बिहार के सीमांचल क्षेत्र के लिए 13 नवंबर 2024 एक ऐतिहासिक दिन रहा। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलगलिया से अररिया तक NH-327E के चार लेन खंड का उद्घाटन किया, जिसने इस पूरे इलाके की सड़क परिस्थिति बदल दी।

AI Image
सड़क परियोजना का विस्तार
यह 94 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना दो भागों में बंटी है। पहले भाग में गलगलिया से बहादुरगंज तक 49 किलोमीटर की सड़क बनी, जिसपर 979.67 करोड़ रुपये खर्च हुए। दूसरे भाग में बहादुरगंज से अररिया तक 45 किलोमीटर की सड़क बनी, जिसकी लागत (करीब ₹900 करोड़) रुपये थी। कुल मिलाकर, इस परियोजना पर 1,079.76 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 15 साल तक इसकी देखरेख की जिम्मेवारी ठेकेदार की है।
कनेक्टिविटी का नया आयाम
यह सड़क दरअसल एक पुल की तरह है, जो तीन बड़े राजमार्गों को आपस में जोड़ता है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (NH-27) से अररिया, फिर गलगलिया होते हुए सीधे पश्चिम बंगाल तक जाने का रास्ता। पहले यह यात्रा कितनी लंबी और पेचीदा थी, अब समझ में आता है कि इस सड़क का कितना महत्व है।
बिहार-बंगाल व्यापार को गति
सिलीगुड़ी के लिए यह सीधा रास्ता व्यापारियों के लिए काफी सुविधाजनक साबित हुआ है। पहले लंबे रास्ते से घूमकर जाना पड़ता था, पर अब बस यह राजमार्ग अपना काम करता है। बागदोरा हवाई अड्डे तक पहुंचना अब आसान हो गया है, जो निर्यात-आयात के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा नेपाल के साथ व्यापार में भी तेजी आई है, क्योंकि यह सड़क सीमा पार करने का सबसे सीधा विकल्प है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
छोटे-मोटे उद्यमियों को इस सड़क से सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। कृषि उत्पाद, वस्तुएं और सेवाएं अब दूसरे राज्यों तक आसानी से पहुंच सकती हैं। गांवों से शहरों तक पहुंचना सरल हो गया, जिससे लोगों को बेहतर बाजार मिलने की संभावना बढ़ी है।
यातायात की गुणवत्ता में सुधार
चार लेन की सड़क का मतलब है कि भारी ट्रकों, बसों और कारों को एक-दूसरे में बाधा नहीं होती। यात्रियों को जल्दबाजी में खतरनाक ओवरटेकिंग करने की जरूरत नहीं। नतीजा: दुर्घटनाएं कम होती हैं, यात्रा सुरक्षित रहती है, और समय पर पहुंचना आसान हो जाता है।
किशनगंज-बहादुरगंज कनेक्शन
अलग से 23.6 किलोमीटर की एक और सड़क परियोजना चल रही है, जो किशनगंज से सीधे बहादुरगंज तक जाएगी। इसकी लागत 1,117 करोड़ रुपये है। इस सड़क से किशनगंज से बहादुरगंज की यात्रा समय महज 45 मिनट से घटाकर 20 मिनट रह जाएगी! यह इतना ही नहीं, बल्कि NH-27 और NH-327E को सीधा जोड़ेगी, जिससे पूरा ट्रेफिक सिस्टम और भी सुविधाजनक हो जाएगा।
रणनीतिक महत्व
भारत की सुरक्षा की दृष्टि से भी यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे देश की सबसे संकीर्ण पट्टी कहते हैं) का एक विकल्प अब सीमांचल के रास्ते खुल गया है। अगर कभी सिलीगुड़ी मार्ग में कोई समस्या हो, तो पूर्वोत्तर भारत के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक रास्ता है।
भविष्य की योजनाएं
इसके अलावा, पार्सरमा से अररिया तक 102 किलोमीटर के खंड का भी विकास किया जा रहा है, जिसपर 1,547.55 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना से सुपौल, पिपरा और त्रिवेणीगंज जैसे शहरों में भारी ट्रैफिक की समस्या दूर होगी। भारी वाहनों को बाईपास से निकाला जा सकेगा, जिससे स्थानीय लोगों को प्रदूषण और शोर से राहत मिलेगी।
गलगलिया से अररिया तक यह चार लेन वाली सड़क बिहार के लिए सिर्फ एक राजमार्ग नहीं है – यह विकास का एक नया द्वार है। सीमांचल क्षेत्र, जो कभी देश के सबसे पिछड़े इलाकों में गिना जाता था, अब अपनी क्षमता को पूरी तरह निखार सकेगा। छोटे उद्यमी, किसान, छात्र और मजदूर – सभी को इस सड़क से नए अवसर मिलेंगे। और सबसे जरूरी बात यह है कि अब बिहार और पश्चिम बंगाल का रिश्ता अब केवल सीमा का नहीं, बल्कि व्यापार, शिक्षा और समृद्धि का भी हो गया है।


















