar ke cricket khiladi के बारे में, जिनकी कहानियों में पसीना भी है और सफलता की चमक भी.

1. महेंद्र सिंह धोनी: वो नाम जिसने सब कुछ बदल दिया
भले ही आज दुनिया उन्हें रांची (झारखंड) का हीरो मानती है, लेकिन जब धोनी ने बल्ला थामा था, तब वह अविभाजित बिहार का ही हिस्सा था. 7 जुलाई 1981 को जन्मे धोनी ने 1999 में बिहार रणजी टीम से ही अपने करियर की शुरुआत की थी.
धोनी की कहानी हम सब के लिए एक सबक है—अगर इरादे पक्के हों, तो एक टिकट कलेक्टर भी दुनिया का सबसे सफल कप्तान बन सकता है. उन्होंने बिहार और झारखंड के हज़ारों युवाओं को यह विश्वास दिलाया कि “हम भी कर सकते हैं”.
2. ईशान किशन: पटना का ‘डायनामाइट’
पटना के एक साधारण परिवार में जन्मे ईशान किशन आज वर्ल्ड क्रिकेट में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. 18 जुलाई 1998 को जन्मे ईशान को आगे बढ़ने के लिए अपना घर छोड़कर झारखंड जाना पड़ा, क्योंकि उस वक्त बिहार क्रिकेट बोर्ड बैन झेल रहा था.
- खास बात: ईशान ने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे मैच में सबसे तेज़ दोहरा शतक (126 गेंद) जड़कर तहलका मचा दिया था. उनका बल्ला जब चलता है, तो अच्छे-अच्छे गेंदबाज़ों के पसीने छूट जाते हैं.
3. मुकेश कुमार: गोपालगंज एक्सप्रेस
मुकेश कुमार की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. गोपालगंज के एक छोटे से गांव से निकलकर, कोलकाता में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलना और फिर टीम इंडिया की जर्सी पहनना—यह सफर आसान नहीं था. उनके पिता टैक्सी चलाते थे और चाहते थे कि बेटा फौज में जाए, लेकिन मुकेश की किस्मत में क्रिकेट का मैदान लिखा था.
- सफलता: मुकेश ने अपनी मेहनत के दम पर 2023 में वेस्टइंडीज दौरे पर तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी20) में भारत के लिए डेब्यू किया.
4. आकाश दीप : सासाराम का बागी
सासाराम (रोहतास) के आकाश दीप की कहानी संघर्ष की मिसाल है. पिता सरकारी नौकरी चाहते थे, लेकिन आकाश को क्रिकेट का जुनून था. पिता और भाई की मौत के बाद घर की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वे बंगाल गए और वहां अपनी रफ़्तार से सबको चौंका दिया.
- धमाकेदार एंट्री: हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू में उन्होंने जिस तरह से विकेट उखाड़े, उसने बता दिया कि बिहार की मिट्टी में कितनी जान है.
5. कीर्ति आज़ाद: 1983 वर्ल्ड कप के हीरो
आज के दौर से बहुत पहले, दरभंगा के कीर्ति आज़ाद ने बिहार का नाम रोशन किया था. वह भारत की उस ऐतिहासिक टीम का हिस्सा थे, जिसने 1983 में पहला वर्ल्ड कप जीता था. इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में उनकी किफायती गेंदबाज़ी आज भी याद की जाती है. रिटायरमेंट के बाद भी वे बिहार क्रिकेट को सुधारने के लिए लगातार लड़ते रहे हैं.
6. सबा करीम: पटना के स्टम्प्स के पीछे के उस्ताद
पटना के सबा करीम एक बेहतरीन विकेटकीपर और बल्लेबाज़ थे. उन्होंने 15 साल की उम्र में बिहार के लिए खेलना शुरू किया था. उनका फर्स्ट क्लास औसत (56.66) बताता है कि वह कितने शानदार खिलाड़ी थे. दुर्भाग्य से, आंख में चोट लगने के कारण उनका करियर जल्दी खत्म हो गया, लेकिन उन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी.
7. साकिबुल गनी: वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाला बिहारी
मोतिहारी के साकिबुल गनी ने वो कर दिखाया जो क्रिकेट के 100 साल के इतिहास में कोई नहीं कर पाया. 2022 में, अपने पहले ही फर्स्ट क्लास मैच में तिहरा शतक (341 रन) जड़कर उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. गनी ने साबित कर दिया कि अगर मौका मिले, तो बिहार के लड़के इतिहास रच सकते हैं. अब उन्हें बिहार टीम की कप्तानी भी सौंपी गई है.
8. वैभव सूर्यवंशी: 12 साल का जादूगर
समस्तीपुर का यह बच्चा अभी ठीक से बड़ा भी नहीं हुआ है और बड़े-बड़े रिकॉर्ड तोड़ रहा है. वैभव सूर्यवंशी ने सिर्फ 12 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया.
- सबसे बड़ा धमाका: इतनी कम उम्र में उन्हें आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने 1.10 करोड़ रुपये में खरीदा है. यह किसी सपने के सच होने जैसा है.
9. आशुतोष अमन: विकेटों की मशीन
गया के रहने वाले और भारतीय वायु सेना में काम करने वाले आशुतोष अमन ने बिहार क्रिकेट में वापसी की और आते ही कोहराम मचा दिया. 2018-19 के रणजी सीज़न में उन्होंने 68 विकेट लेकर महान बिशन सिंह बेदी का 44 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. यह रिकॉर्ड बताता है कि जज़्बा हो तो उम्र और हालात मायने नहीं रखते.
10. शाहबाज़ नदीम: मुजफ्फरपुर का फिरकी मास्टर
शाहबाज़ नदीम घरेलू क्रिकेट के सबसे बड़े नामों में से एक हैं. मुजफ्फरपुर और बोकारो से ताल्लुक रखने वाले नदीम ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 500 से ज़्यादा विकेट लिए हैं.
- रिकॉर्ड: उन्होंने एक मैच में 10 रन देकर 8 विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड (लिस्ट ए) भी अपने नाम किया है. उन्हें भारत के लिए टेस्ट खेलने का मौका भी मिला.
कुछ और उभरते सितारे जिन पर नज़र रखनी होगी
- मयंक यादव (सुपौल): आईपीएल में अपनी रफ़्तार (156 kmph) से सबको डराने वाले मयंक की जड़ें सुपौल में हैं.
- साकिब हुसैन (गोपालगंज): मुकेश कुमार के बाद गोपालगंज का एक और तेज़ गेंदबाज़, जिसे कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने अपनी टीम में शामिल किया.
Bihar ka International cricketer
बिहार क्रिकेट का वनवास अब खत्म हो रहा है. पहले जहां खिलाड़ियों को मजबूरन दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था (जैसे धोनी, ईशान, आकाश दीप), अब साकिबुल गनी और वैभव सूर्यवंशी जैसे खिलाड़ी बिहार की जर्सी में ही कमाल कर रहे हैं. रास्ता अभी भी मुश्किल है, लेकिन शुरुआत शानदार हो चुकी है.
















