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Land-for-Jobs Scam : पूरी कहानी, आरोप और वर्तमान न्यायिक स्थिति

घोटाला क्या है और यह कब हुआ?

“नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला” (Land-for-Jobs Scam) एक भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को सफेद करने) का मामला है. यह घोटाला उस समय हुआ जब लालू प्रसाद यादव केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे, यानी साल 2004 से 2009 के बीच.  

मूल आरोप: आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया और भारतीय रेलवे में ग्रुप-डी के पदों पर लोगों को नौकरी दी. इसके बदले में, नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों या उनके परिवारों ने अपनी ज़मीन लालू यादव के परिवार के सदस्यों या परिवार से जुड़ी कंपनियों के नाम पर बहुत कम कीमत पर हस्तांतरित कर दी.  

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मुख्य आरोपी: इस मामले में लालू प्रसाद यादव के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव सहित परिवार के अन्य सदस्य भी आरोपी हैं.  

नियुक्तियों में धांधली

  • पद: ये नियुक्तियाँ मुख्य रूप से ग्रुप-डी के पदों पर ‘सब्सटिट्यूट’ (प्रतिस्थापन) के तौर पर की गईं.  
  • स्थान: नियुक्तियाँ भारतीय रेलवे के विभिन्न ज़ोनों में की गईं, जिनमें मध्य प्रदेश का पश्चिम मध्य ज़ोन (जबलपुर) और मुंबई, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जैसे शहर शामिल थे.  
  • योग्यता की अनदेखी: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कोर्ट में दावा किया है कि इस प्रक्रिया में योग्यता की पूरी तरह अनदेखी की गई, और कुछ लोगों को भी नौकरी दी गई जो अपना नाम तक ठीक से नहीं लिख सकते थे.  
  • सहयोगियों की भूमिका: जांच में पता चला कि लालू यादव के सहयोगी सक्रिय रूप से गाँवों में जाकर परिवारों को रेलवे की नौकरी के बदले अपनी ज़मीन यादव परिवार को सौंपने के लिए ‘राज़ी’ करते थे.  

ज़मीन का हस्तांतरण

नौकरी के बदले में जो ज़मीनें ली गईं, उन्हें सीधे परिवार के सदस्यों (जैसे राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, चंदा यादव) या परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनियों के नाम पर हस्तांतरित किया गया. इसमें ए के इन्फ़ोसिस प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियाँ शामिल हैं.  

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जाँच में पाया कि ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड एक कथित ‘शेल’ या फ़र्ज़ी कंपनी थी, जिसका मालिकाना हक़ कथित तौर पर तेजस्वी यादव और उनकी बहन चंदा यादव के पास था, और इसका रजिस्टर्ड पता भी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित परिवार का बंगला था.  

जाँच एजेंसियों के मुख्य दावे और वित्तीय आँकड़े

इस मामले की जाँच सीबीआई (भ्रष्टाचार के लिए) और ईडी (मनी लॉन्ड्रिंग के लिए) कर रही है.

एजेंसीदावा/आरोपसटीक आँकड़ा/विवरण
सीबीआई (CBI)अवैध तरीके से हासिल किए गए ज़मीन के प्लॉटों की संख्या.12 ज़मीन के प्लॉट शामिल हैं.
ईडी (ED)परिवार से जुड़ी कुर्क (जब्त) की गई संपत्ति का आधिकारिक (बुक) मूल्य.₹6.02 करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई.
ईडी (ED)जब्त की गई ज़मीनों का वर्तमान बाज़ार मूल्य का अनुमानित दावा.₹200 करोड़ से अधिक
ईडी (ED)इस पूरे घोटाले से हुई ‘अपराध की आय’ (Proceeds of Crime – PoC) का कुल दावा.₹600 करोड़ तक
ईडी (ED)लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से पूछताछ.जनवरी 2024 में दोनों से 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई थी.

न्यायिक स्थिति और सज़ा

यह मामला आपराधिक साज़िश (Criminal Conspiracy) और धोखाधड़ी (Cheating) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है.

आरोपों का निर्धारण

  • तिथि: 13 अक्टूबर, 2025
  • अदालत: दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट
  • निर्णय: कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय (Framed Charges) करने का आदेश दिया.  
  • आरोप:
    • लालू प्रसाद यादव: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d) (पद का गलत इस्तेमाल) और 13(2) (आपराधिक कदाचार) के साथ-साथ IPC की धारा 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप तय किए गए.  
    • राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव: मुख्य रूप से IPC की धारा 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप तय किए गए.  
  • परिणाम: कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने का मतलब है कि कोर्ट ने CBI के सबूतों को प्रथम दृष्टया (Prima Facie) सही माना है और अब इस मामले में ट्रायल (परीक्षण) शुरू होगा.

क्या इस मामले में किसी को सज़ा हुई है?

नहीं. “नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला” के इस विशिष्ट मामले में नवंबर 2025 तक किसी भी आरोपी को दोषी नहीं ठहराया गया है, और इसलिए कोई सज़ा नहीं दी गई है. मामला अभी ट्रायल के चरण में है, जहाँ सबूतों की जाँच की जाएगी.  

आगामी सुनवाई: लैंड-फॉर-जॉब्स मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर, 2025 को निर्धारित है.  

अन्य मामले: लालू प्रसाद यादव को पहले ही चारा घोटाला (Fodder Scam) से जुड़े चार अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है, जिसके तहत उन्हें कुल 27.5 साल की कैद की सज़ा सुनाई गई है. यह सज़ा इस ‘नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला’ मामले से अलग है.  

यह मामला एक लोक सेवक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करके कमजोर लोगों के शोषण और अवैध संपत्ति अर्जित करने का गंभीर उदाहरण है. 13 अक्टूबर, 2025 को कोर्ट द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद, अब यह मामला ट्रायल की दिशा में आगे बढ़ चुका है. इस मामले का अंतिम परिणाम कोर्ट में पेश किए गए सबूतों पर निर्भर करेगा.

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