बिहार के नक्शे पर कोसी नदी के किनारे बसा सुपौल जिला अक्सर बाढ़ की खबरों के लिए सुर्खियों में रहता है। लेकिन कल रात, सुपौल की हवाओं में एक अलग ही शोर था। यह शोर कोसी के उफान का नहीं, बल्कि वीरपुर के थुथी गांव के एक लड़के के सपनों की उड़ान का था।
सुपौल के मोहम्मद इज़हार अब सिर्फ एक ‘लोकल बॉलर’ नहीं रहे। आईपीएल 2026 की नीलामी में पांच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) ने इस नायाब हीरे को ₹30 लाख की बोली लगाकर अपनी ‘पलटन’ में शामिल कर लिया है।

एक छोटी सी जगह, एक बड़ा सपना Mohammad Izhar का
जब टीवी स्क्रीन पर ऑक्शन का हथौड़ा चला और नाम पुकारा गया—“Mohammad Izhar, Sold to Mumbai Indians”, तो थुथी गांव में इज़हार के घर पर जो जश्न मना, उसे शब्दों में पिरोना मुश्किल है। यह जीत सिर्फ इज़हार की नहीं है; यह उस मां (शबनम खातून) की दुआओं की जीत है, जिन्होंने अपने बेटे के सपनों को कभी टूटने नहीं दिया, और उस पिता की मेहनत की, जो शायद संसाधनों की कमी को कभी बेटे की रफ़्तार के आड़े नहीं आने देना चाहते थे।
इज़हार की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। एक ऐसा लड़का जिसके पास शुरुआत में शायद एक अच्छी लेदर बॉल खरीदने के पैसे भी मुश्किल से जुटते थे, आज वह दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियमों में जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या जैसे दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करेगा।
‘नेट बॉलर’ से ‘मेन स्क्वॉड’ तक का सफर Mohammad Izhar का
क्रिकेट में सफलता रातों-रात नहीं मिलती। इज़हार के लिए भी यह सफर आसान नहीं था। याद कीजिए मार्च 2025 का वो वक्त, जब चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने उन्हें बतौर ‘नेट बॉलर’ चुना था। तब माही भाई (MS Dhoni) की टीम के बल्लेबाजों को नेट्स में अपनी रफ़्तार से चौंकाने वाला यह लड़का खामोशी से अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था।
उस अनुभव ने इज़हार को तराश दिया। जो आग उनके अंदर थी, उसे एक दिशा मिली। और आज, उसी मेहनत का नतीजा है कि मुंबई इंडियंस ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन पर बड़ा दांव खेला।
बिहार क्रिकेट का नया दौर
मोहम्मद इज़हार का चयन साबित करता है कि बिहार की क्रिकेट अब सिर्फ फाइलों और विवादों तक सीमित नहीं है। ईशान किशन और मुकेश कुमार के बाद, अब हमारे पास इज़हार जैसा विशुद्ध तेज़ गेंदबाज़ है जो 140+ किमी/घंटा की रफ़्तार से स्टंप उखाड़ने का दम रखता है।
इज़हार के चाचा, मोहम्मद जहांगीर, जो कभी उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह देते थे, आज फक्र से कहते हैं, “उसने हमारी नहीं सुनी, अपने दिल की सुनी, और आज उसने पूरे सुपौल का सीना चौड़ा कर दिया है।”
उम्मीद की एक नई किरण
₹30 लाख की रकम एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए बहुत बड़ी होती है, लेकिन इज़हार ने जो हासिल किया है, उसकी कीमत पैसों में नहीं आंकी जा सकती। उन्होंने सुपौल, सहरसा और मधेपुरा के उन हजारों बच्चों को उम्मीद दी है जो टूटे हुए बल्लों और पुराने जूतों के साथ खेतों में क्रिकेट खेलते हैं और सोचते हैं—“क्या हम भी कभी वहां पहुंच पाएंगे?”















