मकर संक्रान्ति की बात ही कुछ अलग है। सर्दियों की वो गुनगुनी धूप, छतों पर उड़ती पतंगों का शोर और घर में बनती गुड़-तिल की खुशबू—ये सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक पूरी वाइब (vibe) है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि मकर संक्रान्ति 2026 में क्या खास होने वाला है, तो आप एकदम सही जगह आए हैं। चलो, आज इस त्योहार की गहराई में उतरते हैं और देखते हैं कि 2026 में सेलिब्रेशन का क्या सीन रहने वाला है।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त कितने बजे है?
सबसे पहली बात, डायरी में डेट नोट कर लो। साल 2026 में मकर संक्रान्ति बुधवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्यादातर त्योहारों में डेट बदलती रहती है क्योंकि वो चाँद के हिसाब से चलते हैं, लेकिन संक्रान्ति सूरज के हिसाब से चलती है, इसलिए ये डेट अक्सर फिक्स रहती है ।
ज्योतिष और पंचांग के हिसाब से इस बार ‘संक्रान्ति मोमेंट’ दोपहर के समय है:
- संक्रान्ति क्षण: दोपहर 03:13 बजे
- पुण्य काल: दोपहर 03:13 से शाम 05:56 बजे तक
- महा पुण्य काल: दोपहर 03:13 से शाम 05:00 बजे तक (ये टाइम दान-पुण्य के लिए बेस्ट है!)
चूंकि संक्रान्ति सूर्यास्त से पहले हो रही है, इसलिए सारे रीति-रिवाज़ 14 जनवरी को ही निपटाना सही रहेगा।
बिहार मकर संक्रांति : दही-चूड़ा, तिलकुट और राजगीर का मेला
बिहार में मकर संक्रान्ति को ‘तिला संक्रान्ति’ या ‘खिचड़ी’ भी कहते हैं और यहाँ का सेलिब्रेशन एकदम नेक्स्ट लेवल होता है। पटना के गंगा घाटों से लेकर सिमरिया घाट और बेगूसराय तक, सुबह-सुबह पवित्र स्नान (Ganga Snan) के लिए लाखों की भीड़ उमड़ती है। 2026 में प्रशासन ने सुरक्षा के लिए गंगा में नावों के चलने पर रोक लगाने का फैसला भी किया है, ताकि कोई अनहोनी न हो।
खाने की बात करें तो बिहार में संक्रान्ति का मतलब है—दही-चूड़ा, गुड़ और गया का मशहूर तिलकुट। गया का तिलकुट तो पूरी दुनिया में फेमस है और इसे बनाने का तरीका भी उतना ही खास है। इसके अलावा, राजगीर के ‘ब्रह्मकुंड’ (Hot Springs) में नहाना और वहाँ लगने वाले भारी मेले में घूमना एक अलग ही अनुभव है। बांका जिले के मंदार हिल में भी इस दिन बड़ा मेला लगता है। एक दिलचस्प परंपरा यह भी है कि माँ अपने बेटों को तिलकुट खिलाती है, जो इस वादे का प्रतीक है कि बेटा बुढ़ापे में माता-पिता का ख्याल रखेगा।
ये सिर्फ ‘पतंग उड़ाने’ का दिन नहीं है, इसके पीछे की Science
हम अक्सर सोचते हैं कि मकर संक्रान्ति मतलब बस छुट्टी और खिचड़ी। लेकिन भाई, इसके पीछे गजब की एस्ट्रोनॉमी है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर (Capricorn) राशि में एंटर करता है । इसे ‘उत्तरायण’ की शुरुआत कहते हैं—यानी सूरज अब उत्तर की तरफ बढ़ने लगा है।
इसका सीधा मतलब है कि अब दिन बड़े होंगे और वो कड़ाके की ठंड धीरे-धीरे कम होने लगेगी। स्पिरिचुअल लेवल पर इसे ‘अंधकार से प्रकाश की ओर’ जाना माना जाता है । महाभारत वाले भीष्म पितामह ने तो इसी दिन का इंतज़ार किया था ताकि वो अपना शरीर त्याग सकें, क्योंकि इस समय प्राण छोड़ना मोक्ष की निशानी माना जाता है ।
खिचड़ी और तिल-गुड़: आयुर्वेद का ‘Winter बूस्टर’
मकर संक्रान्ति पर जो हम खाते हैं, वो कोई रैंडम मेन्यू नहीं है। आयुर्वेद कहता है कि इस मौसम में हमारी बॉडी को गर्मी और अच्छी डाइजेशन चाहिए होती है ।
- तिल और गुड़: तिल गर्म तासीर का होता है और इसमें कैल्शियम-मैग्नीशियम भर-भर के होता है । गुड़ आयरन का सोर्स है। ये दोनों मिलकर विंटर की खुश्की दूर करते हैं ।
- खिचड़ी: इसे ‘त्रिदोष शामक’ आहार कहा गया है। इसमें डलने वाली हल्दी, अदरक और घी इम्युनिटी बढ़ाते हैं और शरीर को बदलते मौसम के लिए तैयार करते हैं ।
FAQs
1. 2026 mein Makar Sankranti kab ki hai ? 14 जनवरी 2026, बुधवार। संक्रान्ति का मुहूर्त दोपहर 3:13 बजे शुरू हो रहा है ।
2. क्या बिहार के राजगीर में 2026 में कोई विशेष आयोजन है? राजगीर के गर्म जल कुंडों पर 14 जनवरी को ‘मकर संक्रान्ति मेला’ लगेगा, जहाँ भक्त स्नान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं।
3. गंगा स्नान का सबसे अच्छा समय क्या है? आध्यात्मिक रूप से सूर्योदय के समय नहाना सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन 2026 में पुण्य काल दोपहर 3:13 बजे से शाम तक है, तो इस दौरान नहाना और दान करना विशेष शुभ रहेगा ।
4. क्या इस दिन खिचड़ी खाना ज़रूरी है? ज़रूरी तो नहीं, लेकिन वैज्ञानिक रूप से खिचड़ी इस बदलते मौसम में शरीर को बैलेंस रखने के लिए सबसे अच्छा भोजन मानी जाती है ।


















